Made in india Products : भारत में विदेशी ब्रांड के बढ़ती मांग को देखते हुए इंडियन कंपनियों ने अपने बिजनेस को चमकाने के लिए एक नया तरीका अपनाया इन भारतीय कंपनियों ने अपने नए ब्रांड को फ्रेंच और इटालियन नाम से शुरू किया. आज बहुत से ऐसे इंडियन ब्रांड है जिनकी नाम के वजह से इंटरनेशनल समझते हैं, दरअसल वह है इंडियन. ऐसे ही आज हम आपको इंडियन ब्रांड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लोग विदेशी समझते हैं.
Indian Clothing Brands
Louis Philippe
लुइस फिलिप की स्थापना मधुरा फैशन एंड लाइफ़स्टाइल ने की थी. मेन्स के लिए फ़ैशनेबल कपड़े बनाने वाली इस कंपनी को आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी Madura Fashion & Lifestyle ने 1989 में शुरू किया था.
इस कंपनी का नाम फ्रांस के राजा लुईस फ्लिप के नाम से प्रेरित होकर रखा गया है. लुइस फिलिप के वस्त्र 125 दुकानों पर उपलब्ध हैं और प्रसिद्ध यूरोपीय वास्तुकार जॉन मार्सला द्वारा बनाए गए विशेष एलपी स्टोर में ब्रांड सभी प्रमुख मेन्सवियर और डिपार्टमेंट स्टोर में खुदरा बिक्री में अग्रणी बना हुआ है.
रिटेल अनुभव को मदुरा फैशन एंड लाइफस्टाइल की रिटेल चेन प्लैनेट फैशन द्वारा आगे बढ़ाया गया है. लुई फिलिप ने एलपी और लक्सुरे सहित उप-ब्रांड भी लॉन्च किए. लुई फिलिप द्वारा एल.पी. में शर्ट ट्राउजर टी-शर्ट सूट जैकेट और सहायक उपकरण की एक रोमांचक श्रृंखला है.
जिसमें एक युवा अलमारी है लक्स्योर, कृति संग्रह, परिष्कृत पारखी के लिए सारगर्भित लालित्य देने के लिए बनाया गया था. लुई फिलिप ने हाल ही में फ़ुटवियर सेगमेंट में एक फ़ॉरेस्ट बनाया जो 40 से अधिक रोमांचक डिजाइनों की पेशकश करता है. जो फॉर्मल मार्केट में एक अद्वितीय चौड़ाई में है.
Peter England

पीटर इंग्लैंड की शुरुआत मथुरा फैशन एंड लाइफ़स्टाइल ने की थी. यह कंपनी आदित्य बिरला फैशन एंड लाइफ़स्टाइल की डिवीजन है. इंडिया में पुरुषों का प्रधान का जाना पहचाना नाम है. आयरलैंड में स्थापित इस कंपनी का मालिकाना हक भी आदित्य बिरला ग्रुप के पास है. 1997 में इसे Madura Fashion & Lifestyle ने शुरू किया था.
Allen Solly

Allen Solly एक क्लॉथिंग ब्रांड है जो आदित्य बिरला ग्रुप के अंदर आता है. एलेन सॉली यह जो ब्रांड है यह विलियम हॉलीन ने 1774 में चालू किया था. और यह ब्रांड मधुरा गारमेंट्स ने खरीद लिया 1990 में. और उस टाइम पर मधुरा गारमेंट्स मधुरा कोर्ट का पार्ट था जो थ्रेड बनाने में एक बहुत बड़ा नाम था.
इसके अलावा आदित्य बिरला ग्रुप में इस ब्रांड को 2001 में स्क्वायर कर लिया. इनके जो प्रोडक्ट हैं वह है फॉर्मल शर्ट, फॉर्मल ट्राउज,र कैजुअल शर्ट, जींस, ट्राउजर एक्स्ट्रा.
Monte Carlo

मोंटे कार्लो फैशन लिमिटेड अपने परिधान उत्पादों को मोंटे कार्लो के ब्रांड नाम के तहत बेच रही है. जो 1984 में ओसवाल वूलेन मिल्स लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया था. और इसका स्वामित्व लुधियाना पंजाब में स्थित मूल कंपनी नाहर ग्रुप के पास है.
श्री जवाहर लाल ओसवाल कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. मोंटे कार्लो 2,500 से अधिक मल्टी-ब्रांड आउटलेट, 600 बड़े प्रारूप स्टोर और ईकॉमर्स पार्टनरशिप के साथ अपनी मजबूत खुदरा उपस्थिति पर पनपता है. यह ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों बर्फी, मैरी कॉम, भाग मिल्खा भाग और स्टूडेंट ऑफ द ईयर के लिए भी कपड़े के साथी थे.
Van Huesen

