1-20 Interesting Facts About jupiter in hindi
1.दोस्तों बृहस्पति ग्रह हमारे सोलर सिस्टम का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है.
2.इस ग्रह को देखने के लिए किसी यंत्र की जरूरत नहीं है.
3.आप इस ग्रह को खुली आंखों से भी देख सकते हैं.
4.बृहस्पति ग्रह का नाम रोमन देवता के राजा के नाम पर रखा गया है.
5.सातवीं या आठवीं सदी की एक मानव प्रजाति बेबी लाइन ने इस प्लेनेट को सबसे पहले देखा था.
6.जुपिटर ग्रह का चंद्रमा गेनीमेड सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा चांद है.
7.आज तक 8 स्पेस क्राफ्ट बृहस्पति का भ्रमण कर चुके हैं.
8.बृहस्पति ग्रह भी सूर्य का चक्कर लगाता है. चक्कर लगाने में उसे 4332 दिन लगते हैं.
9.बृहस्पति ग्रह हमारे पृथ्वी की तरह ठोस नहीं है यह ग्रह 90% हाइड्रोजन 10% हीलियम और कुछ मात्रा में मीठे पानी अमोनिया और चट्टानी कणों से मिलकर बना है.
10.बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी को विनाशकारी हमले से बचाता है.
11.बृहस्पति ग्रह का तापमान बहुत ही कम है. यदि आप बृहस्पति ग्रह पर जाओगे तो आपकी वहां पर कुल्फी बन जाएगी क्योंकि वहां का तापमान -145 सेल्सियस है.
12.बृहस्पति ग्रह पर कोई जमीन नहीं है, यह पूरी तरह से गैस के बादल से बना हुआ ग्रह है इसलिए यहां पर जीवन असंभव है.
13.यह ग्रह सबसे पुराने ग्रह में से एक है इसके जरिए पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में पता लगाया जा सकता है.
14.इस अनोखे ग्रह पर एक विशाल गड्ढा है. जिस में आग की लपटें निकलती रहती है.
15.बृहस्पति ग्रह चाहे कितना भी बड़ा हो लेकिन उसके घूमने की रफ्तार बहुत तेज है. यहां पर दिन और ग्रहों के मुकाबले छोटा होता है.
16.यह अपनी पूरी दूरी पर एक पूरा चक्कर लगाने में 9 घंटे 55 मिनट का समय लेता है.
17.बृहस्पति के विशाल आकार के बारे में यदि बात की जाए तो बृहस्पति हमारी आकाशगंगा का सबसे बड़ा ग्रह है.
18.यह इतना बड़ा है कि यदि सभी ग्रह को आपस में जोड़ दिया जाए तो उन ग्रह से बना एक संयुक्त ग्रह बृहस्पति ग्रह से छोटा रहेगा.
19.बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा की अभी सटीक जानकारी नहीं है. बृहस्पति ग्रह की कम से कम 64 चंद्रमा है और यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है.
20.बृहस्पति ग्रह चाहे गैसों से बना ग्रह हो लेकिन फिर भी यह पृथ्वी से 11 गुना ज्यादा भारी है. जैसे पृथ्वी के अंदर गुरुत्वाकर्षण बल है वैसे ही बृहस्पति ग्रह के अंदर भी गुरुत्वाकर्षण बल है.
20-40 Interesting Facts About jupiter in hindi
21.यदि बृहस्पति के ऊपर कोई सतह होती और हम उसके ऊपर खड़े होते तो बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण हमें अपना वजन 3 गुना ज्यादा प्रतीत होता.
22.बृहस्पति ग्रह की अपने ऑर्बिट घूमने की स्पीड है वह 13 किलोमीटर प्रति सेकंड की है जैसा कि मैंने बताया और सभी ग्रह से बड़ा है.
23.बृहस्पति का क्षेत्रफल पृथ्वी से 121 गुना ज्यादा है और इस ग्रह का आयतन हमारी 1321 पृथ्वी के बराबर है.
24.बृहस्पति का चुंबक क्षेत्रफल हमारे पृथ्वी की तुलना में 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली है.
25.बृहस्पति ग्रह और सूर्य के बीच की दूरी करीब 70 करोड़ 83 लाख 40 हजार 821 किलोमीटर है.
