यह कहानी है उस साइंटिस्ट की जिसकी सकारात्मक सोच ने दुनिया बदल डाली हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मानना है सफलता प्राप्त करने का सबसे साधारण तरीका है एक और बार कोशिश करना और कोशिश करते रहना यह कहना है महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन का आज थॉमस अल्वा एडिसन को कौन नहीं जानता वह बहुत बड़े थे उन्होंने अपने पूरे जीवन काल के दौरान बहुत सारे आविष्कार किए जैसे बिजली का बल्ब, इलेक्ट्रिक मशीन, भाप से चलने वाली गाड़ी को बिजली से चलाया, ग्रामोफोन के आविष्कारक एडिशन की ही देन है.
इसके अलावा भी एडिशन ने बहुत सारे आविष्कार कर दुनिया को चौंका दिया. दोस्तों उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में 1093 अविष्कार करके एक विश्व रिकॉर्ड बना दिया. हो सकता है आपको यह सब बातें पहले से पता हो लेकिन इतने सारे आविष्कार करना यह तो उनकी जिंदगी का बस एक पहलू है और आज मैं आपको उनके दूसरी जिंदगी से रूबरू कराऊंगा जिसमें मैं उनकी पॉजिटिव यानी सकारात्मक के ऐसे उदाहरण पेश करूंगा जिसको आप यदि अपनी जिंदगी में अपना ले तो आपको अपनी जिंदगी मैं कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता:-
Biography Of Thomas Alva Edison In Hindi
1. दोस्तों थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 अमेरिका में हुआ था. उनके पिता का नाम सैमुअल एडिशन और माता का नाम नैंसी एलियट था और एडिशन अपने माता पिता संतानों में सबसे छोटे थे. जब ऑडिशन थोड़े बड़े हुए तो उनके माता-पिता ने उनका एडमिशन स्कूल में करा दिया लेकिन कुछ दिनों बाद स्कूल से शिकायतें आने लगी.
दरअसल होता यह था ऑडिशन अपने टीचर से इतने सवाल पर सवाल पूछा करते थे की सभी तंग हो जाते और समझते यह शरारती और उदंत बच्चा है. यहां तक कि घर के बाहर लोग इन्हें मंदबुद्धि बालक समझने लगे और घर पर इनकी बहुत शिकायतें आने लगी क्योंकि उनके सवाल कुछ इस तरीके के होते थे कि यदि पक्षी हवा में उड़ सकते हैं तो आदमी क्यों नहीं हो सकता.
2. वह बचपन से ही काफी जिज्ञासु थे हर चीज के पीछे छिपे हुए राज को जानने की कोशिश करते रहते थे. वह जो कुछ भी जानते थे यह सोचते थे उस विषय पर अपना प्रयोग शुरु कर देते थे इस तरह लोग इन्हें पागल और सनकी कहते थे. पर वह लोगों की परवाह किए बगैर अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे और एक बार तो उनकी एक सोच ने लोगों को इतना हैरान कर दिया की सभी को वास्तव में लगने लगा कि वह पागल है और सनकी भी और अपने पागलपन में वह कभी कुछ भी कर सकते हैं.
दोस्तों हुआ यूं था कि उन्होंने लोगों के मुंह से सुना हुआ था कि पक्षी कीड़े मकोड़े खाते हैं इसलिए वह हवा में उड़ते हैं तब उन्होंने इस प्रयोग को करना चाहा और जिज्ञासा उसका सत्य है जाने के लिए वह सुबह सुबह 1 पार्क में चले गए और वहां से ढेरों कीड़ों मुखड़े पकड़कर 1 जार में बंद कर कर ले आए और उसका एक गोल बना लिया और इस घोल को अपने दोस्त को पिला दिया यह जानने के लिए कि उसका दोस्त पक्षी की तरह उड़ता है या नहीं.
मगर इसका नतीजा निकला और दोस्त हवा में तो उड़ा नहीं बल्कि उसकी हालत खराब हो गई और तबीयत बिगड़ गई और इस बात पर उस दिन एडिशन की बहुत पिटाई हुई और उन पर पाबंदियां भी लगाई गई फिर.
