1.दोस्तों हमारे सोलर सिस्टम का आठवां ग्रह नेपच्यून जिसे वरुण ग्रह के नाम से भी जाना जाता है.
2.यदि हम साइज की बात करें तो यह हमारे सोलर सिस्टम का चौथा सबसे बड़ा ग्रह है और यह ग्रह सूर्य से सबसे ज्यादा दूरी पर है.
3.अब जब इतनी दूरी पर है तो इस पर पहुंच जाना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है इस वजह से यहां पर खाली एक बार सन 1989 में नासा का वॉइजर 2 स्पेसक्राफ्ट गया था उसके बाद से अभी तक कोई भी स्पेसक्राफ्ट नेपच्यून तक नहीं पहुंच पाया है.
4.जब वह स्पेसक्राफ्ट गया तो उसने पहली बार नेपच्यून की कुछ तस्वीरें खींची जो काफी ज्यादा सुंदर थी यह पूरा प्लेनेट हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैसों से भरा पड़ा है लेकिन इसका शानदार रंग मिथेन और दूसरी गैस की वजह से आता है जो इसके ऊपरी एटमॉस्फेयर में मौजूद है.
5.जब महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली ने अपने टेलिस्कोप से जब स्पेस की ओर देखना शुरु किया तब उन्होंने तारे और ग्रह के ड्रिंक्स बनाई जिन पर पॉइंट बनाकर ग्रहों और तारों को दर्शाया गया था.
6.उस ड्राइंग में 1 पॉइंट ठीक उसी जगह पर था जहां आज नेपच्यून है पर गैलीलियो ने इस पॉइंट को तारा समझकर बड़ी गलती की और इसीलिए गैलीलियो गैलीली को नेपच्यून के डिस्कवरी का क्रेडिट नहीं दिया गया.
7.सन 1821 में अलेक्सिस वोवर्ल्ड ने यूरेनस के ऑर्बिट के लिए एक थ्योरीकल टेबल पब्लिश किया पर जब ऑब्जरवेशन की गई तो ऑर्बिट की कैलकुलेशन में काफी अंतर आ रहा था तब अलेक्सिस वोवर्ल्ड ने कहा कोई अनजान वड़ी वस्तु है जो ग्रेविटी इंटरेक्शन के द्वारा यूरेनस के ऑर्बिट को डिस्टर्ब कर रही है.
8.सन 1843 में जॉन कोच एडम भी यूरेनस के ऑर्बिट पर रिसर्च कर रहे थे तो उन्होंने भी वहां ग्रह होने की कई संभावनाएं जताई थी.
9.1845 में अरविनली वैरियर ने भी अपने कैलकुलेशन के मुताबिक यूरेनस के बाद एक और नया ग्रह होने का दावा किया नए ग्रह के इतने ज्यादा प्रेडिक्शन होने के कारण एस्ट्रोनॉमरस ने नई ग्रह को खोजना शुरू कर दिया.
10.23 सितंबर सन 1846 को हमने एक नया ग्रह खोज लिया इस ग्रह की खोज का क्रेडिट ऐडम्स को दिया जाए या अरविलिन वैरियर को इस विषय पर विश्व भर में बहस हुई.
11.नया ग्रह अरविनली वैरियर के प्रेडिकट किए गए पॉइंट के 1 डिग्री के दायरे में मिला जबकि ऐडम्स के प्रेडिकट किए गए पॉइंट के 12 डिग्री के दायरे में एकुरैशी के मामले में अरविनली वैरियर ही आगे थे पर बहस के कारण दोनों को इस खोज का क्रेडिट दिया गया.
12.पर मुख्य रूप से अरविनली वैरियर को ही नेपच्यून का खोजकर्ता माना जाता है अरविनली वैरियर ने ही इस नए ग्रह को नाम दिया और इस तरह हमें मिला आठवां ग्रह नेपच्यून.
13.नेपच्यून को रोमन मैथोलॉजी के अनुसार समुद्र का देवता माना जाता है.