यूएसए और इंडिया में फ़ेमस इस फ़ैशन ब्रांड को 18वीं सदी में Phillips Family ने स्थापित किया था. अब इसके मालिक आदित्य बिरला ग्रुप है. ज्यादा तर तो गारमेंट्स कंपनी आदित्य बिरला की है, जिन्होंने मार्केट में ऐसी छवि बना रखी है जैसे लगता है कि यह सारे ब्रांड फॉरेन ब्रांड है. आज से पहले आपको भी यही लगता था लेकिन दोस्तों यह कंपनी भी आदित्य बिरला ग्रुप की है.
American Swan

पुरुषों और महिलाओं के लिए फैशन और जीवन शैली ब्रांडों की पेशकश करने का इरादा एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म कंपनी का मंच परिधान सहायक उपकरण जूते सौंदर्य और सुगंध और घरेलू उत्पादों की एक विशिष्ट श्रृंखला प्रदान करता है.
जिससे ग्राहकों को एक महत्वाकांक्षी ग्लैमरस और संयमित जीवन शैली मिल सकेगी इसका मालिकाना हक The American Swan Lifestyle Company के पास है जो वास्तव में एक भारतीय कंपनी है.
HiDesign

दुनिया भर में फैली 3000 की एक कंपनी के लिए दो आदमी कार्यशाला की अपनी कारीगरों की जड़ों से Hidesign शिल्प कौशल की अपनी मजबूत विरासत के आधार पर ध्यान केंद्रित किया है. Hidesign अपने उच्च गुणवत्ता वाले चमड़े की कामुक स्वाभाविकता और अपने चमड़े के सामानों में ठोस पीतल फिटिंग की चिकनी नरम चमक के लिए खड़ा है.
Hidesign अपने चमड़े के सामान के लिए वनस्पति tanned leathers के पारिस्थितिक उपयोग के अनुसंधान में एक मान्यता प्राप्त नेता है. प्राकृतिक बीज और छाल के साथ टैनिंग के सदियों पुराने कौशल से सीखते हुए हिडसाइन ने फैशनेबल चमड़े बनाए हैं. जो असाधारण रूप से अच्छी तरह के हैं.
ठीक हाथ शिल्प कौशल की विरासत विवरणों में दिखाई देती है. जो हडसाइन उत्पादों को बाहर और अन्य बनाती हैं. लेदर से बने उत्पाद बनाने के लिये ये कंपनी प्रसिद्ध है. इसके मालिक हैं दिलीप कपूर. इन्होंने इसकी स्थापना 1978 में की थी.
Da Milano

1989 में स्थापित, दा मिलानो की स्थापना साहिल मलिक के पिता द्वारा की गई थी. दिल्ली के बाजार में सिर्फ एक स्टोर के साथ शुरू हुआ यह ब्रांड साहिल मलिक दा मिलानो के नियंत्रण में 60 स्टोर चलाने का दावा करता है.
निफ्ट में अपने फैशन डिजाइनिंग को पूरा करने के बाद वह 2000 में अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ गए. उन्होंने उस समय चमड़े के सामान की दुकानों की एक श्रृंखला स्थापित करने का निर्णय लिया. जब भारतीय खुदरा बाजार में क्रांति हुई थी ये कंपनी लेदर से बने उत्पाद बनाती. इसे 1936 में मलिक फै़मिली ने शुरू किया.
indian car brands
Jaguar Cars

टाटा मोटर्स एक भारतीय मोटर वाहन निर्माता है. जिसका मुख्यालय मुंबई में है और इसका स्वामित्व टाटा समूह के पास है जो उद्योगों में आतिथ्य इस्पात और दूरसंचार के रूप में विविध रूप में शामिल है. जगुआर कार और लैंड रोवर दोनों को 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा खरीदा गया था.
2013 में पूरी तरह से जगुआर लैंड रोवर लिमिटेड में शामिल हो गया. टाटा मोटर्स वाणिज्यिक वाहन खंड और यात्री वाहन खंड में दुनिया भर में कई अन्य मोटर वाहन संचालन का मालिक है.
Tata Motors, Tata Group से संबंधित है जिसे मूल रूप से 1868 में एक ट्रेडिंग कंपनी के रूप में शुरू किया गया था. अपने शुरुआती दिनों में टाटा समूह 1907 में बिजली के साथ भारत का पहला होटल,पश्चिमी भारत का पहला हाइड्रो पॉवरप्लांट और 1911 में भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना जैसे मील के पत्थर के लिए जाना जाता था.
Royal Enfield

