kalpana chawla Biography in Hindi : दोस्तों कल्पना चावला एक ऐसा नाम है जो ना ही आज तक हम भूले नहीं हैं और ना भूल पाएंगे. इन्होंने भारत का झंडा पूरी दुनिया मे स्पेस स्टेशन पर जाकर फहरा दिया. पहली ऐसी इंडियन वूमेन थी जो स्पेस में गई. राकेश शर्मा के बाद दूसरी बहुत ही ज्यादा जीनियस इंटेलिजेंट. 1 फरवरी 2003 का वह मनहूस दिन जब इनका स्पेस शटल पूरी तरह से तबाह हो गया. आज हम कल्पना चावला के ही बारे में उनकी जीवनी को याद करेंगे.
kalpana chawla education (प्रारंभिक शिक्षा)
कल्पना चावला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल करनाल से की थी. अपने सपने को साकार करने के लिए कल्पना चावला ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ में एरोनौटिकल इंजीनियरिंग पढने के लिए बी.इ. में दाखिला लिया. और सन 1982 में ‘एरोनौटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल कर ली.
इसके पश्चात कल्पना अमेरिका चली गयीं और सन 1982 में टेक्सास विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर करने के लिए दाखिला लिया. उन्होंने इस कोर्स को सन 1984 में सफलता पूर्वक पूरा किया.
उनके अन्तरिक्ष यात्री बनने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने सन 1986 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दूसरा स्नातकोत्तर भी किया. और उसके बाद कोलराडो विश्वविद्यालय से सन 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विषय में पी.एच.डी. भी पूरा किया.
कल्पना चावला करियर : first indian woman in space
कल्पना चावला एक प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक (flight instructor) थी. कल्पना चावला को हवाई जहाजों ग्लाइडरो और व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़न प्रशिक्षक का दर्जा हासिल था. उन्हें एकल बहु इंजन वयुयानो के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे.
कल्पना एक लाइसेंस प्राप्त तकनीशियन वर्ग की एमेच्योर रेडियो पर्सन थी जो कि संघीय संचार आयोग द्धारा प्रमाणित किया गया था.
एयरोस्पेस में अपनी कई डिग्री होने के वजह से कल्पना चावला कल्पना चावला को नासा में 1993 में अमेस रिसर्च सेण्टर में ओवरसेट मेथड्स इंक’ के उपाध्यक्ष के रूप में नौकरी मिली. वहां उन्होंने वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर रिसर्च की.
कल्पना चावला कल्पना चावला वर्टिकल शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग पर कम्प्यूटेशनल तरल गतिशीलता अनुसंधान में व्यापक रूप से शामिल थीं। 1995 तक वह नासा अंतरिक्ष यात्री कोर (एस्ट्रोनोट कॉर्प) का हिस्सा बन गई थी.
कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन | first indian women to go to space
कल्पना चावला कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा (एसटीएस-87) के बाद इससे जुड़ी गतिविधियां पूरी करने के बाद.
कल्पना चावला कल्पना चावला को एस्ट्रोनॉट कार्यालय में स्पेस स्टेशन पर कार्य करने की तकनीकी जिम्मेदारी सौंप दी गईं थी.
कल्पना चावला की लगन और मेहनत को देखते हुए बाद में उन्हें अंतरिक्ष मिशन की Top 15 की टीम में शामिल कर लिया गया. और देखते ही देखते उन 6 लोगो की टीम भी कल्पना चावला का नाम शामिल हो गया. जिनको अंतरिक्ष में भेजा जाना था.
इसी तरह कल्पना चावला के सपनों को अब पँख लग चुके थे कल्पना जी अन्तरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थी और अन्तरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थी. राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत (Soyuz T-11) अन्तरिक्ष यान में उडान भरी थी.
कल्पना जी ने अपने पहले मिशन में अन्तरिक्ष में 360 से अधिक घंटे बिताए. कल्पना जी ने अपने पहले मिशन में 10.67 मिलियन किलोमीटर का सफ़र तय कर के पृथ्वी की 252 परिक्रमाये की.
कल्पना चावला का दूसरा अंतरिक्ष मिशन
6 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन की शुरुआत की उन्हें इस मिशन में उन्हें लघुगुरुत्व (माइक्रोग्राइटी) प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसके लिए उन्होनें अपनी टीम के साथ 80 प्रयोग किए.
इन प्रयोगों के जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का भी अध्ययन किया गया.
आपको बता दें कि कोलंबिया अन्तरिक्ष यान के इस अभियान में कल्पना चावला Kalpana Chawla के साथ अन्य यात्री भी शामिल थे.
16 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया. यह 16 दिन का मिशन था.
इस मिशन पर Kalpana Chawla ने अपनी टीम के सभी साथियों के साथ मिलकर 80 परीक्षण प्रयोग किए. लेकिन फिर वह हुआ जिसे सोचकर सबकी आँखे भर आती है.
हाथों में फूल और गुलदस्ते लिए स्वागत के लिए खड़े विज्ञानिक और अंतरिक्ष प्रेमी सहित पूरा विश्व उस दुर्घटना को देखकर शौक में डूब गया.
अंतरिक्ष को धरती पर उतरने में महज 16 मिनट रह गए थे, तभी अचानक स्टल ब्लास्ट हो गया और कल्पना चावला के साथ सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए
कल्पना चावला मृत्यु : kalpana chawla death
भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई. अपने सभी यात्रिओ के उपरांत वापसी के समय.
1 फरवरी, 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया और देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों ख़ाक हो गए. नासा ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी.
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