14.नेपच्यून ग्रह का इंटरनल स्ट्रक्चर यूरेनस की समान ही है इसकी इंटरनल को आयरन निकल और सिलीकेट से बनी हुई है और यह पृथ्वी से लगभग 1 पॉइंट 2 गुना भारी है.
15.इसके कोर का प्रेशर साथ मेगा बार है जो कि पृथ्वी के कोर से 2 गुना है और टेंपरेचर 5400 केल्विन है.
16.नेपच्यून की मेंटल लेयर पृथ्वी से लगभग 15 गुना भारी है और इसमें भी यूरेनस की तरह वाटर अमोनिया और मिथेन अधिक मात्रा में है. यह फ्लूड हाईली इलेक्ट्रिकल कंडक्टिव है जिसे हम वाटर अमोनिया या ओशन भी कहते हैं.
17.नेपच्यून के भारी एटमॉस्फेयर में 80% हाइड्रोजन और 19% हीलियम पाई जाती है मिथेन और अन्य एलिमेंट के बीच ट्रेसिस इसके एटमॉस्फेयर मैं पाए जाते हैं.
18.आइस ज्वाइंट होने के कारण नेपच्यून का एवरेज टेंपरेचर – 214 डिग्री सेल्सियस रहता है.
19.सन 2007 में नेपच्यून के साउथ पोल को इस ग्रह की सबसे गर्म जगह माना गया जिसका टेंपरेचर लगभग – 200 सेल्सियस डिग्री था.
20.यह पोलर रीजन गर्म इसलिए था क्योंकि पिछले 40 सालों से नेपच्यून का साउथ पोल सूर्य की तरफ था.
21.नेपच्यून सूर्य से 4.5 बिलियन किलोमीटर दूरी पर स्थित है और यह सूर्य का एक चक्कर 164.79 अर्थ ईयर में पूरा करता है.
22.नेपच्यून अपने तेज हवा के लिए भी जाना जाता है यहां पर सबसे तेज चलने वाली हवाओं की गति 600 मीटर पर सेकंड से भी ज्यादा है जोकि सुपर सोनिक फलो के लगभग बराबर है.
23.नेपच्यून पर चलने वाली ज्यादातर हवाओं की डायरेक्शन इसकी रोटेशनल डायरेक्शन के पूरी तरह से ऑपोजिट है.
24.1989 में वॉइजर 2 ने अपने फ्लाईबाई मिशन के दौरान नेपच्यून पर एक बड़ा तूफान खोजा जिसे ग्रेट डार्क स्पॉट नाम दिया गया क्योंकि यह दिखने में गहरे रंग का था.
25.ग्रेट डार्क स्पॉट की तुलना जुपिटर के द ग्रेट रेड स्पॉट से की गई पर यह तूफान जल्द ही गायब हो गया जिसकी पुष्टि 2 नवंबर सन 1994 में द हबल स्पेस टेलिस्कोप ने की.
26.नेपच्यून पर ग्रेट डार्क स्पॉट के अलावा वाइट स्पॉट भी पाए जाते हैं जो इसके एटमॉस्फेयर के ऊपरी हिस्से में आने वाले तूफानों में से एक है. इन तूफानों को स्कूटर भी कहा जाता है. यह तूफान नेपच्यून पर इतनी जल्दी गायब क्यों हो जाते हैं और इनका मैकेनिज्म क्या है यह अभी भी हमारे लिए एक सवाल ही है.
27.दूसरे जॉइंट प्लेनेट की तरह नेपच्यून भी इंटरनल हिट जनरेट करता है जो कि सूर्य से मिलने वाली एनर्जी से लगभग 2.61 गुना ज्यादा एनर्जी स्पेस में रेडिएट कर देता है.
28.नेपच्यून ग्रह के 14 उपग्रह अब तक खोजे जा चुके हैं. नेपच्यून का सबसे बड़ा उपग्रह है ट्रीटोन जोकि नेपच्यून की खोज के 17 दिन बाद ही खोज लिया गया.