रॉयल एनफील्ड की स्थापना साल 1893 में हुई थी. तब इसे एनफील्ड साइकिल कंपनी के नाम से जाना जाता था. साल 1901 में एनफील्ड साइकिल ने अपनी पहली मोटरसाइकिल का निर्माण किया था. भारतीय सेना और पुलिस द्वारा इस बाइक का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है.
इस ब्रिटिश कंपनी पर अब भारतीय कंपनी आयशर मोटर्स का कब्जा है. आयशर मोटर्स ने साल 1994 में इस कंपनी को खरीद लिया था. और तब से ये रॉयल एनफील्ड इंडिया के नाम से जानी जाती है. Enfield India Ltd इसकी ओनर है. इसे 1955 में भारत में शुरू किया गया था.
Lakme :luxury brands

लक्मे एक भारतीय कॉस्मेटिक्स ब्रांड है, जिसका मालिकाना हक अब हिंदुस्तान यूनीलिवर के पास है. भारत में कॉस्मेटिक ब्रांड में लक्मे नंबर वन है. लक्मे की शुरुआत भारत में टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा ऑयल मिल्स (टोम्को) ने 1952 में की थी.
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जेआरडी टाटा से भारत में ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने का आग्रह किया था. क्योंकि वह भारतीय महिलाओं द्वारा इंपोर्टेड ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर बढ़ते खर्च से खासे चिंतित थे. जिसकी वजह से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च हो रही थी. 1996 में टाटा ने लक्मे को 200 करोड़ रुपए में हिंदुस्तान यूनीलिवर को बेच दिया.
East India Company

ईस्ट इंडिया कंपनी सन 1600 में बनाई गई थी. उस वक़्त ब्रिटेन की महारानी थीं एलिज़ाबेथ प्रथम जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को एशिया में कारोबार करने की खुली छूट दी थी. मगर वक़्त ने ऐसी करवट ली कि ये कंपनी कारोबार के बजाय सरकार बन बैठी.
एक दौर ऐसा भी था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्ज़े में एशिया के तमाम देश थे. इस कंपनी के पास सिंगापुर और पेनांग जैसे बड़े बंदरगाह थे ईस्ट इंडिया कंपनी ने ही मुंबई कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों की बुनियाद रखी. ये ब्रिटेन में रोज़गार देने का सबसे बड़ा ज़रिया थी. अब इसके मालिक संजीव मेहता हैं जो एक भारतीय हैं.
Franco Leone

फ्रेंको लियोन ब्रांड को पुरुषों के लिए औपचारिक जूते के बाजार के रूप में मान्यता प्राप्त है. पुरुषों के फुटवियर सेगमेंट में रुझान और ड्राइविंग नवाचारों की स्थापना के लगभग एक दशक के बाद फ्रेंको लियोन जूते, फ्रेंको लियोन कम्फर्ट क्लब और क्लासिक औपचारिक संग्रह प्रदान करते हैं. जो विशेष रूप से युवा कार्यालय जाने वाले अधिकारियों के लिए लक्षित हैं.
भारतीय स्वाद और आकांक्षाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय डिजाइन शैली और फैशन का सम्मिश्रण करते हुए फ्रेंको लियोन पुरुषों के जूते में सबसे अच्छी और नवीनतम पेशकश कर रही है. जो लचीली कीमत सीमा में भारतीय बाजार में है. विशाल भांबरी ने इस फ़ैशन ब्रांड को शुरू किया था 1989 में.
Munich Polo : indian clothing brands

म्यूनिख पोलो एक स्पष्ट जर्मन विरासत के साथ एक प्रीमियम किड्स-वियर ब्रांड है? गलत यह उन भारतीय ब्रांडों में से एक है जिन्हें अपने उत्पादन के लिए यूरोपीय आवाज़ वाले नामों को तरजीह देने की भारतीय मानसिकता से अपील करनी थी. बच्चों के कपड़े बनाने वाली इस कंपनी का मालिकाना हक Munich Polo लिमिटेड कंपनी के पास है. ये भी एक भारतीय कंपनी है.
Flying Machine