26.बृहस्पति ग्रह पर पिछले 350 सालों से एक बवंडर चलता रहा है. जो लाल बादलों से बना हुआ है. यह बवंडर इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वी समा सकती है.
27.चित्रों में देखने पर यह धब्बे के समान नजर आते हैं और इसे बृहस्पति की लाल आंख भी कहते हैं असल में यह उच्च दबाव का क्षेत्रफल है जिससे बादल कुछ ज्यादा ही ऊंचे हैं और वह आसपास के क्षेत्र से कुछ ज्यादा ही ठंडे हैं .

ऐसे ही कुछ अन्य छोटे-छोटे बवंडर बृहस्पति ग्रह पर उड़ते रहते हैं कई प्राचीन सभ्यताएं इस ग्रह के बारे में पहले से ही जानती थी हिंदू मान्यता के अनुसार बृहस्पति देवताओं का गुरु है.
रोमनो के अनुसार बृहस्पति शनि ग्रह का बेटा है और देवताओं का राजा है बृहस्पति ग्रह का वायुमंडल बादलों की कई परतों से बना हुआ है. हम जो बृहस्पति के चित्र देख पाते हैं वह इन बादलों के चित्र होते हैं. यह बादल विभिन्न तत्व से रासायनिक प्रक्रिया करके अपने रंग बदलते रहते हैं.
Interesting Facts About Great Red spot
28.बात है सन 1989 की नासा का वाइजेट टू स्पेस क्राफ्ट वह पहला मैन मेड ऑब्जेक्ट था जो सोलर सिस्टम के आखिरी प्लेनेट यानी कि नेपच्यून तक पहुंचा था. इससे पहले हम ने चीन के एक्जिस्टेंट के बारे में तो जानते थे. और टेलिस्कोप के थ्रू इसके कुछ ऑब्जर्वेशन भी की गई थी लेकिन हम कभी भी इसके डिटेल इमेजिंग या क्लोज ऑब्जरवेशन नहीं कर पाए थे.
29.वाइजेट टू ने देखा कि नेट चीजों की एक खूबसूरत नीले कलर के बॉल जैसा लगता है उसके सरफेस पर एक बड़ा सा काला धब्बा है यह डार्क स्पॉट और कुछ नहीं बल्कि एक जाएगेएंटीक स्टोन था.
30.यह स्टोन करीब 13000 किलोमीटर Length और 6000 किलोमीटर width मैं फैला हुआ था. लेकिन इसके सिर्फ 5 साल बाद जब हवल स्पेस टेलिस्कोप 9 नेपच्यून से ऑब्जर्व किया गया तो वहां पर कुछ भी नहीं था. मतलब कि वह डार्क स्पोर्ट पूरी तरह डीसीपीयर हो चुका था.
31.इसके कंपैरिजन में यदि हम बात करें जुपिटर के जायंट रेड स्पॉट की तो यह कम से कम 350 साल से जुपिटर के सरफेस पर एक्टिव है. अब जबकि जूपिटर पृथ्वी से काफी करीब है इसलिए हम इंसान भी इसकी ऑब्जर्वेशन लंबे समय से कर रहे हैं.
32.साल 1665 में इटली के एक एस्ट्रोनमर Giovanni Domenico Cassini ने सबसे पहले यह बताया था कि जुपिटर के सरफेस पर एक परमानेंट सपोट है. साल 1665 से 1713 तक इस रेड स्पॉट को लगातार ऑब्जर्व किया जाता रहा पर इसके बाद 100 साल से भी ज्यादा समय तक इस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया.
33.साल 1878 में एक बार फिर से इसकी ऑब्जर्वेशन शुरू की गई और वह आज भी कंटिन्यू है कुछ लोग मानते हैं कि संग 1665 में Cassini ने जो रेड स्पॉट देखा था वह एक दूसरा सपोर्ट था और 1878 से हम इंसान जो सपोर्ट देख रहे हैं वह अलग है बट मोस्ट साइंटिफिक कम्युनिटी यही मानती है कि यह असल में सपोर्ट एक ही है. और यदि ऐसा है इसका मतलब कि यह स्टोन कम से कम 355 सालों से तो वहां पर एक्जिस्ट करता है.
