चाणक्य नीति अध्याय 11 अनमोल वचन | Chanakya quotes in Hindi Chapter 11
Chanakya quotes 1
11 अध्याय के आरंभ में श्री चाणक्य कहते हैं कि दान देने का स्वभाव मधुर वाणी धैर्य और उचित की पहचान यह चारों बातें अभ्यास से नहीं आती यह मनुष्य के स्वाभाविक गुण है. ईश्वर के द्वारा ही यह गुण प्राप्त होते हैं जो व्यक्ति इन गुणों का उपयोग नहीं करता वह ईश्वर के द्वारा दिए गए वरदान की उपेक्षा ही करता है और दुर्गुणों को अपनाकर घोर कष्ट होता है.
Chanakya quotes 2
आगे समझाते हैं कि जो अपने वर्ग को छोड़कर दूसरों का वर्ग का आशय ग्रहण करता है वह स्वयं ही नष्ट हो जाता है. जो व्यक्ति अपनों का ना हुआ वह दूसरों को कैसे हो सकता है. अपने को त्याग नहीं अधर्म के मार्ग पर चलना है जिसे अंततः हानी हीं होती है.
Chanakya quotes 3
आगे समझाते हैं कि घर गृहस्ती में अशक्त व्यक्ति को कभी भी विद्या नहीं आती मांस खाने वाले व्यक्ति को कभी दया नहीं आती. धन के लालची व्यक्ति को कभी सत्य बोलने नहीं आता और स्त्री में अशक्त कामुक व्यक्ति में पवित्रता नहीं होती अर्थात विद्या प्राप्ति के लिए घर त्याग के लिए गुरु के पास जाना जरूरी है. मांसाहारी व्यक्ति दया भूल जाता है. लालची व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए बार-बार झूठ का सहारा लेता है और कामुक व्यक्ति स्त्री संभोग में लिपथ रहते हैं. तब वह पवित्र कैसे हो सकता है.
Chanakya quotes 4
आगे कहते हैं कि जिस प्रकार नीम की वृक्ष को दूध और घी से सीजीने के बाद भी अपनी कड़वाहट नहीं छोड़ता, व्याकुल नहीं हो जाता ठीक उसी प्रकार दुष्ट परवर्ती वाले व्यक्ति को यदि आप सभुत्व उपदेश देते हैं उसके बाद भी उस पर उसका कोई असर नहीं होता. कहने का तात्पर्य यह है कि दोस्त मनुष्य की आदत बन चुके अवगुणों को बदला नहीं जा सकता.
Chanakya quotes 5
आगे कहते हैं कि जिस प्रकार शराब वाला पात्र अग्नि में तपाई जाने के बाद भी शुद्ध नहीं हो सकता. उसी प्रकार जिस मनुष्य के हृदय में पाप और कुटिलता भरी होती है. सैकड़ों तीर्थ स्थान जाने के बाद भी ऐसे मनुष्य पवित्र नहीं हो सकते.
Chanakya quotes 6
आगे समझाते हैं कि जो व्यक्ति संतोष के साथ जो मिले उसी में संतुष्ट रहता है उसे पृथ्वी पर ही स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है. उसे ना ही कोई दुख होता है और ना ही कोई कष्ट आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन हमेशा प्रसन्न मुख और शांत स्वभाव में करना चाहिए.
Chanakya quotes 7
आगे युवाओं के लिए बहुत ही अच्छी बात समझाते हैं काम क्रोध लालच स्वाद श्रृंगार खेल और और दूसरों की चापलूसी उस दुर्गुण विद्यार्थी के लिए वर्जित है. हर विद्यार्थी को इन 8 दुर्गुणों को सर्वदा के लिए त्याग देना चाहिए. कहने का तात्पर्य यह है कि यह अवगुण विद्यार्थी को कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचने देते यदि आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो इन दुर्गुणों को हमेशा के लिए त्यागना होगा.
Chanakya quotes 8
आगे कहते हैं कि भाग्यशाली लोगों को खाद्य सामग्री और धनधान्य आदि का संग्रह ना करके उसे अच्छी प्रकार से दान करना चाहिए. कहते हैं कि दान देने से करण दैत्य राजबली और विक्रमादित्य जैसे राजाओं की कृति आज भी बनी हुई है. इसके अलावा इस अध्याय में ब्राह्मणों को लेकर काफी बातें की गई है कि कौन व्यक्ति एक अच्छा ब्राह्मण नहीं हो सकता तो यह था अध्याय 11.
Chanakya quotes 9
आगे कहते हैं कि हाथी मोटे शरीर वाला है परंतु अंकुश वश में रहता हैं क्या अंकुश हाथी के बराबर है. दीपक के जलने पर अंधकार नष्ट हो जाता है. क्या दीपक अंधकार के बराबर है. ब्रज से बड़े-बड़े पर्वत टूट कर गिर जाते हैं. क्या ब्रज पर्वत के समान है सत्यता यह है कि जिसका तेल चमकता रहता है. वही बलवान है मोटेपन से बल का एहसास नहीं होता भाव यह है कि किसी के आकार को देखकर उसकी शक्ति का अनुमान नहीं लगाना चाहिए शक्ति साहस में होती है.
Chanakya quotes 10
आगे कहते हैं कि दूसरे के कार्यों में बिगनी डालकर नष्ट करने वाला घमंडी स्वार्थी कपटी झगड़ालू ऊपर से कोमल भीतर से निष्ठुर व्यक्ति जानवर कहलाता है .
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