कपड़ा बनाने वाली कंपनी अरविंद लाइफस्टाइल ब्रांड्स लिमिटेड के स्वामित्व वाले इस ब्रांड को 2022 तक राजस्व में रु 1,000 करोड़ की उम्मीद है, जो कि चालू रु 75 करोड़ से ऊपर है सिर्फ इतना ही नहीं. फ्लाइंग मशीन भी एक पुरुष केंद्रित के खिलाफ एक युवा फैशन ब्रांड के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए एक बोली में अपने महिलाओं के उत्पादों की रेंज को फिर से शुरू करने की योजना बना रही है. Arvind Limited इसकी पेरेंट कंपनी है जिसके सीईओ संजय लालभाई है ये डेनिम के प्रोडक्ट्स बनाती है.
And Designs
कोलकाता में कंपनी के मुख्यालय में ला ओपाला के नवीनतम उत्पादों- डिनर सेट के साथ-साथ कप और सॉसर का एक शानदार प्रदर्शन कठिन है. अप्रैल के रूप में सम्मेलन कक्ष की बड़ी खिड़कियों के माध्यम से सूरज की रोशनी दूधिया सफेद ओपल ग्लास खाने की प्लेटों की एक बड़ी व्यवस्थित पंक्ति स्टैंड पर आयोजित, रोशनी में चमक ओपल ग्लास से बनी भारत की पहली और सबसे बड़ी निर्माता क्रॉकरी के रूप में. हड्डी की राख के अलावा सफेद से निर्मित एक गर्मी प्रतिरोधी सामग्री- ला ओपाला इसके उत्पादन वाले ग्लास से अपना नाम प्राप्त करती है. ओपल ग्लास का उत्पादन पहली बार फ्रांस में हुआ था और हम फ्रांसीसी कनेक्शन स्थापित करना चाहते थे. अजीत झुनझुनवाला कहते हैं जो कि करोड़ रुपये की दूसरी पीढ़ी का राजस्व (राजस्व द्वारा) कारोबार है.
Larsen and Toubro Limited

एल एंड टी यह नाम सुनकर आपको ऐसा लगेगा कि यह कंपनी यूएस, यूके या जर्मनी की है. मगर यह बात सुनकर आप चौक जायेंगे की (l&t) शुद्ध रूप से भारतीय कंपनी है. जैसे कि टाटा और रिलायंस है और इसका हेड क्वार्टर मुंबई में लोकेटेड है.
दोस्तों आप यकीन नहीं करोगे कि दिल्ली का फेमस लोटस टेंपल, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई एयरपोर्ट आईसीसीआई बिल्डिंग, जैसे सुंदर इमारतें l&t ने ही बनाया है. दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति जो भारत में बनी है स्टैचू ऑफ यूनिटी इसे भी l&t ने बनाया है.
l&t ने भारत के विकास में अपना अमूल्य साथ दिया है जैसे कि भारत का पहले निकले समृद्धि अरिहंत मंगल यान और चंद्रयान मैं भी अपना सहयोग दिया है. आपको पता चल ही गया होगा कि भारत के लिए l&t कितने महत्वपूर्ण कंपनी है. तो दोस्तों चलिए जानते हैं यह अंग्रेजी नाम वाली कंपनी एक भारतीय कंपनी कैसे बनी read more.
Cafe Coffee Day : made in india products

