क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्यौहार है यह तो हार प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन को याद रखने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है इस दिन जीसस क्राइस्ट या प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था इसलिए इसे बड़ा दिन भी कहते हैं इसके 15 दिन पहले से ही मसीहा समाज के लोग इसकी तैयारी में जुट जाते हैं सकते हैं क्रिसमस ईसाइयों का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है यह तो हार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है क्रिसमस को भारत में बड़ा दिन कहां जाता है क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था वह ईसाई धर्म के संस्थापक थे अर्थात जिन्होंने ईसाई धर्म बनाया और शुरुआत की के समस्त आने से कुछ दिन पहले से ही लोग अपने घरों को सजाने में लग जाते हैं बाजारों में तैयारी शुरू होने लगती है
क्रिसमस का इतिहास
क्रिसमस एक ईसाई त्योहार है जो हर साल 25 दिसंबर को यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार क्रिसमस से एक दिन पहले यानी 24 दिसंबर से ही शुरू होता है जिसे क्रिसमस की पूर्व संध्या के रूप में जाना जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या के अगले दिन क्रिसमस होता है जो ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। उसके अगले दिन यानी 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे के रूप में जाना जाता है। इस त्यौहार के दौरान लोग विदेशी भोजन तैयार करते हैं, अपने घरों को क्रिसमस ट्री से सजाते हैं और अपने ख़ास लोगों को उपहार भेंट करते हैं। गिफ्ट करने के अलावा लोग प्रार्थना करने के लिए चर्च भी जाते हैं।
क्रिसमस का महत्त्व
अगर हम क्रिसमस की महत्त्व की बात करें तो क्रिसमस त्यौहार ईसाईयों का प्रमुख पर्व है। ईसामसीह का जन्म 25 दिसंबर को रात बारह बजे हुआ था। इसलिए हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे बनाया जाता है। मना जाता है कि ईसामसीह का जन्म 25 दिसंबर को रात बारह बजे बेथलहेम शहर की एक गौशाला में हुआ था। जैसे भारतीयों के लिए दीपाली, ईद और होली होती है वैसे ही ईसाईयों के लिए क्रिसमस का त्योहार होता है। लेकिन आज कल भारतीय भी क्रिसमस को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ बनाते है। क्रिसमस की सुबह गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा होती है। इस दिन अन्य धर्मों के लोग भी चर्च में मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करते हैं।
आखिर बच्चों को क्यों पसंद है सांता क्लाज
क्रिसमस डे को लेकर बच्चों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। क्रिसमस के अवसर पर बच्चे अक्सर सांता क्लाज का इंतजार करते देखे जाते हैं। दरअसल क्रिसमय पर्व को उसकी कुछ परंपराएं भी खास बनाती है। सांता क्लाज को लेकर भी ऐतिहासिक मान्यता है कि प्रभु ईसा मसीह की मृत्यु के 280 साल बाद मायरा में एक संत का जन्म हुआ था, जिनका नाम संत निकोलस था।
संत निकोलस ने अपना पूरा जीवन प्रभु यीशु के विचार को प्रचारित करने के लिए समर्पित कर दिया था। चूंकि प्रभु यीशु हमेशा प्रेम या सद्भावना का संदेश देते थे इसलिए संत निकोलस बच्चों से भी बहुत प्यार करते थे और प्रभु यीशु के जन्मदिन यानी क्रिसमस डे पर रात के अंधेरे में बच्चों के लिए गिफ्ट रखकर चले जाते थे। ऐसे में बच्चे हर बार क्रिसमस पर बेसब्री से संत निकोलस का इंतजार करते थे। संत निकोलस ही बाद में सांत क्लाज के रूप में ख्यात हो गए। उन्हीं की परंपरा को आज भी कई लोग सांता क्लाज बनकर बच्चों के लिए गिफ्ट लेकर आते हैं।
क्रिसमस के मुख्य आकर्षण
बेसिलिका ऑफ बोम जीसस. इस चर्च में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें सभी भक्त शामिल होते हैं। प्रार्थना के अलावा, विशेष दावतों और प्रदर्शनियों का आयोजन बेसिलिका ऑफ बोम जीसस में किया जाता है। क्रिसमस के दौरान इस चर्च की घंटी, केक, संगीत, माहौल, सब कुछ देखने लायक रहता है। इस भारतीय राज्य में मिश्रित पश्चिमी सार ही है जो यहाँ क्रिसमस को विशेष और अनूठा बनाता है।
रौशनी और आतिशबाजी. गोवा में क्रिसमस समारोह का एक और आकर्षण आतिशबाजी रहता है। गोवा के सभी चर्चों को क्रिसमस से लेकर नए साल तक रंग-बिरंगी और फैंसी लाइटों से सजाया जाता है। देश भर के लोग इन विशेष आतिशबाजी और सजावट को अपने कैमरों में कैद करने के लिए यहां पहुंचते हैं।
उपसंहार
इस दिन हर परिवार क्रिसमस ट्री के चारों तरफ जमा होकर ईसा मसीह की प्रशंसा और प्रार्थना करते हैं और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं प्रार्थना खत्म होने के ठीक 12:00 बजे काट कर एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाइयां देते हैं क्रिसमस का पर्व सेंटा क्लोज के विशेष रूप से जुड़ा हुआ है कई बच्चे तो पूरे साल क्रिसमस के पर्व का सिर्फ इसलिए इंतजार करते हैं कि लाल और सफेद ड्रेस में लंबी दाढ़ी वाले सेंटा क्लॉस आएंगे और उन्हें ढेर सारे गिफ्ट देंगे और उनकी विश पूरी करेंगे सेंटा को क्रिसमस का फादर के रूप में भी जाना जाता है आपको बता दें कि सेंटा निकोलस को सेंटा का जनक माना जाता है
संत निकोलस की प्रभु ईसा मसीह में गहरी आस्था थी और उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था संत निकोलस बच्चों को खुश करने के लिए उन्हें उनके मनपसंद गिफ्ट देते थे जिसके चलते उनके प्रति लोगों के मन में अत्यधिक प्रेम और सम्मान था उनके बात कही सांता क्लॉस की कल्पना की जाने लगी फेसबुक सरदार पूरे विश्व में बड़े उल्लास और उमंग से मनाया जाता है उस दिन सभी ईसाई धर्म के लोग भगवान ईसा मसीह के सामने अपनी की हुई गलतियां की क्षमा प्रार्थना करते हैं और कहां जाता है कि ब्रिटिश काल में उस समय बेटे जब किस्मत बनाते थे तो 15 दिन के लिए स्कूल और कॉलेज की छुट्टी है रहती थी और सभी हिंदू और मुसलमान अंग्रेजों के यहां तोहफे भेजते हैं इस प्रकार क्रिसमस का त्यौहार ब्रिटिश काल से लेकर आज तक हमारे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है