Atal Bihari Vajpayee birthday
अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था और इनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. अटल बिहारी वाजपेई के पिता किशन बिहारी वाजपेई थे और वह कवि होने के साथ-साथ स्कूल मास्टर भी थे और अटल बिहारी वाजपेई की स्कूल की शिक्षा ग्वालियर से ही की थी.
इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई गवारिया के विक्टोरियन कॉलेज में की थी और इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र में एमए किया और इस दौरान उन्होंने संत के कई ट्रेनिंग कैंपों में भी हिस्सा लिया था.
राजनीति में उनका प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ इस आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें और उनके बड़े भाई को 30 दिन तक जेल में जाना पड़ा.
अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में 3 बार देश का नेतृत्व किया. पहली बार 16 मई 1996 में प्रधानमंत्री बने लेकिन लोकसभा में बहुमत ना पानी से 31 मई 1996 को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद 1998 तक वह लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे.
दूसरी बार एनडीए के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेई 1998-1999 तक प्रधानमंत्री बने रहे. लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए के नए सदन में अपना बहुमत साबित किया इस तरह बीजेपी ने एक बार से देश में सरकार बनाई.
तीसरी बार का कार्यकाल 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2000 तक रहा.
उनके इस कार्यकाल में उन्हें अनेकों उपाधि हासिल हुए और साल 2004 में आम चुनाव में बीजेपी के हार के बाद उन्होंने गिरिडीह क्षेत्र के चलते राजनीति से संयास ले लिया था.
जन संघ के अध्यक्ष
अटल बिहारी वाजपेई हिंदी के कवि और पत्रकार और प्रवक्ता भी रहे हैं. भारतीय जनसंघ की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही है और वह 1968 से 1973 तक जैन संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं.
पत्र-पत्रिकाओं के संपादक
आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेई लंबे समय तक राष्ट्रीय धर्म पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि के पत्र-पत्रिकाओं के आदि के संपादन भी करते रहे.
विदेश मंत्री
जब अपात्काल का विरोध करने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था. और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने सभी विपक्षी दलों के साथ आने और एक दल बनाने की अपील की थी. जनसंघ और आर एस एस ने जेपी आंदोलन का पूरा समर्थन दिया था.
सन 1977 में देश की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ जनता पार्टी को बड़े बहुमत से जीत दिला दी. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेई को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया. वाजपेई बेतोर विदेश मंत्री संयुक्त राज्य संघ में हिंदी में भाषण देने वाले पहले नेता बने थे.
भारत रतन
अटल बिहारी वाजपेई को 27 मार्च 2015 में नरेंद्र मोदी के सरकार. ने देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रतन से नवाजा और उस समय देश के राष्ट्रपति थे श्री प्रणब मुखर्जी.
अटल बिहारी वाजपेई पुरस्कार
अटल बिहारी वाजपेई को भारत रतन के अलावा कई अन्य सम्मान से नवाजा जा चुका है उन्हें 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से और 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से और 1994 में गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से नवाजा गया
Atal Bihari Vajpayee Books ( पुस्तकें )
अटल बिहारी वाजपेई द्वारा लिखी पुस्तकों में
1.मृत्यु या हत्या
2.अमर बलिदान
3.कैदी कविराय की कुंडलियां बहुत ही प्रसिद्ध है.
काव्य संग्रह
अटल बिहारी वाजपेई एक राजनेता होने के साथ-साथ कवि भी हैं.उनके काव्य संग्रह में मे 51 कविताएं हैं. और उन्होंने जगदीश सिंह के साथ दो एल्बम नई दिशा और संवेदना भी रिलीज की है.
First Nuclear Test in India
प्रधानमंत्री बनने के बाद 1998 में अटल बिहारी भाजपाई सरकार ने न्यूक्लियर टेस्ट करने का फैसला किया. उससे पहले के प्रधानमंत्री इसके पक्ष में नहीं थे और अमेरिका भी इसके खिलाफ था.
उसकी खुफिया एजेंसी सेटेलाइट से निगरानी कर रही थी और उन्हें चकमा देते हुए 11 मई और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किए गए और उसके बाद उन्होंने कैलंदन को लिखा कि परमाणु बम का इस्तेमाल देश के खिलाफ नहीं होगा.
सांसद
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई 4 राज्यों के लोकसभा चुनाव जीतने वाले एकमात्र सांसद थे. वाजपेई ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में लखनऊ गुजरात के गांधीनगर मध्य प्रदेश के विदिशा और नई दिल्ली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था.
वह सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड भी अटल बिहारी वाजपेई के नाम है. अटल बिहारी वाजपेई 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद बने थे और अटल बिहारी वाजपेई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जो 5 साल पार्टी चलाने में सक्षम रहते हैं.
कारगिल युद्ध| kargil war
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच में हुआ एक सशस्त्र युद्ध. उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपई.
कारगिल युद्ध ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था.
पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच के नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी. उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे नवाज शरीफ जब कारगिल में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई इस युद्ध को हर हाल में जीतने के लिए बेताब थे. युद्ध जैसे-जैसे आगे बढ़ने लगा अटल जी जान चुके थे कि यह युद्ध पहले हुए युद्ध जीतना आसान नहीं है. इसलिए उन्होंने खुद मैदान ई जंग में जाकर अफसरों और जवानों का हौसला बढ़ाने का फैसला लिया.
युद्ध के दौरान ही अटल जी कारगिल पहुंच गए 3 दिन तक वहां रहे वहां उन्होंने सेना के जवानों और अफसरों से युद्ध की स्थिति का जायजा लेते हुए, वहीं रहकर उनका हौसला बढ़ाया.
बाद में अटल जी को दिल्ली वापस भिजवाया गया थल सेना स्कोड ने 26 मई को ऑपरेशन से सागर शुरू किया जबकि जल सेना ने रांची तक पहुंचने वाली समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाके के जहाजी बेड को अरब सागर में में ला खड़ा किया.
भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कारगिल युद्ध में mig-27 और mig-29 का प्रयोग किया था. पाकिस्तानी युद्ध के कारण राजनीतिक और आर्थिक संकट बढ़ गया और नवाज शरीफ के सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति बन गए और 26 जुलाई 1999 में भारत के नए कारगिल युद्ध में विजय हासिल की.
atal bihari vajpayee death date
अटल बिहारी वाजपेई जी का निधन 16 अगस्त 2018 की शाम को हुआ और उनका निधन दिल्ली में स्थित एम्स हॉस्पिटल में हुआ अटल बिहारी वाजपेई को गुदरी में संक्रमण छाती में जकड़न मूत्र नली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था और अटल बिहारी वाजपेई जी मधुमेह की बीमारी से पीड़ित थे और उनका एक ही गुर्दा काम करता था उनका अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे विजय घाट नगर के यहां किया जाएगा.
atal bihari vajpayee speech
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