Coffee Day Enterprises Limited ने इसे भारत में 1996 में शुरू किया था. जिनके फाउंडर है सिद्धार्थ इनका जन्म कर्नाटक के चिकमंगलूर में कॉफी की खेती करने वाले परिवार में हुआ था. 140 साल से कॉफी की खेती करने वाले परिवार में जन्म होने के कारण सिद्धार्थ के खून में कॉफी ही बसी हुई थी.
उन्होंने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एमएससी की डिग्री हासिल की 350 एकड़ जमीन उनके परिवार के पास थी. जिससे वह आसानी से अपना जीवन व्यतीत कर सकते थे. लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा बड़ी थी वह कुछ बड़ा और अपना काम करना चाहते थे.
इस बात से सहमत होकर उनके पिता ने ₹500000 अपनी मर्जी का बिजनेस शुरू करने के लिए दे दिए और कहा यदि यह फेल होते हैं तो उनके घर का बिजनेस में सदैव स्वागत है. सिद्धार्थ ने ₹300000 की जमीन खरीदी और बाकी रुपए बैंक में जमा कर दिए. इसके बाद वह मुंबई चले गए और वहां जीएम फाइनेंस सर्विस के साथ शेयर बाजार के सौदा सीखने के लिए इनटर्न के रूप में महिंद्र कंपनी के अधीनस्थ कार्य करने लगे.
वहां रहकर उन्होंने शेयर बाजार के बारे में बहुत कुछ जाना 2 साल तक कार्य करने के बाद अपना बिजनेस शुरू करने के लिए वह तैयार हुए जिसके लिए वह वापस अपने घर आ गए और अपने बचे हुए ₹200000 से फाइनेंसियल फंड की शुरुआत करने का निर्णय लिया.
इसके बाद 30,000 मूल का शेयर बाजार कार्ड खरीदें साथ ही सिवान नामक एक कंपनी भी तथा शहर में एक स्थान लेकर इसे एक अत्यधिक सफल निवेश बैंक तथा ब्रोकिंग कंपनी मैं बदल दिया.
जो बाद में वे टू वेल सिक्योरिटी के नाम से जाना जाने लगी. साथ ही विरासत में मिली कॉफी संपदा को बढ़ाना शुरू कर दिया 10 साल के बाद में जर्मन की कॉफी ब्रांड शिबो के मालिक से बिजनेस में मिले जो सिद्धार्थ की कॉफी बीन को खरीदना चाहते थे.
और बातों ही बातों में जर्मन व्यक्ति ने उनको बताया कि वह अपने 10 फीट की शॉप को मिलियन डॉलर कमाने वाले व्यवसाय और यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी कॉफी रोस्टर कंपनी में बदल दिया.
इन बातों ने सिद्धार्थ को बहुत ही प्रेरित किया और एक अच्छा विचार दिया 1993 में अमाल्गामेटेड बीन कॉफी या संक्षेप में (abc) कंपनी की शुरुआत की और कॉफी को एक्सपोर्ट करना शुरू किया जिसको 2 साल में ही भारत की इन लार्जेस्ट एक्सपोर्ट कंपनी बना दिया.
इसके बाद उन्होंने ब्रांड कॉफी पाउडर बेचने के 25 स्टोर बेंगलुरु में तथा 20 स्टोर चेन्नई में खोलें. लेकिन इस व्यवसाय में मार्जिन कम होने की वजह से वह इससे संतुष्ट नहीं थे और दुनिया में बिजनेस कंपटीशन देखते हुए अपने बिजनेस को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए एक बेहतर तरीका चाहते थे.
इसके बाद उन्होंने कॉफी स्टोर खोलने के बारे में सोचा और अपनी टीम को बताया जिससे उनकी टीम के लोगों ने कहा इंडिया में ₹5 की कॉफी पीने वाले लोग भला ₹25 की कॉफी पीने क्यों आएंगे और इस व्यवसाय के लिए मना कर दिया.
कुछ समय बाद सिद्धार्थ सिंगापुर गए जहां एक शॉप पर देखा कि लोग ड्रिंक पीने के साथ इंटरनेट भी यूज कर रहे हैं जिसको देखकर उनके मन में इंटरनेट कैफे कॉफी खोलने का विचार आया. धीरे-धीरे युवाओं के लिए पैसेंजर जुदाई स्थान बन गया जिसमें आज 5000 से अधिक लोग काम कर रहे हैं.
1530 स्टोर उन्होंने इंडिया के साथ अन्य देशों में खोलें जिसने लगभग 450 मिलियन डॉलर की कमाई करवाई. इसके साथ एबीसी ग्लोबल टेक्नोलॉजी वे टू वेल सिक्योरिटी डार्क फॉरेस्ट फर्नीचर कंपनी के मालिक हैं.
Old Monk

वेस्टीज कंपनी के नीव 1885 में पड़ी थी यह स्कॉटलैंड में रहने वाले जर्नल डायर के पिता एडवर्ड अब्राहम डायर हिमाचल प्रदेश के कसौली में शुरू किया था. साल 1949 में कपिल के पिता एन एन मोहन ने डायर इस कंपनी को खरीद लिया. इसके बाद 1966 में इस कंपनी का नाम बदलकर मोहन मीकिन ब्रिवरिज रखा गया था और कपिल मोहन इसके के चेयरमैन बने. थे
Micromax : indian mobile brands