34.यह हमारे सोलर सिस्टम में ऑब्जर किया गया सबसे बड़ा लोंग लास्टिंग स्टोन है. जायंट रेड स्पोर्ट्स जुपिटर के Equator से करीब 22 डिग्री साउथ की ओर स्थित है. यदि हम धरती पर आए लंबे चलने वाले स्टोन की बात करें तो वह था साल 1994 में आया हरेकिंग जॉन यह करीब 31 दिनों तक रहा था और इसमें पेसिफिक ओशन में ऑलमोस्ट 13280 किलोमीटर ट्रेवल किया था.
35.अगर हम जूपिटर, सैटर्न और नेपच्यून जैसे प्लेनेट पर आने वाले जाएगेएंटीक स्टोन की बात करें तो यह तो उसके सामने कुछ भी नहीं था. वहां आने वाले स्टोन कुछ दिन नहीं बल्कि कई महीने और कई सालों तक एक्टिव रह सकते हैं लेकिन कैसे.
36.उन स्टोन में ऐसा क्या है जो हमारे धरती के स्टोन में नहीं है. well इसके बारे में जानने के लिए हमेशा से पहले यह जानना होगा कि धरती पर स्टोन का फॉरमेशन कैसे होता है. तो सबसे पहले यह जानते हैं स्टोन या हरिकेन मोस्टली ट्रॉफी रेजर के ओशन में बनते हैं.
37.यहां पर पानी काफी गर्म होता है और साइन लाइट के कारण यहां का वार्म वॉटर वेपर में कन्वर्ट हो जाता है. जो ऊपर की ओर क्लाउड का फॉरमेशन करता है यह क्लाउड उस जगह पर हिट को इनक्रीस करते हैं और कुछ सर्टेन कंडीशन में इस एरिया में गर्म हवा ऊपर की ओर जाने लगती है और ठंडी हवा नीचे की ओर जाती है.
38.अब क्योंकि धरती अपने एक्सेस पर घूम रही है तो आसपास की हवा हाई प्रेशर से उस लो एरिया प्रेशर की ओर ट्रैवल करने लगती है और यह विंड एक सर्कुलर मोशन करते हुए आगे बढ़ने लगते हैं. लेकिन जूपिटर पर आप जिस जायंट रेड स्पॉट को देखते हैं वह असल में एक एंटीसाइक्लोन है.
39.साइक्लोन और एंटीसाइक्लोन में डिफरेंट बस इतना सा होता है साइक्लोन लो एरिया के प्रेशर में बनते हैं. जबकि एंटीसाइक्लोन हाई प्रेशर एरिया में आगे बढ़ने से पहले मैं आपके एक और कंफ्यूजन को दूर करना चाहता हूं, यहां पर जब मैं स्टॉम हरिकेन यह साइक्लोन की बात कर रहा होता हूं तो मेरा मतलब एक्चुअली में एक ही चीज से होता है.
40.यह नाम बस धरती पर अलग-अलग एरिया से स्टार्ट होने वाले स्टॉम को दिए गए हैं. बाकी सब का बेसिक कॉन्सेप्ट सेम ही होता है अब जैसा कि आप जानते हैं कि जुपिटर पर कोई जमीन नहीं है और वह एक गैस जॉइंट है. इस कारण उसके अलग-अलग लेयर अलग-अलग डायरेक्शन में मूवमेंट कर सकती है. जैनड्राइव स्पोर्ट्स की दोनों तरफ अपॉजिट डायरेक्शन में दो जेड स्ट्रीम तेजी से ट्रेवल कर रही है.
40-50 Interesting Facts About jupiter in hindi
41.इन्हीं की वजह से स्टॉम सर्कुलर मोशन कर रहा है बट यह उसे आगे ना ले जाते हुए एक ही जगह पर लगातार घुमाते रहती है. हमारे धरती पर स्टॉम को हिट सनलाइट की मदद से मिलती है. जो नॉरमल कंडीशन में 30 से 35 डिग्री सेल्सियस होती है. बट जुपिटर के स्टॉम को पावर मिलती है इसके कोर के हिट से यहां का टेंपरेचर लगभग 50000 डिग्री सेल्सियस है मतलब की यह स्टॉम बेहद पावरफुल होते हैं.
