Indian scientists and their inventions: विज्ञान जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है. भारत एक विकासशील देश के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक विशाल इतिहास है.
कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर आर्यभट्ट की संख्या की अवधारणा तक, वैदिक नारों ने महान भारतीय वैज्ञानिकों (indian scientist) के लिए कई ऐसे संदर्भों का उल्लेख किया है.
Famous indian scientists of india
चंद्रशेखर वेंकट रमन | c v raman

C.V रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तिरुचिरापल्ली में हुआ. रमन कम उम्र में ही विशाखापट्टनम आ गए और 11 साल की उम्र में अपने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की.
उन्होंने अपनी F.A परीक्षा जो कि आज के इंटरमीडिया परीक्षा के बराबर है को मात्र 13 साल की उम्र में छात्रवृत्ति के साथ उत्तीर्ण कर लिया था.
वह पहले एशियाई और पहले गैर श्वेत व्यक्ति थे जिन्हें विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के लिए चुना गया था.
सन 1954 में इन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इन्होंने अपने आविष्कार रमन प्रभाव के लिए सन 1930 में नोबेल पुरस्कार जीता था.
रमन ने संगीत वाद्य यंत्र की धुनकी पर भी काम किया. वह तबला और मृदंगम जैसे भारतीय वाद्य यंत्र की ध्वनि की हार्मोनइक प्रकृति को जांच करने वाले पहले व्यक्ति थे.
रमन का मानना था कि हमें प्रश्न पूछने के लिए कोई भी हिचक और भय नहीं होना चाहिए. वह कहते थे ”आस्क द राइट क्वेश्चन एंड नेचर विल ओपन द डोर तू हर सेक्रेट्स”
होमी जहांगीर भावा | homi jehangir bhabha

मुंबई में सन 1909 को जन्में होमी जहांगीर भावा ने क्वांटम थ्योरी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भावा भारतीय परमाणु ऊर्जा के पिता के रूप में भी विख्यात हुए हैं.
इसके अलावा उन्हें अल्प यूरेनियम भंडार की वजाय देश के विशाल थोरियम भंडार से ऊर्जा बनाने की ध्यान केंद्रित करने की रणनीति तैयार करने का श्रेय जाता है.
भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बनने वाले वह पहले व्यक्ति थे. उन्होंने भारत में भावा परमाणु अनुसंधान संस्थान यानी कि bhaba atomic research center और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान यानी tata Institute of of fundamental research जैसे वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना करके देश के वैज्ञानिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
एम. विश्वेश्वर्या | m. visvesvaraya : father of civil engineering

सन 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित विश्वेश्वर्या भारतीय इंजीनियर विद्वान और एक कुशल राजनेता थे.
किंग जॉर्ज वी ने जनता की भलाई के लिए उनके योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के एक नाइट कमांडर की उपाधि दी थी.
सन 1912 से सन 1918 के दौरान वह मैसूर के दीवान भी थे उनके दो अविष्कार प्रसिद्ध हुए हैं. ऑटोमेटिक स्ल्यूस गेट और ब्लॉक इरिगेशन सिस्टम इन्हें अभी भी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में चमत्कार माना जाता है. क्योंकि रिवर बैंड महंगे थे तो उन्होंने सन 1895 में कलेक्टर वेल्स के माध्यम से पानी फिल्टर करने का एक कारगर तरीका खोज लिया जो शायद ही कभी दुनिया में कहीं देखा गया था.
उन्होंने हैदराबाद के शहर के लिए एक बाण परीक्षा प्रणाली शुरू की है. जिसका उन्हें विशिष्ट सम्मान मिला उनके जन्मदिवस पर 15 सितंबर को उनकी समृद्ध में भारत में अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
श्रीनिवास रामानुज | srinivasa ramanujan : father of mathematics