राहुल शर्मा को आज कहीं वजह से जानते होंगे जिसमें से एक उनका बॉलीवुड अभिनेत्री एक्ट्रेस हसीन से शादी करना. लेकिन इन सबसे पहले राहुल वह व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत को भारत में ही बना मोबाइल फोन दिया. जिसके इस्तेमाल करने के बाद देश की ज्यादातर आबादी को मोबाइल चार्ज करने का टेंशन ही खत्म हो गया.
लेकिन एक मास्टर साहब के बेटे का इस ऊंचाई तक पहुंचना कोई बच्चों का खेल नहीं था. इसके पीछे सालों की मेहनत और लगन थी. आज की तारीख में महरौली में आलीशान बंगले में रहने वाले और दुनिया की सबसे महंगी कार में से एक rolls-royce गोष्ट की सवारी करने वाले राहुल ने एक वक्त बहुत ही परेशानी में अपनी जिंदगी काटी. वह बसों में लटक लटक का स्कूल जाया करते थे.
जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना करने वाले सीईओ राहुल शर्मा के बारे में. दिल्ली के एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्मे राहुल के पिता स्कूल मैं एक टीचर थे और उनका बचपन टीचर कॉलोनी में ही वित्त है.
एक साधारण से परिवार में पले बढ़े राहुल ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियरिंग एवं बीकॉम करने के बाद एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में नौकरी शुरू की. कुछ टाइम काम करने के बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी.
दूसरों के लिए काम करते करते राहुल को यह समझ आने लगा था कि अब खुद के लिए काम करना चाहिए और यहां पर उनके काम आए पुराने कनेक्शन जो उन्होंने प्रोफेशन करियर के दौरान तैयार किए थे.
इसकी शुरुआत 1990 में हुई जब राहुल के पिताजी ने उन्हें कंप्यूटर गिफ्ट किया उन्हें वह टेक्नोलॉजी बेहद पसंद आई. फिर सन 2000 में उन्होंने 3 दोस्तों के साथ मिलकर माइक्रोमैक्स सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत की.
शुरुआती 7 साल तक ऐसा ही चलता रहा माइक्रोमैक्स सॉफ्टवेयर खुद में कहीं तरह से चेंज करती रही. यह एक आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी थी फिर माइक्रोमैक्स ने अपने कारोबार का विस्तार करते हुए नोकिआ, एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी करते हुए.
साल 2007 में एक बिजनेस दौरे के दौरान राहुल ने बंगाल में देखा कि बिजली नहीं आने की वजह से ट्रक की बैटरी से पीसीए को चलाना पड़ रहा था. इतना ही नहीं पूरे दिन भर में PCO वालों के पास फोन चार्ज करने वालों की लंबी लंबी लाइन हुआ करती थी.
और वह अपना मनचाहा पैसा वसूल करते थे. उनसे इस घटना के दौरान से राहुल के मन में एक आईडिया आया वह आइडिया यह था कि लंबी बैटरी बैकअप के साथ सस्ते दामों में मोबाइल फोन लांच करना.
इनका यह आईडिया क्रांतिकारी सिद्ध हुआ और इस तरह से माइक्रोमैक्स कंपनी शुरुआत मात्र 2150 रुपए में 1 महीने की बैटरी बैकअप फोन के साथ लॉन्च हुई. लॉन्च के महज 10 दिनों के भीतर ही देश वह ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 से ज्यादा मोबाइल बिना किसी विज्ञापन के ही बिक गया.
इसके साथ माइक्रोमैक्स ने ग्राहकों के जरूरतों को भापते हुए भारतीय मोबाइल उद्योग में एक नामी कंपनी बनकर सामने आई. राहुल अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने पिता जी को देते हैं राहुल वर्ष 2015 में बॉलीवुड एक्ट्रेस हसीन से शादी कर ली.
आज राहुल की निजी प्रॉपर्टी 5000 करोड़ से भी ज्यादा है जो लड़का एक साधारण से परिवार में पला बढ़ा आज लग्जरी जिंदगी का आनंद उठा रहा है. और इस सब के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और कुछ नया करने की चाह है इंसानों को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है.
Britannia

