Lal Bahadur Shastri Birthday|lal bahadur shastri jayanti
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ. उनके पिता शारदा प्रसाद और मां रामदुलारी थी. लाल बहादुर शास्त्री जी का उपनाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था. लेकिन वह अपनी जाति को अंकित नहीं करना चाहते थे.
लाल बहादुर शास्त्री केवल 1 साल के थे तो उस समय उनके पिता का देहांत हो गया. फिर वह अपने ननिहाल यानी कि नाना के घर रहने लगे. अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री जी वाराणसी गए.
Lal Bahadur Shastri Education
1921 में जो महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की तब लाल बहादुर शास्त्री जी सिर्फ 17 साल के थे. जब महात्मा गांधी ने छात्रों को स्कूल और कॉलेज छोड़ने को कहा. तब लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी अपना स्कूल छोड़ दिया.
लाल बहादुर शास्त्री को असहयोग आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया. पर कम उम्र होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया. जेल से छूटने के तत्पश्चात लाल बहादुर शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ में 4 साल तक दर्शन शास्त्र की पढ़ाई की. वर्ष 1926 में उन्होंने शास्त्री की उपाधि प्राप्त कर ली.
काशी विद्यापीठ छोड़ने के बाद वह द सर्वेंट ऑफ द पीपल सोसाइटी से जुड़ गए. जिसकी शुरुआत 1921 में लाला लाजपत राय द्वारा की गई थी. इस सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षित करना था. जो अपना जीवन देश को समर्पित करने के लिए तैयार थे.
Lal Bahadur Shastri wife & children
1927 में लाल बहादुर शास्त्री का विवाह बाल ललिता देवी के साथ हुआ. सन 1930 में गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की लाल बहादुर शास्त्री इन आंदोलन से जुड़े उन्होंने लोगों को सरकार को भू स्वराज करों का भुगतान ना करने के लिए प्रेरित किया.
लाल बहादुर शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया गया और 2.5 साल के लिए जेल भेजा गया. जब शास्त्री जी जेल में थे तब वह पश्चिमी देशों के दार्शनिकों क्रांतिकारियों और समाज सुधारको के कार्य से प्रेरित हुए. जब शास्त्री जी जेल में थे तब एक बार उनकी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई.
आजादी में लाल बहादुर शास्त्री जी का योगदान
अधिकारियों ने उन्हें कुछ समय के लिए इस शर्त पर रिहा करने की सहमति जताई. कि वह यह लिख कर दे जेल से छूटने के बाद वह किसी भी क्रांति आंदोलन में भाग नहीं लेंगे. लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसा करने से बिल्कुल मना कर दिया. उनका मानना था कि लिखकर देना उनके आत्मसम्मान के खिलाफ हैं.
1939 में वर्ल्ड वार शुरू होने के दौरान सन 1940 में कांग्रेस ने आजादी की मांग करने के लिए एक जन आंदोलन प्रारंभ किया. लाल बहादुर शास्त्री को जन आंदोलन के खिलाफ फिर गिरफ्तार कर लिया गया. और 1 साल के बाद रिहा कर दिया गया. 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की शास्त्री जी ने भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया.
लाल बहादुर शास्त्री जी का राजनैतिक सफर
सन 1946 में हुए प्रांतीय चुनाव के दौरान अपनी कड़ी मेहनत से शास्त्री जी ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत को प्रभावित किया. लाल बहादुर शास्त्री की प्रशासनिक क्षमता और संगठन कौशल इस दौरान सबके सामने आया. जब गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. तब उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया.
1947 में शास्त्री जी पंत मंत्रिमंडल में पुलिस और परिवहन मंत्री बने. भारत के गणराज्य बनने के बाद यानी 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद. जब पहले आम चुनाव हुए तब लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस पार्टी के महासचिव थे. कांग्रेस पार्टी ने उस समय भारी बहुमत से चुनाव जीता.
1952 में जवाहरलाल नेहरू ने लाल बहादुर शास्त्री जी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेलवे और परिवहन मंत्री के रूप में नियुक्त किया. तृतीय श्रेणी के डिब्बों में यात्रियों को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने में लाल बहादुर शास्त्री जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने रेलवे में प्रथम श्रेणी और तृतीय श्रेणी के बीच विशाल अंतर को कम किया साल.
1956 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. जवाहरलाल नेहरु जी ने शास्त्री जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर शास्त्री जी अपने फैसले पर कायम रहे फिर अगली बार कांग्रेस द्वारा सत्ता में आई लाल बहादुर शास्त्री परिवहन और संचार मंत्री बाद में वाणिज्य और उद्योग मंत्री बना दिया गया. वर्ष 1961 में गोविंद बल्लभ पंत के देहांत के पश्चात लाल बहादुर शास्त्री जी गृह मंत्री बने.
लाल बहादुर शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत चीन युद्ध
सन 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1964 में जवाहरलाल नेहरू के मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी को देश का प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए आयोजित किया गया. यह एक मुश्किल समय था. और देश गंभीर परिस्थितियों से जूझ रहा था. देश में खाद्यान्न की कमी थी और पाकिस्तान सुरक्षा के मोर्चे पर बवाल खड़ा कर रहा था.
1965 में पाकिस्तान ने भारत का हमला कर दिया. कोमल स्वभाव वाले लाल बहादुर शास्त्री जी ने इस अवसर पर अपनी सूझबूझ और चतुराई से देश का नेतृत्व किया. सैनिकों और किसानों को उत्साहित करने के लिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया. उस समय पाकिस्तान को युद्ध मैं हार का सामना करना पड़ा और शास्त्री जी के नेतृत्व की प्रशंसा होने लगी.
जनवरी 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता के लिए लाल बहादुर शास्त्री और अयूब खान के बीच बातचीत हुए भारत और पाकिस्तान ने रूसी मध्यस्थ की तरफ नियुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया. संधि के दौरान भारत कब्जा किए गए सभी प्रांतों को पाकिस्तान को लौटाने के लिए सहमत हुए.
lal bahadur shastri death
10 जनवरी 1966 को संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर हुआ और उसी रात को दिल का दौरा पड़ने से लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हो गया.
who killed lal bahadur shastri
लेकिन जब ताशकंद से शास्त्री जी का शव लौटा वह नीला था. जिससे इस बात की आकांक्षा है कि उनकी जहर देकर हत्या की गई है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु दिए रहस्य है.
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