चाणक्य नीति अध्याय 14 अनमोल वचन | Chanakya quotes in Hindi Chapter 14
Chanakya quotes 1
जिंदगी की सीख देने वाली बात के साथ शुरुआत करते हुए श्री चाणक्य कहते हैं कि इस पृथ्वी पर तीन ही रत्न है जल, अन और मधुर वचन. बुद्धिमान व्यक्ति इसकी समझ रखता है परंतु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़े को ही रतन कहते हैं. जल और अन के बिना मनुष्य का जीवन बिल्कुल भी संभव नहीं है और मधुर वचन के बिना समाज में वितरण करना मुश्किल है.
कटु वचन करने वाले का कोई भी आदर नहीं करता मनुष्य धर्म के मार्ग पर चलता है तो उसे अपने जीवन में उपयुक्त दुखों का सामना करना पड़ता है. धन मित्र स्त्री और पृथ्वी यह बार-बार प्राप्त होते हैं परंतु मनुष्य का शरीर बार-बार नहीं मिलता इस श्लोक में चाणक्य मानव के शरीर का महत्व बताते हैं. उनके अनुसार मानव शरीर 8400000 योनियों में भ्रमण करने के उपरांत हमें प्राप्त हुए यह अत्यंत दुर्लभ है इसमें ईश्वर का स्मरण किया जा सकता है.
Chanakya quotes 2
आगे चाणक्य कहते हैं कि यह एक निश्चित तथ्य है कि बहुत से लोगों का समूह ही शत्रु पर विजय प्राप्त करता है वर्षा के धार को मेघों को धारण करने वाले जल को तिनको के द्वारा तीनके से बना छप्पड़ छत ही रोक सकता है भाव यह है कि एकता में बड़ा बल होता है वह बड़ी से बड़ी शक्ति से टकरा सकता है.
Chanakya quotes 3
आगे समझाते हैं कि पानी में तेल दुष्ट व्यक्तियों में गोपनीय बातें उत्तम पात्र को दिया गया दान और बुद्धिमान के पास शास्त्र का ज्ञान यदि थोड़ा भी हो तो वह स्वयं अपनी शक्ति से विस्तार पाए जाते हैं. भाव यह है कि जिस प्रकार पानी में डाला गया जरा सा तेल भी फैल जाता है. दुष्टों में पहुंची गोपनीय बातें चारों ओर फैल जाती है और बुद्धिमान का थोड़ा भी शास्त्र ज्ञान काफी लोगों को प्रभुत्व करता है ज्ञान का विस्तार इसी प्रकार होते हैं अर्थात सभी चीजों का अपना-अपना महत्व होता है.
Chanakya quotes 4
आगे बहुत ही बड़ी बात समझाते हैं कि धार्मिक कथा सुनने पर श्मशान में चिता को जलती देखकर रोगी को कष्ट में परले देखकर जिस प्रकार वैराग्य भाव उत्पन्न होता है वह यदि स्थिर रहे तो यह सांसारिक मोहमाया व्यर्थ लगते हैं परंतु अस्थिर मन शमशान से लौटने पर फिर से मोह माया में फस जाता है आगे कहते हैं कि चिंता करने वाले व्यक्ति के मन में चिंता उत्पन्न होने के बाद जो स्थिति उत्पन्न होती है अर्थात उसकी जैसी बुद्धि हो जाती है वैसे बुद्धि अगर पहले से ही होती तो भला किस का भाग्य उदय नहीं होता यहां समझाया गया है कि गलत कार्य करने के उपरांत पश्चाताप के समय उसकी जैसे निर्मल बुद्धि हो जाती है यदि उसकी निर्मल बुद्धि पहले से ही रही होती तो किसका भला या कल्याण नहीं होगा.