ब्रिटानिया इंडस्ट्री लिमिटेड एक इंडियन फूड प्रोडक्ट्स कॉर्पोरेशन है. जिस का हेड क्वार्टर कोलकाता वेस्ट बंगाल में है. यह कंपनी पूरे भारत और दुनिया भर के 7 से अधिक देशों में अपने टाइगर ब्रांड की बिस्किट ब्रेड और और डेहरी प्रोडक्ट बेचता है. ब्रिटानिया के ऐस्टीमेटेड शेयर 38% है.
इस कंपनी को 1892 मैं फाउंड किया गया था. इस कंपनी का मात्र ₹265 की इन्वेस्टमेंट से शुरू किया गया था. आज इस कंपनी में काम करने वाले नंबर ऑफ एंप्लॉय की संख्या 3 हजार से भी ज्यादा है.
ब्रिटानिया की स्थापना 1992 में हुई जिसमें ₹265 का इन्वेस्टमेंट हुई थी. शुरुआत में सेंट्रल कोलकाता के एक छोटे से घर में बिस्किट की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हुई बाद में एंटरप्राइज गुप्ता ब्रदर्स द्वारा इसे ऑपरेट किया गया.
जिसमें मुख्य रुप से नलिन चंद्र गुप्ता एक वकील और वीके ब्रदर शामिल थे. 1918 में कोलकाता के इंग्लिश बिजनेसमैन पीएच होम स्कोर एक पार्टनर के रूप में लिया गया और द ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी लिमिटेड लॉन्च किया गया. मुंबई फैक्ट्री की स्थापना 1924 में की गई और पिक फ्रेंड्स यूके ने ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी लिमिटेड में एक कंट्रोलिंग इंटरेस्ट एक्वायर्ड की.
world war 2 के दौरान ब्रिटानिया बिस्किट हाई डिमांड में रहने लगा. जिससे कंपनी से उसको काफी अच्छा बूस्ट मिला और इसी वक्त के बीच उन्होंने अपना नाम ब्रिटानिया बिस्कुट कंपनी लिमिटेड से बदलकर ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया. 1982 में अमेरिकन कंपनी नवइसको ब्रांड ने पीक फिर्स की जगह लेकर उनका स्थान प्राप्त किया और एक मेजर फॉरेन शेयर होल्डर बन गए.
1998 से 2001 के बीच कंपनी के सेल्स मार्केट के मुकाबले 16 पर्सेंट की एनुअल रेट से बड़ी और ऑपरेटिंग प्रॉफिट 18 प्रतिशत तक पहुंच गया. हाल ही में इंडस्ट्री की तुलना में कंपनी कि सेल्स 27 परसेंट की दर से बढ़ रही है प्रेजेंट में ब्रिटानिया को 90 परसेंट एनुअल रिवेन्यू सिर्फ बिस्कुट स ही आता है. जो कि 22 बिलियन है.
ब्रिटानिया द ब्रांड टेस्ट रिपोर्ट लिस्ट इंडिया एंड मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड में से एक आता है. ब्रिटानिया के रेवेन्यू में 10% उनके डेहरी प्रोडक्ट से आता है और अगर इसके मैन कॉन्पिटिटिव की बात करें तो वह नेस्ले और अमूल्य.
अगर ब्रिटानिया के बिस्किट की बात करें तो उसमें विटा मेरीगोल्ड, टाइगर, न्यूट्रीचॉइस, जूनियर गुड डे, 5050, 3 प्योर, मैजिक मिल्क, विकीस गुड मॉर्निंग, लेटर हॉट इत्यादि शामिल है. इस कंपनी के फाउंडर और ऑनर की बात की जाए उनका नाम है फजलुर रहमान है. हाल ही में उन्होंने अभी 100 साल भी अपने पूरे कर लिए.
MRF : brands in india

एमआरएफ टायर यानी मद्रास रोवर फैक्ट्री आज टायर इंडस्ट्री में बड़ा नाम है. लेकिन एक समय था जब इस कंपनी को शुरू करने वाले शख्स K. M. Mammen Mappillai ने सड़कों पर बैलून बेचे थे. मैंमेन आजादी से पहले केरल की सड़कों पर पैदल घूम कर बैग में बैलून रखकर बेचा करते थे.
मैंमेन के पिता ने आजादी की लड़ाई मे हिस्सा लिया था और जेल भी गए थे. मेमन के पिता जब जेल गए थे. बैलून बेचकर परिवार चलाया करते थे और साथ में पढ़ाई भी किया करते थे. मेमन ने पढ़ाई भी टायर मैन्युफैक्चरिंग में की और करीब 6 साल तक बैलून का कारोबार करने के बाद 1946 में ट्रेड रबड बनाना शुरू कर दिया.
24 साल की उम्र में ही में मेमन ने बिजनेस शुरू कर दिया था. शुरुआत में छोटे से कमरे में बैलून और बच्चों के खिलौने बनाने वाले मेमन अब रबड़ और टायर की बिजनेस में आ गए थे.
मेमन ने 1960 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई उनको रबड़ और टायर के बारे में अच्छी जानकारी थी. प्राइवेट कंपनी लिमिटेड बनाने के बाद मेमन ने टायर बनाने के लिए मैनफील्ड टायर रबड़ कंपनी केसाथ टाइप किया. 1967 में एमआरएफ अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाली पहली कंपनी बन गई और वहीं 1973 में कंपनी ने देश में पहली बार नाइलोन टायर लांच किया.
साल 1979 तक कंपनी का नाम भी देश में फैल चुका था लेकिन इसी साल अमेरिकी कंपनी मेनफील्ड ने एमआरएफ कंपनी से अपने हिस्सेदारी खत्म कर दी इसके बाद मेमन ने कई छोटी-बड़ी कंपनी के साथ टाइ अप किया और कंपनी को नए मुकाम तक पहुंचाया. साल 2003 में 80 साल की उम्र में मेमन का निधन हो गया लेकिन मेमन जी ने अब तक अपनी कंपनी को टायर के फील्ड में नंबर वन बना दिया.
क्या आपको पता है भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ी मारुति 800 मैं भी एमआरएफ का ही टायर इस्तेमाल हुआ था. निधन के बाद उनके बेटे ने उनके बिजनेस की कमान संभाली और कंपनी लगातार विरोध करती रही यह मेमन की हिम्मत और उनके बेटे की काबिलियत ही है जो आज कई हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी है उसकी एक शेयर की कीमत 80100 तक जा चुकी थी जो कि भारत में सबसे ज्यादा है.
Raymond : clothing brand in india

