बच्चों के लिए आठ हिन्दी पहेलियां… (विवेक रस्तोगी)
विशेष नोट : हर साल की तरह छुट्टियों में बच्चे दिल्ली आए हुए हैं, और उन्हें कुछ नया सिखाने के लिए आठ पहेलियां उन्हें सिखा रहा हूं… सो, आप लोग भी पढ़िए, और पसंद आएं तो अपने बाल-गोपालों को भी सिखाइए…
– बाल पहेली एक –
जब भी लिखना होता तुमको, बनती हूं मैं सखी-सहेली…
यही है मेरा गुण रे भाई, जब भी काटो, नई-नवेली…
– बाल पहेली दो –
दुश्मन का आना बुरा, जाना भला जनाब…
लेकिन क्या है, जिसका आना-जाना दोनों खराब…
– बाल पहेली तीन –
अगर नाक पर चढ़ जाऊं, कान पकड़कर तुम्हें पढ़ाऊं…
– बाल पहेली चार –
काला घोड़ा, सफेद सवारी… एक उतरा, तो दूसरे की बारी…
– बाल पहेली पांच –
धूप देख, मैं आ जाऊं, छांव देखकर शर्माऊं…
जब भी आए हवा का झोंका, साथ उसी के उड़ जाऊं…
– बाल पहेली छह –
एक राजा की अनूठी रानी, दुम के सहारे पीती पानी…
– बाल पहेली सात –
दो-दो हैं सुंदर बच्चे, दोनों का है एक ही रंग…
अगर एक भी बिछड़ गया, दूजा काम न आएगा…
– बाल पहेली आठ –
जब तक रहती हूं मैं सीधी, सबको खूब पिलाती पानी…
अगर मुझे तुम उल्टा कर दो, मैं गरीब हो जाऊंगी…
उत्तर :
बाल पहेली एक – पेन्सिल / पेंसिल…
बाल पहेली दो – आंखें…
बाल पहेली तीन – चश्मा…
बाल पहेली चार – तवा-रोटी…
बाल पहेली पांच – पसीना…
बाल पहेली छह – दिया-बाती…
बाल पहेली सात – जूते…
बाल पहेली आठ – नदी…