Chanakya quotes 5
आगे समझाते हैं कि दान तपस्या वीरता ज्ञान नम्रता इसी में ऐसी विशेषताओं को देखकर आश्चर्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दुनिया में ऐसे अनेकों रतन भरे पड़े हैं. समझाते हैं कि जो जिसके मन में है वह उसके दूर रहकर भी दूर नहीं है और जो जिसके हृदय में नहीं है. वह समीप रहते हुए भी दूर है भाव यह है कि सच्चा प्रेम हृदय से होता है उसमें दूरी का अथवा पास होने का कोई भी व्यवधान नहीं होता सच्चे प्रेम में प्रिय हर समय आंखों के सम्मुख रहते हैं.
Chanakya quotes 6
आगे चाणक्य कूटनीति की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि जिस से भी हमें हित साधना हो उससे सदैव प्रिय बोल बोलना चाहिए. जैसे मृग को मारने के लिए बहेलियां मीठे स्वर में गीत गाता जाता है, राजा अग्नि गुरु और स्त्री इससे सामान्य व्यवहार करना चाहिए क्योंकि अत्यंत समीप होने पर यह नाश के कारण होते हैं और दूर रहने पर इनसे कोई फल प्राप्त नहीं होता. भाव यह है कि इन से व्यवहार करते समय मध्यम मार्ग अपनाएं ना नीम जैसे कड़वे और ना गुड जैसे मीठे ज्यादा दूरी भी नहीं और ज्यादा पास भी नहीं.
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आगे समझाते हैं कि अग्नि पानी स्त्रियां मूर्ख सांप और राजा कुल से निकट संबंध सावधानी से करना चाहिए क्योंकि यह 6 तत्काल प्राणों को हरने वाले होते हैं समझाते हैं कि जिसके पास गुण हैं. जिसके पास धर्म है वही जीवित है गुण और धर्म से विहीन व्यक्ति का जीवन निरर्थक है.
Chanakya quotes 8
चाणक्य समझाते हैं कि यदि एक ही कर्म से यह समस्त संसार को वश में करना चाहते हो तो 15 मुखो से विचलन करने वाले मन को रोको अर्थात उसे वश में करो यह 15 मुख कौन-कौन से यह है मोह आंख कान नाक जीभ त्वक हाथ पैर लिंग गुदा रोग रस गंद स्पर्श और शक यानी यहां समझाते हैं कि एक ही कर्म से सारे संसार को वश में करना चाहते हो तो पर निंदा करना बंद कर दो मन को वश में करना और परनिंदा ना करना दोनों ही उचित लगते हैं ऐसा करके आपके हाथों में वशीकरण मंत्र की शक्ति आ सकती है.
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आगे कहते हैं कि जो प्रस्ताव योग्य बातों को भाव के अनुसार प्रिय कार्य को या वचन को और अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करना जानता है वही असली पंडित है अर्थात प्रसंग अनुकूल बात रखनी चाहिए. यदि प्रसन्नता का मौका है तो उसमें प्रसन्नता की बात होनी चाहिए इसी प्रकार अन्य योग्यताओं को भी वर्णन किया है.
Chanakya quotes 10
आगे कहा है कि एक ही वस्तु को 3 दृष्टि से देखा जा सकता है जैसे एक सुंदर स्त्री को योगी रतक के रूप में देखते हैं. कामुक व्यक्ति उसे कामिनी के रूप में देखता है और कुत्ते के द्वारा वह मांस के रूप में देखी जाती है. भाव यह है कि नारी की सुंदरता दृष्टि भ्रम मात्र है प्रत्येक व्यक्ति हर चीज को अपनी-अपनी दृष्टि से देखता है.
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आचार्य चाणक्य समझाते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो अतिशीघ दवा को धर्म के रहस्य को धर्म के दोष को मैंथुन अर्थात सम्मुख के बातों को स्वाधीन भोजन को अति कृष्टकारी मृत्यु को किसी को ना बताएं. भाव यह है कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जिसे समाज से छुपा के रखना चाहिए.
Chanakya quotes 12
आगे समझाते हैं कि दोस्तों का साथ त्यागो सज्जनों का साथ करो दिन-रात धर्म का आचरण करो और प्रतिदिन इस अनित्य संसार में परमात्मा के विषय में संचार करो उसे याद करो यहां पर समाप्ति होती है 14 अध्याय की.
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