विजयपत सिंघानिया का जन्म 9 सितंबर 1965 को कानपुर में हुआ था. अब वह मुंबई शहर में रहते हैं और उनका घर जेके हाउस रिलायंस कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया से भी काफी ऊंचा है. कंपनी ने अपने शुरुआती दौर में कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग के स्टील के लिए थाने में एक कारखाने स्थापित किया. इसके बाद 1925 में उन्हीं वस्तुओं को बनाने के लिए एक नए कारखाने की शुरुआत की जिनका नाम उन्होंने Raymond रखा.
इसके अलावा रेमंड कंपनी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपड़े डिजाइनर ड्रेस डेनिम सौंदर्य प्रशासन इंजीनियरिंग सामग्री आजारे प्रोफाइल एपिक चार्टर सेवाएं बनाने वाले इंडिया की सबसे बड़ी कंपनी है. विजय सिंघानिया को बचपन से ही एडवेंचर से बहुत लगाव था इसलिए वह अकेले लंदन से प्लेन उड़ा कर भारत आ गए थे.
63 साल की उम्र में जब आदमी नाती पौधों के साथ खेलता है तब विजयपत सिंघानिया एयर बलून उड़ा रहे थे इसके अलावा वह करीब 5000 घंटे लगातार एयर बैलून में हवाई यात्रा करके एक अलग रिकॉर्ड भी बनाया है. वह करीब 20 दिसंबर 2005 से 19 सितंबर 2006 तक मुंबई के मेयर भी रह चुके हैं. पर्सनल लाइफ के बारे में बात की जाए तो उनके बेटे का नाम गौतम सिंघानिया है और उन्होंने 2000 में रेमंड की कमान संभाली. आज गौतम सिंघानिया रेमंड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भी है.
आज से करीब 2 साल पहले विजयपत सिंघानिया 15000 करोड़ के मालिक भी थे. लेकिन कहते हैं ना धरती फटी ना आग उगली आज विजयपत सिंघानिया पहले जैसे नहीं रहे. आज कंगाल बन चुके हैं क्योंकि उन्होंने पुत्र मोह में आकर अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे के नाम कर दी और आज उनके बेटे ने ही उनको उनके घर से बाहर निकाल दिया.
उन्होंने इस 2015 में अपने कंपनी के 1041 शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दिए. अगर उनके अवॉर्ड के बाद करे तो साल 2006 में उन्हें पद्मभूषण से भी नवाजा गया इसके अलावा उन्होंने 2005 में एंजेल इं दा कॉकपिट द ट्रू स्टोरी ऑफ द डेथ डिफाइन फ्लाइट एक्रॉस 5000 मिल्स ऑफ लैंड एंड सी नामक बुक में लिखि.
रेमंड कंपनी के पास उनके शोरूम के अलावा पार्क एवेन्यू रेमंड फाइंड फेवरिस कलर प्लस जैसे कई और ब्रांड भी हैं. कंपनी ना केवल भारत में बल्कि विदेश में भी करीब 700 से अधिक स्टोर है और सभी शॉप को द रेमंड के नाम से जाना जाता है.
West-side

West side का ओनर भी टाटा ग्रुप है. 1998 में शुरू किया गया ट्रेंट ने वेस्टसाइड का संचालन किया, जो भारत में मुंबई, महाराष्ट्र और लैंडमार्क में कई बढ़ती खुदरा श्रृंखलाओं में से एक है, और इंडि के विभिन्न स्थानों में ईंट और मोर्टार स्टोर के साथ एक बुकस्टोर श्रृंखला है.
Park Avenue

पार्क एवेन्यू मूल रूप से चौथे एवेन्यू के रूप में जाना जाता था. और 1830 के दशक में न्यूयॉर्क और हार्लेम रेलमार्ग की पटरियों को शुरू किया रेल मूल रूप से मरे हिल के माध्यम से एक खुली कटौती के माध्यम से चलती थी. जो 1850 के दशक में 34 वीं और 40 वीं स्ट्रीट के बीच ग्रेट्स और घास के साथ कवर किया गया था. अपने फ़ॉर्मल वियर के लिए फ़ेमस इस ब्रांड का मालिकाना हक रेयमंड ग्रुप के पास है.
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