हेलेन केलर (Helen Keller) के जीवन में आने वाली मुश्किलों ने उनके हिम्मत और मेहनत के आगे घुटने टेक दिए। जिस प्रकार की परिस्थितियों के बारे में हम सोचकर ही खौफ से भर जाते हैं उन परिस्थितियों में हेलेन केलर ने अपना जीवन जिया और हिम्मत की एक मिसाल खड़ी की. हेलेन केलर (Helen Keller) का जीवन हर एक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है. हेलेन केलर ने यह साबित करके दिखाया कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और मेहनत करते हैं. तो आपको निश्चित ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने से कोई भी नहीं रोक सकता.
प्रारंभिक जीवन
हेलन केलर का जन्म 27 जून 1880 को अलबामा में हुआ. उनके पिता शहर के समाचार-पत्र के सफल सम्पादक और माँ एक गृहिणी थी. हेलन को छोटी सी उम्र में ही तेज बुखार ने जकड़ लिया।अधिकतर मामलो में ऐसे रोगी की मृत्यु हो जाती हे. लेकिन हेलन बच गयी बाद में पता चला कि उनकी देखने और सुनने की शक्ति जा चुकी थी. माता-पिता बहुत चिंता करने लगे किन्तु वे जानते थे कि उनकी पुत्री सब संघर्षों का सामना करने की ताकत रखती है.
शिक्षा
एनि ने हेलन केलर (Helen Keller) को अनेक तरीकों से शिक्षा दी. हेलन केलर (Helen Keller) को सिखाने के लिए एनि ने मैनुअली अल्फाबेट (manually alphabet) यानी एनि ने अपने हाथ पर पानी का संकेत बनाया फिर उसका हाथ पानी के नीचे ले गई. इसी प्रकार एनि ने हेलन केलर को पूर्ण वाक्य में बात करने योग्य बना दिया.
इन सबके बाद एनि ने हेलन केलर (Helen Keller) के माता-पिता से बात की और उन्हें यह सुझाव दिया. कि अब हेलन केलर को नेत्रहीनों के पार्किंन इंस्टिट्यूट में भेज दिया जाए और उन्हें इस शिक्षा से भी अवगत कराया जाए. हेलन केलर को बाकी बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी. उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. बोर्ड के उपर की डायग्राम नहीं दिखना. ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक हुयी.
सामाजिक कार्य
अपने जीवन में हेलन केलर (Helen Keller) ने संघर्षों का ऐसा दौर पार किया था जो असहनीय था. हेलन केलर ने यह समझ लिया था. कि अगर संघर्ष किया जाए तो कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जिसे हम कर नहीं सकते. इसी सोच के दम पर हेलेन केलर (Helen Keller) ने समाज के हित के लिए अनेक कदम उठाएं. और वह लोगों को जागरूक करने के लिए निकल पड़ी.
helen keller story of my life in
उन्होंने पूरे देश में घूम कर लोगों को अपनी कहानी बताई. ताकि वे भी दुखों से लड़ने की प्रेरणा पा सकें. उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई. हेलन केलर (Helen Keller) ने यह सिद्ध कर दिखाया था कि शरीर की अपंगता किसी व्यक्ति को पढ़ने-लिखने, बोलने और खेलने में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकती. आलस्य और निराशा के कारण ही कोई व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाता है. हर एक व्यक्ति जीवन में परिश्रम, लगन और साहस से सफलता प्राप्त कर सकता है.
लेखन कार्य
पढ़ाई पूरी कर उन्होंने ब्रेल लिपि में कुल 9 पुस्तकें लिखीं, जो विश्व-साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं. हेलन को प्रकृति से बहुत लगाव था. वह वसन्त के खिले फूलों, लहरों पर थिरकती चांदनी, पहाड़ों से झरती बर्फ को महसूस करती थीं. और उन्होंने उस अनुभव को अपनी पुस्तकों में लिखा. हेलन केलर ने अपने टीचर एनी सेलविन की मुद्दे से कई महान लेखक जैसे कार्लमार्क्स, टालस्टाय, अरस्तू, रवीन्द्रनाथ टैगोर, नीत्शे, महात्मा गांधी आदि के साहित्य को पढ़ा और उसकी गहराइयों को समझा. उनकी कई किताबों का ब्रेल लिपि में अनुवाद भी किया. और इसके अलावा उन्हों ने कई मौलिक ग्रंथ भी लिखे थे.
पुरस्कार एवं सम्मान
हेलेन केलर (Helen Keller) को सन् 1936 में थियोडोर रूजवेल्ट विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया.
सन् 1964 में उन्हें राष्ट्रपति स्वतंत्रता पदक से सम्मानित किया गया.
सन् 1965 में उन्हें वीमन हॉल ऑफ फेम में चुना गया.
उन्हें स्कॉटलैंड की ग्लासगो यूनिवर्सिटी और जर्मनी की बर्लिन यूनिवर्सिटी और उसके साथ ही भारत के दिल्ली विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई.
म्रुत्यु | death of helen keller
जून 1968 को हेलन केलर इस दुनिया से चली गयी. उन्होंने अपने कार्यो से इस संसार में नाम कमाया. उन्होंने अपंगो को सहारा दिया जिससे उनके अंदर आशा और विश्वास जगी रही थी. सारा संसार आज भी उन्हें याद करता है.
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