- उसी से कब है हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए
- हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए
- हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए
- पर मां अकेली ही काफी है
- बच्ची की जिंदगी को स्वर्ग बनाने के लिए
प्रस्तावना:- मातृ दिवस मदर डे (Mother Day) मात्र और दिवस से मिलकर बना है मात्र का अर्थ होता है मां और दिवस का मतलब है दिन अर्थात मां का दिन जो पूरा मां पर समर्पित होता है और इसे हर साल मई माह के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है
मां: बच्चा का जब दुनिया में आता है तो उसका पहला रिश्ता उसके मां से होता है एक मां शिशु को पूरे 9 महीने अपनी कोख में रखने के बाद असहनीय पीड़ा सहते हुए उसे जन्म देती है और इसे दुनिया में लाते हैं इन 9 महीने में शिशु और मां के बीच एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता बन जाता है यह रिश्ता शिशु के जन्म के बाद साकार होता है और जीवन पर्यंत बना रहता है मां और बच्चे का रिश्ता इतना प्रमाढ और प्रेम से भरा होता है कि बच्चों को जरा सी तकलीफ होने पर भी मां बेचैन हो उठती है यह तकलीफ के समय बच्चा भी मां को की याद करता है मां का दुलार और प्यार भरी कुछ कार ही बच्चे के लिए दवा का कार्य करती है इसलिए ही ममता और स्नेह के इस रिश्ते को संसार का खूबसूरत रिश्ता कहा जाता है
हमारी मां हमारे लिए एक सुरक्षा कवच होती है क्योंकि वह हमें परेशानी से बचाती है कोई यदि परेशानी को हमें पता तक नहीं चलने देती है और हम चाहे जो कुछ कहे सब सुन लेती है मातृ दिवस के दिन हमें हमारे मां को खुश रखना चाहिए उसे कोई दुख नहीं देना चाहिए हमें उनकी हर आज्ञा का पालन करना चाहिए मां हमें जीवन में एक अच्छा इंसान बनता है देखना चाहती है इसलिए उसकी हर बात को मानना हमारा कर्तव्य है
कैसे हुई मदर डे की शुरुआत?
संसार महान व्यक्तियों के बिना रह सकता है, लेकिन मां के बिना रहना एक अभिशाप की तरह है इसलिए संस्कार मां का महिमा मंडन करता है कुत्ते गुणगान करता है इसके लिए मदर डे मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारे दिन निर्धारित है| अमेरिका में मदर डे की शुरुआत बीसवीं शताब्दी के आरंभ के दौरान में हुई विश्व के विभिन्न भागों में यह अलग-अलग मनाया जाता है
अच्छा तुम्हारा मदर डे का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में मदर डे मानने का उल्लेख है भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है लेकिन आज आधुनिक दौर मैं जिस तरह से मदर डे मनाया जा रहा है उसका रियाज भारत में बहुत पुराना नहीं है इसके बावजूद दो-तीन दशक से भी कम समय में भारत में मदर डे काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है
मां शब्द में ही समाहित है दुनिया की हर चीज
मातृ दिवस समाज में माताओं के प्रभाव व सम्मान का उत्सव है| मां शब्द मैं संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है मां के शब्दों में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है जो अनेक अनेक शब्दों में नहीं होती मां नाम है संवेदना इतनी ठंड क्यों भावना और एहसास का मां के आगे सभी रिश्ते बोने पड़ जाते हैं मातृत्व छत्रछाया में मां न केवल अपने बच्चों को सहजती
है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उसका सहारा बन जाती हैं
मातृ दिवस का आजकल हमारे भारत देश में भी प्रचलन बढ़ रहा है स्कूल कॉलेज में मातृ दिवस का आयोजन बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है इसका असर आजकल स्कूलों में दिखने लगा है और उसको मैं एक बड़ा मैं आपके लिए कार्यक्रम आयोजन किया जाने लगा है इस दिन बच्चे स्कूल में बहुत सी तैयारी करते हैं जिसमें शिक्षक उनकी मदद करते हैं सोचा मनाया जाता है कविता भाषा इत्यादि तैयार किया जाता है स्कूल की तरफ से सभी बच्चों की मां को निमंत्रण कार्ड भेजा जाता है हर करता है और सभी की मां भी बच्चों के साथ कविता पाठ नृत्य भाषण नाटक में हिस्सा लेती हैं और अपनी प्रतिभा दिखाती है| माय अपनी तरफ से स्कूलों में पकवान लेकर जाती है जिसे सब मिलकर खाते हैं इस प्रकार यह दिन पूरी तरह से स्कूल के मध्य मां और बच्चे पर ही केंद्रित होता है
मातृ दिवस को देवता तक मानते हैं इस हेतु मैं आपको एक कथा सुनाता हूं वह इस प्रकार है एक बार की बात है सभी देवता बहुत मुश्किल में थे मैं सभी देवता गण शिव जी की शरण में अपनी मुश्किलें लेके गए उस समय भगवान शिव जी के साथ भगवान गणेश और कार्तिकेय जी भी बैठे थे देवताओं की मुश्किल को लेकर शिव जी ने गणेश जी और कार्तिकेय मदद मांगी और एक प्रतियोगित करवाई उनके अनुसार जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा वही देवा देवताओं की मुश्किलों को दूर करेगा कार्तिकेय दी तो अपना वाहन लेकर निकल कर पृथ्वी की परिक्रमा करने गणेश जी आए और उन्होंने अपने माता पिता माता पार्वती के पास गए और उनके साथ परिक्रमा लगाने लगे अपने पति के सेवन से अपनी मां पार्वती जी ने पूछा कि पुत्र तुमने ऐसा क्यों किया जो भारत में धर्म का उदय कर रहे तब गणेश जी ने कहा कि माता-पिता मैं ही पूरा संसार होता है
तो मैं पृथ्वी की परिक्रमा क्यों करूं मेरा तो पूरा संसार ही उनके चरणों में है इस प्रकार जब देवता अपने माता पिता को हम आम इंसानों को भी अपने माता-पिता के चरणो में ही स्वर्ग समझना चाहिए
इस प्रकार मां हम आम इंसानों शत्रु के अलावा भगवान तक पूजनीय मां का स्थान कोई नहीं ले सकता महेश्वर तुल्ले होती है और उसी को एक स्थान दिलाने के लिए मातृ दिवस बहुत ही अच्छा दिन है जिस दिन मां को महत्व और उनके प्यार को हमें महत्त्व एक महत्वपूर्ण स्थान देते हुए पूरा दिन उनके साथ उनके नाम कर देना चाहिए| मां के लिए उनके चरणों में शीश नवाने तथा चरण स्पर्श का नमन का दिन है मातृ दिवस या (मदर डे)
समाज में मां के ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभाई मारुति सूरज चरैवेति चरैवेति का आह्वान है और उसी से तेजस्विता एवं व्यक्तित्व की आभा निरखती है उसका ताप मन की उम्मीदों को कभी जंग नहीं लगने देता| उसका हर संकल्प मुकाम का अंतिम चरण होता है