World Earth Day 2021 : जानें विश्व पृथ्वी दिवस का महत्व
हमारे सौरमंडल के भीतर केवल पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन है, जहां नदी, झरने, पहाड़,वन अनेक जंतु प्रजातियां हैं, और जहां हम सब मनुष्य भी हैं. लेकिन हम सब की लालच और लापरवाही ने न केवल दूसरे जीव प्रजातियों के लिए बल्कि खुद अपने लिए और संपूर्ण धरती के लिए संकट पैदा कर दिया है. ऐसे में पृथ्वी दिवस जैसे आयोजन हमें जागरूक करने के लिए जरूरी हैं. आइए इस पृथ्वी दिवस पर हम अपनी पृथ्वी की पुकार सुने और इसे सुरक्षित बनाए रखने में अपना भरपूर योगदान दें.
भारतीय पौराणिक ग्रंथ पृथ्वी को मां के समतुल्य माना गया है. यह हम सब की याद आता है इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. इस पर मौजूद बेशुमार संसाधन उपहार के रूप में हम सबको मिले हैं. प्रकृति इस पर जल, नदियां, पहाड़ और धरती के नीचे छिपी हुई खनिज संपदा धरोहर के रूप में हमारे जीवन को सहज बनाने के लिए प्रदान किए हैं. हम अपनी मेहनत से धन तो कमा सकते हैं लेकिन प्रकृति की इन धरोहरों को अथक प्रयास के पश्चात भी बढ़ा नहीं सकते इसलिए हम सब को एक धरोहर और संजोने का हर संभव प्रयास करना चाहिए.
हमारी धरती बहुत ही सुंदर है इसका एक बड़ा भाग पानी से ढका हुआ है. पानी की अधिकता के कारण इसे वैल्यू प्लेनेट के नाम से भी जाना जाता है लेकिन हम सब की लापरवाही के चलते एक ग्लोबल वार्मिंग और पोलूशन की वजह से यह सुंदर ग्रह अब खतरे में नजर आ रही है इसे बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे जागरूकता बढ़ाने वाले आयोजनो और अभियानों की आवश्यकता पड़ती है.
पृथ्वी को संरक्षण प्रदान करने के लिए सारी दुनिया से इसे सहयोग और समर्थन के लिए पृथ्वी दिवस प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन को 193 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है इस दिन विश्व स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. कई समुदाय और एनजीओ पृथ्वी सप्ताह का समर्थन करते हुए पूरे पूरे सप्ताह विश्व के पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर पृथ्वी को बचाने के लिए अनुकरणीय कदम उठा रहे हैं.
पृथ्वी दिवस की परिकल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर की हवा और पानी प्रदूषण मुक्त होगा दुनिया अपने बदहाल पर आंसू नहीं बहाएगी मिट्टी बीमार या नहीं वरन सोना उगले की धरती रहने में काबिल होगी इस तरह समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा तभी ऐसे दिनों को मनाने की सार्थकता है
ऐसे आरंभ हुई परंपरा
जब पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया तब यूनाइटेड स्टेट के 2000 से अधिक सिटी और हजारों प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के अनेक संविधान ने इसमें भाग लिया और शांतिपूर्ण ढंग से पर्यावरण की गिरावट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. 1970 में पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया तब से 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा इस दिवस की परिकल्पना अमेरिका सीनेट जेराल्ड नेल्सन ने की अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक पहल योजना साबित हुआ है जिसे भरपूर समर्थन मिला है.
जिनमें रिपब्लिक डेमोक्रेट अमीर गरीब छोटे बड़े व्यापारी सांसद मजदूर किसान सभी शामिल हुए इसके साथ ही स्वच्छ भाइयों स्वच्छ पानी और लुप्त हो रही प्रजातियों को संरक्षित करने का नियम पारित किया गया वर्तमान दौर में पृथ्वी दिवस को एक पूर्व की तरह दुनिया भर में मनाया जाने लगा. यह हर साल 1 अरब से अधिक लोगों के द्वारा मनाया जाता है और 1 दिन के दिनचर्या को पर्यावरण के कार्य के लिए समर्पित किया जाता है. वर्तमान में स्वच्छ वातावरण का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है क्योंकि जलवायु में परिवर्तन विनाशकारी रूप धारण करता जा रहा है.
बढ़ रहा है संकट
इस बात को समझना होगा कि ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है ऐसे में जीवन संपदा को बचाने के लिए पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जागरूक रहना आवश्यक है जनसंख्या की बढ़ोतरी ने प्राकृतिक संसाधनों पर अपना अनावश्यक बोझ बढ़ा दिया है इसलिए इसके संसाधनों के उचित प्रयोग के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यक्रम का महत्व बढ़ गया है.