42.हमारे धरती का एक स्पेशल कैरेक्टर यह है की यहां जमीन भी है. जब धरती के हरिकेन समुंदर के किनारे वाली जमीन से टकराते हैं तो यह अपने आप ही कमजोर पढ़कर खत्म हो जाते हैं पर जुपिटर पर ऐसा कुछ भी नहीं है. यहां पर जमीन ना होने के कारण हरिकेन लोंग लास्टिंग होते हैं और कई 100 सालों तक एक्टिव रहते हैं.
43.साल 1996 में ऑस्ट्रेलिया के पोस्ट साइक्लो ओलिविया के दौरान विंड स्पीड 408 किलोमीटर पर आवर रिकॉर्ड की गई थी. जो कि धरती पर हाईएस्ट विंड स्पीड रिकॉर्ड है.
44.अभी हाल ही में हमफान साइक्लोन की हाईएस्ट रिकॉर्डिंग विंड स्पीड 260 किलोमीटर पर आवर की थी लेकिन यदि बात की जाए जुपिटर की जॉइंट रेड स्पॉट की तो इसकी स्पीड 680 किलोमीटर पर आवर पहुंच सकती है.
45.अब आपको भी यह इमेजिन कर सकते हो की जब हमफान साइक्लोन इतनी ज्यादा तबाही कर सकता है तो रेड ज्वाइंट सपोर्ट कितनी ज्यादा स्ट्रांग और खतरनाक है. अब आप सोच रहे होंगे कि जुपिटर की रेड जॉइंट सपोर्ट इतनी ज्यादा खतरनाक है तो हम जो पहले नेपच्यून की डार्क स्पॉट के बारे में बात कर रहे थे वह इतनी खतरनाक क्यों नहीं है और वह इतनी जल्दी खत्म कैसे हो गई तो आपके इंफॉर्मेशन के लिए हम बता दे नेपच्यून का डार्क स्पॉट तो जुपिटर के रेड स्पॉट से भी कई गुना ज्यादा स्ट्रांग है.
46.इसकी विंड स्पीड 2000 किलोमीटर प्रति घंटे की है किंतु यह ऑपोजिट जेट स्ट्रीम के कारण मोशन नहीं करता है इसलिए यह लगातार आगे बढ़ता रहता है ना कि यह केवल एक ही जगह पर बना रहता है इसलिए यह दूसरी ओर चल रही विंड से टकराता रहता है और समय के साथ साथ विक होकर खत्म हो जाता है.
47.आप में से बहुत से लोग यह सोचते हैं कि क्या जुपिटर का रेड स्पॉट धीरे-धीरे खत्म हो रहा है तो इसका जवाब है हां 19वीं शताब्दी के अंत में जब इस रेड ज्वाइंट सपोर्ट का अंदाजा लगाया गया था तो यह करीब 40000 किलोमीटर lenth और 14000 किलोमीटर width का था मतलब उस समय तो पृथ्वी ऐसे दो ग्रह तो उसके अंदर समा ही सकते थे लेकिन जब 1989 में वाईजेड 2 वहां गया तब इसकी साइज लगभग आधी बची थी.
48.इसके बाद हुई ऑब्जरवेशन से यह सामने आया जुपिटर का रेट ज्वाइंट सपोर्ट हर साल करीब 1000 किलोमीटर के एरिया के रेडियस से छोटा होता जा रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो साल 2030 से 2040 के बीच यह पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
49.यदि आप हमसे इसका रीजन पूछोगे तो हमारे पास इसका जवाब नहीं है रेड जेंट्स स्पोर्ट की श्रिंक होने की प्रोसेस कई सालों से ऑब्जरव की जा रही है लेकिन अभी तक इसका वैलिड रीजन समझ में नहीं आया है. हो सकता है कि यह जुपिटर के इन्वायरमेंट में हो रहे कुछ अननोन चेंज के कारण हो रहा हो.
50.हम इंसान तो मौसम विभाग की सही जानकारी भी एक्यूरेट नहीं कर पाते हैं फिर तो वह तो जुपिटर है लेकिन इससे एक बात जरूर समझ में आती है और वह यह है कि अभी भी हमारे सोलर सिस्टम में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिसके बारे में नॉलेज हमारे पास ना के बराबर है इस हसीन ब्रह्मांड में रहस्य की कोई कमी नहीं है लेकिन एक बात बताऊं यही बात हमारे ह्यूमन क्रियोसिटी पर भी लागू होती है.
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