29.ट्रीटोन एक अलग ही जमी हुई ठंडी दुनिया है. इसे सोलर सिस्टम की सबसे ठंडी जगह माना गया है. यहां का तापमान – 235 डिग्री सेल्सियस है.
30.यह भी माना जाता है की ट्रीटोन नेपच्यून का नेचुरल सैटेलाइट नहीं है. संभव है कि यह पहले कोई द्वार प्लेनेट रहा होगा जिसे नेपच्यून ने अपने ग्रेविटी से खींच लिया होगा ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि नेपच्यून के बाकी उपग्रह इरेगुलर शेप के हैं पर ट्रीटोन शेप किसी प्लेनेट की तरह है.
31.नेपच्यून के ऑर्बिट में 99.5% भार ट्रीटोन का ही है इसके अलावा 13 अन्य उपग्रह और अभी तक खोजी गई.
32.नेपच्यून की तीन रिंग ऐडम्स, लीबैरियर और गेल है और सभी रिंग्स दूसरे गैस जॉइंट के मुकाबले बहुत ज्यादा हल्की हैं.
33.कुछ रिंग्स इतनी कम चमकीली है कि एक समय के लिए तो यह मान लिया गया था कि नेपच्यून के रिंग्स इनकंप्लीट यानी अधूरी है पर वॉइजर टू ने पुष्टि की नेप्चून की रिंग्स कंप्लीट है तथा चमकीली नहीं है जिस कारण यह आसानी से दिखाई नहीं देती.
34.वॉइजर टू नेपच्यून की स्टडी के लिए भेजा गया इकलौता स्पेसक्राफ्ट है अगस्त 1989 में वॉइजर 2 नेपच्यून की सबसे नजदीक होकर गुजरा और इसमें अनेकों फोटोग्राफ हमें भेजें.
35.वॉइजर 2 से मिली जानकारी से हमें इस पर आने वाले तूफान इसके एटमॉस्फेयर टेंपरेचर कंपोजीशन आदि के बारे में पता चला.
36.वॉइजर टू से पता चला कि नेपच्यून के पास एक एक्टिव वेदर सिस्टम है इसमें ही नेपच्यून के छह उपग्रह खोजें और बताया कि नेपच्यून के पास एक से ज्यादा रिंग है इसमें हमें नेपच्यून के बारे में सटीक और बड़ी जानकारियां भेजी.
37.इसके बाद यह नेपच्यून के सबसे बड़ा उपग्रह ट्रीटोन के बिल्कुल पास होकर गुजरा वाइजर 2 ने पहली बार नेपच्यून की भार की एक्यूरेट कैलकुलेशन कि जो कि हमारी कैलकुलेशन से 0.5 प्रतिशत कम थी.
38.प्लेनेट एक्स की कल्पना गलत साबित हो गई पर अभी भी कुछ ऐसे सवाल हैं जो नेपच्यून को रहस्यमई बनाते हैं जैसे कि वाइजर टू से ही हमें पता चला कि नेपच्यून का मैग्नेटिक फील्ड भी यूरेनस की तरह झुका हुआ है और ऑफ सेंटर है ऐसा क्यों है यह आज भी एक पहेली है.
39.नेपच्यून सूरज से बहुत ज्यादा दूर है फिर भी नेपच्यून पर हवाएं 600 मीटर पर सेकंड तक पहुंच जाती हैं और जबकि इसका इंटरनल हिट सोर्स भी काफी कमजोर है तो फिर ऐसा क्या होता है जो हवाएं सुपर सोनिक फ्लो के करीब पहुंच जाती हैं.
40.नेप्चून का ग्रेट डार्क स्पॉट अचानक गायब क्यों और कैसे हो गया दूसरे ग्रह के मुकाबले यहां तूफान ज्यादा समय तक क्यों नहीं रहते ऐसे ही अनेकों प्रश्न है जो नेपच्यून की ही तरह हमसे भी काफी दूर है लेकिन एक ना एक दिन हम वहां तक जरूर पहुंचेंगे.
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