आईपीसीसी अर्थात जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के मुताबिक 1880 के बाद से संबंधित 20% बढ़ गया है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है यह 2110 बढ़कर 58 से 93 सेंटीमीटर तक हो सकता है जो पृथ्वी के लिए बहुत ही खतरनाक है इसका मुख्य कारण है ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरो का पिघलना जिसके कारण पृथ्वी जलमग्न हो सकती है आईपीसीसी के पर्यावरण विदो के अनुसार 2050 के अनुसार 2085 तक मालदीप पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है.
पृथ्वी दिवस की महत्वता
पृथ्वी दिवस एक महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है यह में जीवाश्म ईंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है इनको मानने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो हमारे जीवन स्तर के सुधार के लिए प्रेरित करता है. ऐसे आयोजन और जे के भंडार और उसके महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए भी हमें समाधान करता है 1960 के दशक में कीटनाशकों और तेल के फैलाव को लेकर जिस तरह से जनता ने जागरूकता दिखाई है. उस जागरूकता की वजह से नहीं स्वच्छ वायु योजना बनी थी इस वजह से अब जो भी नया विद्युत शनि यंत्र शुरू होता है उसमें कार्बन डाइऑक्साइड को कम मात्रा में उत्सर्जित करने के लिए अलग यंत्र लगाया जाता है जिससे पर्यावरण में इसका कम फैलाव और नुकसान कम हो
पृथ्वी दिवस का आयोजन
इस दिन पूरी दुनिया में लोग पेड़ पौधे लगाते हैं स्वच्छता कार्यक्रम में भाग लेते हैं और पृथ्वी को पर्यावरण के माध्यम से सुरक्षित रखने वाले विषयों से संबंधित सम्मेलन में भाग लेते हैं. सब मान्यता पृथ्वी दिवस के दिन लोगों के द्वारा पेड़ को लगाकर आसपास की सफाई करके इसे उत्सव के रूप में माना जाता है.
अपने देश का बढ़ता संकट
भारतवर्ष जैव संपदा की दृष्टि से समृद्ध तम देशों में से एक है विश्व में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियां के लिए लगभग 40% जीव जंतु भारत में पाए जाते हैं लेकिन इंसानी लालच और वनों के कटाव की वजह से उत्तर प्रजातियां में बड़ी तेजी से गिरावट आने लगी और कालांतर में कुछ प्रजातियां का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. यद्यपि विलोपन एक जैविक प्रक्रिया है लेकिन आशा में मिलो पर्यावरण परिस्थितियों में आवांछनीय परिवर्तन वन्य जीवो के प्राकृतिक वार्सो का विनाश वनों का कटाव और तेज गति से बढ़ता औद्योगिकरण है.
राष्ट्रीय प्राकृतिक संग्रहालय नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तिका वर्ल्ड ऑफ मैमल्स के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. इस पुस्तिका के अनुसार भारत में स्तनपाई वन्यजीवों की 81 प्रजातियां संकटग्रस्त है कश्मीरी हिरनी की संख्या घटकर 350 रह गई है. भारतीय गेंडो की संख्या 8000 से भी कम रह गई है संपूर्ण विश्व मैं शेरों की कुल 7 नस्लें पाई जाती है. हमारे देश में इस शताब्दी के पूर्वार्ध मैं 10,000 शेर थे जो घटकर आज 2000 गए हैं. बंदर प्रजाति के वन्य प्राणी लुप्तप्राय जीवों की सूची में अंकित किया जा चुके हैं. काले और सफेद तेंदुआ के अस्तित्व पर संकट ज्यादा गहरा है. तो आइए हम मिलकर अपनी प्यारी धरती को सुजलाम सुफलाम बनाने के साथ ही अन्य प्रजातियों के प्राणियों को बचाए रखने का भी संकल्प ले.
भारत में संकटग्रस्त प्रजातियों
भारत में जो जंतु प्रजातियां संकटग्रस्त है उनमें शेर, बाघ, सफेद तेंदुआ, गैंडा, जंगली भैंसा, गगीया डॉल्फिन, लाल पांडा, मालाबार सिवेट, कस्तूरी हिरण,शंघाई हिरण, बारहसिंघा, कश्मीरी हिरण, सिंह ,पूछ बंदर, नीलगिरी लंगूर, लघु पूछ बंदर, बबून चिंपैंजी, इत्यादि शामिल है.
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