सुमित के शरीर में कमी जरूर थी लेकिन उसने अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी इसी मेहनत के दम पर सुमित ने पैर ना होते हुए भी जैवलिन थ्रो में 68.55 मीटर भाला फेंक कर भारत के झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया.
सुमित एंटील का जन्म 6 जुलाई 1998 को हरियाणा राज्य के सोनीपत जिले के खेरवा गांव में एक जाट परिवार में हुआ था सुमित बचपन से ही पहलवान बनना चाहते थे और पहलवानी सीखने के लिए सोनीपत के एक अखाड़े में प्रैक्टिस किया करते थे
सुमित भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त को अपनी प्रेरणा मानते हुए कुश्ती के क्षेत्र में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते थे लेकिन साल 2015 में सुमित ने 17 वर्ष की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में अपनी बाया पैर खो दिया इस तरफ सुमित का पहलवान बनने का सपना टूट गया
हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेल के क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया साल 2018 में सुमित की मुलाकात एशियन खेलों के सिल्वर मेडलिस्ट वीरेंद्र धनगर से हुई इसके बाद वीरेंद्र धनगर ने सुमित की मुलाकात जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के AFI एथलेटिक्स जैवलिन कोच नवल सिंह से करवाई और नवल सिंह ने सुमित के बॉडी स्ट्रक्चर को देखते हुए उन्हें जेवलिन थ्रो करने की सलाह दी
इसके बाद सुमित ने कोच नितिन जयसवाल से ट्रेनिंग लेते हुए कई नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और वहां गोल्ड मेडल जीते अब बात करते हैं सुमित के अचीवमेंट के बारे में सुमित ने साल 2019 मैं वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता और इसी के साथ सुमित ने टोक्यो पैरा ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया
मार्च 2021 में सुमित ने नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के F44 केटेगरी में 66.90 मीटर भाला फेंक कर नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया 30 अगस्त 2021 को टोक्यो पैरा ओलंपिक में F64 केटेगरी में सुमित ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया सुमित ने फाइनल में 68.55 मीटर भाला फेंक कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और साथ ही साथ भारत की झोली में गोल्ड मेडल भी डाल दिया.