3. 1 दिन की बात है जब वह स्कूल से घर आए और अपनी मां को एक कागज देकर कहा कि यह टीचर ने दिया है और मैंने जब वह कागज देखा तो एक चिट्ठी थी इसको पढ़ने के बाद मां के आंखों में आंसू आ गए तो ऑडिशन ने अपनी मां से पूछा तो अम्मा इसमें क्या लिखा है आंसू पहुंचकर मां ने कहा इसमें लिखा है आपका बेटा बहुत होशियार है वह किसी जीनियस से कम नहीं है.
लेकिन हमारा स्कूल लो लेवल का है और टीचर भी बहुत पढ़े नहीं है इसलिए हम इसे नहीं पढ़ा सकते. इसे अब आप स्वयं शिक्षा दें जिस समय एडिशन की आयु मात्र 9 वर्ष थी तब उनकी माता ने उन्हें आरंभिक विज्ञान की एक किताब दी थी जिसमें बताया गया था की रसायनिक विज्ञान के कुछ प्रयोगों को घर पर कैसे करें तो फिर दोस्तों एडिशन ने 10 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली प्रयोगशाला घर पर ही बना ली परंतु कुछ दिनों बाद उनकी मां ने किसी बात से नाराज होकर उनका सारा सामान बाहर फेंक दिया.
4. इसके बाद अपनी नई प्रयोगशाला खोलने के लिए उनको पैसे की सख्त जरूरत थी इसीलिए एडिशन ने रेल यात्री को टिकट और अखबार बेचना शुरू कर दिया और अब एडिशन ने रेलगाड़ी के एक खाली डिब्बे में प्रयोगशाला भी बना ली थी लेकिन जब वह 12 साल के थे तब एक प्रयोग करते समय उनके रसायन नीचे गिर गए और उनके रासायनिक प्रतिक्रिया सामान स्वरूप ट्रेन के उस डिब्बे में आग लग गई. फिर आग तो बुझा दी गई लेकिन वहां के सुरक्षाकर्मियों ने क्रोधित होकर एडिशन के कान पर एक जोरदार तमाचा मार दिया और उसे गाड़ी से उतार दिया.
उस एक तमाचा के कारण उसे ऊंचा सुनाई देने लगा और धीरे-धीरे उनकी सुनने की क्षमता कम होने लगी लेकिन उनकी जगह कोई और भी होता तो शायद बहुत दुखी और निराश हो जाता लेकिन ऑडिशन इस बात से दुखी होने की वजह खुश हुए और जन होगा उनके सकारात्मक सोच का क्योंकि एडिशन को लगा अब से उनको बेकार की बातें सुनाई नहीं देगी और वह अपने काम पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे.
5. दोस्तों मात्र 15 वर्ष की उम्र में थॉमस एडिसन अपनी खुद की न्यूज़ पेपर की प्रिंटिंग करने लगे थे और प्रकाशित करने लगे थे और उसे खुद ही चलती ट्रेन में जाकर बेचने लगे थे और दिन भर काम करने के बाद बाकी बचे समय को प्रयोगशाला मैं लगा देते थे. समय के साथ साथ थॉमस एडिसन एक महान साइंटिस्ट बन गए और अविष्कार करने लगे.
एडिशन यूनिवर्सल स्टॉप प्रिंटर उनका पहला आविष्कार था जिसे एडिशन बेचने में सफल हुए थे और इससे जुड़ी एक रोचक कहानी है कि जब एडिशन ने अनुभव किया उनके आविष्कार की कीमत अमेरिकी $5000 है तो वह उसे $3000 में बेचने को तत्पर हो गए थे लेकिन किसी ने उसे $40000 में खरीद लिया आज के युग में इसका मान लगभग $750000 है यानी लगभग 5 करोड रुपए के बराबर यह इतनी बड़ी रकम थी जिसे सुनकर एडिशन को चक्कर भी आ गया था लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाला था.