श्रीनिवास रामानुज ने गणित में लगभग कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था. लेकिन उन्होंने गणितीय विश्लेषण संख्या सिद्धांत और अनंत श्रृंखला के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया.
रामानुज ने शुरू में अपने ही गणितीय शोध विकसित की और इसे जल्द ही भारतीय गणितज्ञ द्वारा मान्यता दी गई थी. अपने अल्प जीवनकाल के दौरान रामानुज ने स्वतंत्र रूप से लगभग 3900 परिणाम प्राप्त किए उनके लगभग सभी गावे सही सिद्ध हुए हैं.
रामानुज ने अपने मुल और अत्यधिक आपरंपरागत परिणाम जैसे रामानुज प्राइम और रामानुज थीटा फंक्शन से आगे के अनुसंधान को प्रेरित किया है. रामानुज के स्कूल के प्रधानाध्यापक कृष्णस्वामी अय्यर के अनुसार रामानुज एक ऐसा उत्कृष्ट छात्र था जो कि अधिकतम सभी अधिकतम अंक प्राप्त करने का हकदार था.
रामानुज का मानना था ”an equation for me has no meaning unless it represent a thought of God” रेवेन्यू विभाग में नौकरी की इच्छा लिए रामानुज रामा स्वामी अय्यर से मिले रामानुज ने उन्हें अपनी गणित की नोट बुक दिखाइए.
अय्यर ने रामानुज को याद करते हुए कहा है कि मैं रामानुज की गणेश से इतना प्रभावित था कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट के निचले पद पर रामानुज को नियुक्त कर उनके प्रतिभा का अपमान करना नहीं चाहता था.
एस चंद्रशेखर | subrahmanyan chandrasekhar

सुब्रमण्यन चंद्रशेखर भारतीय मूल के अमेरिकी खगोल विज्ञान प्रोफेसर चंद्रशेखर को संरचना और सितारों के विकास की महत्वपूर्ण प्रतिक्रियो पर अपने अध्ययन के लिए सन 1983 में भौतिकी में नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया.
उन्होंने विलियम फ्लावर के साथ इसे साझा किया था. चंद्रशेखर ने गणित के माध्यम से सितारों का विकास का अध्ययन किए जिनके माध्यम से बड़े पैमाने पर सितारे और ब्लैक होल के वर्तमान सिद्धांत मॉडल बनाए गए हैं. चंद्रशेखर सीमा का नाम उनके नाम पर ही रखा गया है.
जगदीश चंद्र बोस | jagadish chandra bose inventions

30 नवंबर सन 1858 को विक्रमपुर पश्चिम बंगाल में जन्मे जगदीश चंद्र बोस बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वह एक भौतिक विज्ञानी जीव विज्ञानी वनस्पति शास्त्री और पुरातात्विक वैधता थे. उन्होंने भारत में रेडियो और माइक्रोवेव प्रकाशिकी की नीव रखी.
उन्होंने पौधे के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में प्रायोगिक विज्ञान की शुरुआत की. वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पहली बार रेडियो संकेतों का पता लगाने के लिए सेमीकंडक्टर जंक्शन उपयोग कर वायरलेस कम्युनिकेशन को प्रदर्शित किया.
वह ओपन टेक्नोलॉजी के पिता के रूप में जाने गए हैं क्योंकि उन्होंने अपने अविष्कार और अपने कार्य को स्वतंत्र रूप से दूसरों के लिए उपलब्ध कराया.
अपने काम के लिए पेटेंट के प्रति उनके अनिच्छा विश्व प्रसिद्ध है. उनके प्रसिद्ध अविष्कारों में से एक है गिरीश को ग्राफ जिसके माध्यम से विभिन्न उत्तेजना के प्रति पौधे की प्रतिक्रिया को मापा और यह धारणा स्थापित की कि पौधे दर्द महसूस कर सकते हैं और स्नेह को समझ सकते हैं.
विक्रम साराभाई | vikram sarabhai

विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता था. वह एक महान संस्थान था जिसने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संस्थानों की स्थापना की या मदद की. उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
1947 में कैम्ब्रिज से स्वतंत्र भारत लौटने के बाद उन्होंने अहमदाबाद में घर के पास एक शोध संस्थान को बंद करने के लिए अपने परिवार और दोस्तों द्वारा नियंत्रित धर्मार्थ ट्रस्टों को राजी किया. इस प्रकार विक्रम साराभाई ने 11 नवंबर, 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की.
सलीम अली | Salim Ali

सालिम अली जो अब तक के सबसे महान पक्षीविदों और प्रकृतिवादियों में से एक हैं. उन्हें “भारत का पक्षी” भी कहा जाता है. वे भारत और विदेशों में व्यवस्थित पक्षी सर्वेक्षण करने वाले पहले वैज्ञानिकों में से एक थे.
उनके शोध कार्य को पक्षीविज्ञान के विकास में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है. उन्होंने 1930 में बुनकर पक्षी की प्रकृति और गतिविधियों पर चर्चा करते हुए एक शोध पत्र प्रकाशित किया.
लेख ने उन्हें प्रसिद्ध किया और पक्षीविज्ञान के क्षेत्र में उनका नाम स्थापित किया. सलीम ने पक्षी सर्वेक्षण करने और विस्तृत अवलोकन करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा की.
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