जैसा कि हमने पहले भी बात किया है कि साइकोलॉजी में एक अच्छा करियर बनाने के लिए यह जरूरी होता है कि हम अपना मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट करें जिसमें आप चूस कर सकते हैं M.A साइकोलॉजी या फिर M.SC साइकोलॉजी पर अब सवाल यह उठता है कि मास्टर डिग्री कंप्लीट कर देने के बाद आपके पास कौन-कौन सी जॉब अपॉर्चुनिटी खुल जाती है.
इसके अलावा मास्टर डिग्री के बाद हायर स्टडी में इंटरेस्टेड है या फिर रिसर्च फील्ड में जाना चाहते हैं तो आपके पास क्या क्या ऑप्शन अवेलेबल होंगे जिसे आप एक अपना अच्छा करियर साइकोलॉजी में बना सकते हैं तो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कि अगर आपने अपना मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट कर लिया है या फिर आप अभी अपना मास्टर कर रहे हैं तो इसके बाद आपको क्या करना चाहिए.
सबसे पहले बात करते हैं कि अगर आपने मास्टर डिग्री कंप्लीट कर लिया साइकोलॉजी में और रिसर्च फील्ड में काम करना चाहते हैं और अपनी स्टडी जारी रखने में इंटरेस्टेड है तो आप M.PHIL कर सकते हैं या फिर M.PHIL+ P.H.D कोर्स M.PHIL कंप्लीट कर लेने के बाद सकते हैं क्लिनिकल साइकोलॉजी के रूप में प्रैक्टिस स्टार्ट कर सकते हैं.
प्रजेंट टाइम में क्लिनिकल साइकोलॉजी के डिमांड भी बहुत ज्यादा है M.PHIL कंप्लीट कर लेने के बाद अगर आप किसी प्राइवेट क्लीनिक या फिर हॉस्पिटल में काम करते हैं तो आप की स्टार्टिंग सैलेरी लगभग 28000/- TO 35000/- तक हो सकती है जो कि आपके एक्सपीरियंस के साथ-साथ बढ़ जाएगी इसके बाद आप M.PHIL कंप्लीट कर लेने के बाद खुद का क्लीनिक भी स्टार्ट कर सकते हैं.
M.PHIL में एडमिशन लेने से पहले ध्यान रखें की इंस्टिट्यूट आरसीआई से अपलोड है या फिर नहीं अगर वह इंस्टिट्यूट आरसीआई से अप्रूव्ड है तो आपको वहां पर एडमिशन लेना चाहिए अन्यथा नहीं बात करें एडमिशन प्रोसेस की तो M.PHIL में एडमिशन के लिए आपको क्वालीफाई करना होगा R.A.T एग्जाम यानी (research aptitude test) या फिर गेट या JRF.

M.PHIL कोर्स का ड्यूरेशन 2 वर्ष का होता है जो कि 4 सेमेस्टर में डिवाइड होता है और एमफिल कर लेने के बाद आपके पास सारी जॉब अपॉर्चुनिटी आ जाती है अपना मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट कर देने के बाद M.PHIL करना आपके लिए अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है इसके बाद अगर आपने साइकोलॉजी में कोई डिप्लोमा कोर्स नहीं किया है.
तो आप मास्टर डिग्री कंप्लीट कर देने के बाद कोई भी एक डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं जोकि आपको एक अच्छे जॉब और करियर बनाने में आपकी मदद करेगा इन पीजी डिप्लोमा कोर्स में आप चुन सकते हैं पीजी डिप्लोमा इन काउंसलिंग साइकोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल साइकोलॉजी, फैमिली एंड चाइल्ड साइकोलॉजी, इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी और स्पोर्ट्स साइकोलॉजी इसके अलावा रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजी मैं भी आप डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं.
मेंटल हेल्थ काउंसलिंग भी पीजी डिप्लोमा में आप कर सकते हैं यह डिप्लोमा कोर्स करने के बाद तभी आपको एक अच्छा जॉब एक अच्छा करियर साइकोलॉजी के फील्ड में मिल सकता है मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट करने के बाद अगर आप टीचिंग फील्ड में जाना चाहते हैं तो आपको उसके लिए क्वालीफाई करना होगा नेट एग्जाम जिसके लिए आपको नेट एग्जाम की प्रिपरेशन करनी होगी.
साथ ही साथ आपकी पीएचडी भी साइकोलॉजी में कंप्लीट होने चाहिए उसके बाद ही आप एक प्रोफेसर साइकोलॉजी में बन सकते हैं मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट करने के बाद काफी ऐसी जॉब है जो आप कर सकते हैं और अपना करियर साइकोलॉजी में बना सकते हैं जैसे कि मास्टर साइकोलॉजी में कंप्लीट कर लेने के बाद आपको इंटर्नशिप करने का मौका मिलता है.
इंटर्नशिप आपकी 6 महीने या फिर 1 साल तक की हो सकती है इंटर्नशिप कंप्लीट हो जाने के बाद आप इस इंटर्नशिप एक्सपीरियंस के बेसिक पे जॉब पा सकते हैं यह ऑप्शन उन स्टूडेंट के लिए है मास्टर डिग्री के बाद आगे स्टडी करने में इंटरेस्टेड नहीं है क्योंकि सिर्फ मास्टर डिग्री के बाद आपको इतनी अच्छी जॉब नहीं मिल पाएगी जितने कि आपको M.PHIL या फिर पीएचडी या डिप्लोमा कोर्स करने के बाद मिल सकती है.
स्पेशली या डिप्लोमा कोर्स आपको जॉब दिलाने में काफी हलचल रहेंगे इंटर्नशिप का एक्सपीरियंस भी आपके बहुत काम आने वाला है क्योंकि साइकोलॉजी में जितनी इंपॉर्टेंट बुक और थ्योरी की होती है उससे कहीं ज्यादा इंपॉर्टेंट फील्ड की नॉलेज प्रैक्टिकल नॉलेज जो आपको इंटर्नशिप के बाद और जॉब के एक्सपीरियंस से ही मिल पाएगी.
मास्टर डिग्री कंप्लीट करने के बाद आप किसी ऑर्गेनाइजेशन साथ या फिर किसी एनजीओ के साथ काम करना चाहते हैं तो वह भी आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है इन संस्थाओं से जुड़कर आप जॉब तो कर ही सकते हैं साथ ही साथ सोसाइटी को अच्छा बनाने के लिए भी अपना योगदान दे सकते हैं जिसकी आज के समय में सोसाइटी को काफी जरूरत है.