6. दोस्तों अब उनकी कामयाबी का सफर शुरु हो चुका था. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक अविष्कार करना शुरू कर दिया और उनके किए गए आविष्कारों में सबसे बड़ा अविष्कार इलेक्ट्रिक बल्ब. जैसे शाम होती है और अंधेरा होता है तो हम तुरंत बल्ब चालू कर देते हैं और चारों तरफ उजाला हो जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है बल्ब कैसे बना होगा शायद हमारे पास ऐसा सोचने का कोई वक्त ही नहीं होगा लेकिन दोस्तों बिजली का बल्ब बनाने में थॉमस अल्वा एडिसन ने 10,000 से भी अधिक बार असफलता प्राप्त की लेकिन वह निराश नहीं हुए और अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम पर लगभग 32 वर्ष की उम्र में उन्होंने बल्ब का आविष्कार किया.
21 अक्टूबर सन 1879 पहला बल पूरा दिन भर चलता रहा दूर-दूर से हट दूर-दूर से हजारों भीड़ इसे देखने आने लगी क्योंकि लोगों के लिए यह चमत्कार से कम नहीं था और दोस्तों जब एडिशन से पूछा गया कि आप 10,000 अधिक बार असफल होने के बाद भी कैसे बिना हार माने काम करते रहे तो उन्होंने कहा कि मैं असफल नहीं हुआ हूं मैंने 10000 बार मैं ऐसे रास्ते ढूंढ निकाले जो काम नहीं आते और जो वह गलत रास्ते हैं उनके इस सकारात्मक विचार ने मानव जाति के लिए एक मिसाल कायम कर दिया कि जब तक कोई परिणाम ना मिले आगे बढ़ो और तब तक आगे बढ़ो जब तक जीत हासिल ना कर ले दोस्तों कहानी यहां खत्म नहीं होती 1 दिन की बात है
7. जब एडिशन फुर्सत के समय मैं अपनी पुरानी यादगार वस्तुओं को देख रहे थे तभी उन्हें एक अलमारी के कोने में एक पुराना खत मिला दोस्तों यह वही खत था जो बचपन में उन्हें उनके टीचर ने दिया था और उनकी मां ने उस खत को पढ़कर एडिशन को बताया था कि टीचर ने लिखा है कि वह बहुत होशियार जीनियस है और यह कहकर उनकी आंखों में आंसू भी आ गए थे लेकिन दोस्तों अब उनकी मां का देहांत हो चुका था और अब एडिशन बहुत बड़े और महान साइंटिस्ट बन चुके थे.
इतना पुराना खत मिलने पर उन्होंने सोचा जल्दी से देखता हूं मेरे बारे में और क्या क्या लिखा है एडिशन ने उत्सुकता के साथ खत को खोलो और पढ़ें लेकिन उसमें जो लिखा था उसको पढ़ने के बाद एडमिशन रोने लगे क्योंकि उसमें लिखा था आपका बच्चा मेंटली वीक है उसे अब स्कूल में कभी ना भेजें दोस्तों एडिशन कई घंटों तक रोते रहे और तब उन्होंने यह बात अपनी एक डायरी में लिखा की एक महान मां ने एक मेंटली वीक बच्चे को उस सदी का सबसे ग्रेट साइंटिस्ट बना दिया. यही होती है पॉजिटिव पेरेंट्स की रियल पावर दोस्तों यदि इंसान का जन्म हुआ है तो उसे 1 दिन इस दुनिया से जाना भी पड़ेगा और यही सार्वभौमिक सत्य है.
8.इस महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने 18 अक्टूबर 1931 को इस संसार से विदा लिया और जाते-जाते पूरी दुनिया को रोशन कर गए और क्या आप जानते हैं उनके आखिरी शब्द क्या थे उन्होंने कहा कि वहां पर सब कुछ बहुत सुंदर है दोस्तों उनके मुंह से हर बात एक सकारात्मक सोच से भरी हुई लगती है उनकी मौत पर अमेरिका में 1 दिन के लिए लाइट बंद कर दी गई थी.
उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी और खुद पर विश्वास किया वह कई बार चार चार दिन बिना सोए प्रयोग किया करते थे दोस्तों वह मानते थे कि उनकी सफलता का राज उनके लैब में घड़ी नहीं थी इसलिए था दोस्तों वह अक्सर कहा करते थे कि मैंने कभी अपने जीवन में एक दिन भी काम नहीं किया वह सब तो मेरे लिए मनोरंजन था लेकिन हम और आप जानते हैं कि उन्होंने इस मनोरंजन में हमें क्या-क्या देकर चले गए.
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