40 Amazing Facts About Uranus in Hindi
1.13 मार्च 1781 खगोल विज्ञान का सबसे महत्तम दिन सर विलियम हेर्शल ने इस दिन यूरेनस खोजा जो कि मॉडर्न हिस्ट्री में हमारे द्वारा खोजा गया पहला ग्रह था.
2. इसने शनि ग्रह तक सिमटे हमारे सौरमंडल की सीमाओं को और आगे तक बढ़ा दिया, यह टेलिस्कोप से खोजा गया पहला ग्रह था.
3.यूरेनस को हम नॉर्मल eye से देख सकते हैं पर इसे कभी भी इंसेंट ऑब्जरवेशन द्वारा प्लेनेट नहीं माना गया क्योंकि यह कम चमकता है.
4. इसका ऑर्बिट स्लो है जो कि बिल्कुल देखने पर तारे की तरह दिखता है.
5.शुरू में सर विलियम हेर्शल ने भी इसे एक कोमेंट मान लिया हेर्शल के अलावा और भी कई एस्ट्रोनोमर थे जिन्होंने यूरेनस को गलती से तारा समझ लिया था.
6.यूरेनस की डिस्कवरी से लेकर इसका इंटरनल स्ट्रक्चर एटमॉस्फेयर और क्लाइमेट बेहद ही दिलचस्प है.
7.विलियम हेर्शल ने अपनी खोजी गई ऑब्जेक्ट को एक कोमेट मान लिया था, स्वीडिश एस्ट्रोनॉमर anders johan laxell पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हेर्शल द्वारा खोजी गई ऑब्जेक्ट का ऑर्बिट कंप्यूट किया.
8.उन्होंने पाया की इस ऑब्जेक्ट का ऑर्बिट पूरी तरह से सर्कुलर था और इससे यह तथ्य सामने आया की हेर्शल द्वारा खोजी गई ऑब्जेक्ट 1 नया ग्रह है यह कोई कॉमेंट नहीं है क्योंकि को कॉमेट का ऑर्बिट हाईली इसेंट्रिक और इलेक्टिकल होता है.
9.बर्लिन के एस्ट्रोनामर जॉन अलर्ट बोर्ड ने हेर्शल कि डिस्कवरी को एक मूविंग स्टार कहा और माना कि यह शनि के बाद एक सर्कुलर ऑब्जेक्ट मैं एक ग्रह की तरह चक्कर लगा रहा है. तो इसे ग्रह ही माना जाए ना कि एक कोमेट और जल्द ही पूरी दुनिया ने सर विलियम हेर्शल की डिस्कवरी को एक नए ग्रह की डिस्कवरी में एक्सेप्ट कर लिया.
10.आगे चलकर जिसका नाम रखा गया यूरेनस. प्लेनेट की खोज के बाद हेर्शल ने इसे नाम दिया जॉर्जियम सीड्स जो कि इंग्लैंड के राजा जॉर्ज थर्ड के सम्मान में रखा गया पर इस नाम को ज्यादा एक्सेप्ट नहीं किया गया. बाद में बाकी ग्रह के अनुसार इसका नाम भी रोमन मैथोलॉजर के हिसाब से यूरेनस रखा गया.
11.जिसे पूरी तरह से एक्सेप्ट किया गया जोकि रोमन मैथोलॉजी में फादर ऑफ सैटर्न ग्रैंड फादर ऑफ जुपिटर माना गया है. यूरेनस हमारे सौरमंडल का सातवां ग्रह है जो कि आकार में तीसरा और भार में चौथा सबसे बड़ा ग्रह है.
12.यह सूर्य से लगभग तीन बिलियन किलोमीटर दूर है सूर्य की रोशनी को यूरेनस तक पहुंचने में ढाई घंटे से ज्यादा का समय लगता है पर ज्यादा दूर होने के कारण यूरेनस पर्सन लाइट की इंटरसिटी धरती के मुकाबले 400 गुना कम है.
13.ज्यादा दूरी होने के कारण यूरेनस सूर्य का एक चक्कर 84 सालों में पूरा करता है मतलब यह कि यूरेनस पर 1 साल पृथ्वी के 84 सालों के बराबर है.
14.बाकी ग्रह के मुकाबले यूरेनस की रोटेशन बड़ी अजीब है लगभग सभी ग्रह की रोटेशनल एक्सेस ऑर्बिट प्लेन के परपेंडिकुलर होती है. पर यूरेनस 98 डिग्री तक झुका हुआ है और ऐसा लगता है कि इसकी रोटेशनल एक्सेसट आर्बिटल प्लेन के समान है. इसी कारण यूरेनस का नोट्स पोल हाफ यूरेनियम ईयर यानी 42 अर्थ ईयर के लिए सूर्य की तरफ रहता है और वहां पूरे 42 साल तक दिन रहता है.
15.वहीं दूसरी तरफ साउथ पोल पर 42 अर्थ ईयर तक अंधेरा छाया रहता है इन एक्सट्रीम कंडीशन के कारण यहां दूसरे ग्रहों की तरह दिन और रात नहीं होते मतलब यहां सनराइज और सनसेट जैसी घटनाएं ही नहीं होती.
16.पर एक घटना थैंक्यून एक्सेस के समय जब सूर्य इसके इक्वेटर के सामने होता है तब कुछ समय के लिए यहां नॉर्मल दिन और रात देखने को मिलते हैं.
17.आखिर यूरेनस में इतना सारा झुकाव कैसे आया यह आज भी हमारे लिए एक पहेली है.
18.आज वैज्ञानिकों का यह मानना है इतिहास में कभी इस ग्रह की टक्कर पृथ्वी के आकार के ग्रह से हुई होगी और वह टक्कर इतनी भयानक रही होगी की यूरेनस की एक्सेस ऑफ रोटेशन 98 डिग्री तक झुक गया.
19.यूरेनस अपने एक्सेस पर 97 घंटे 14 मिनट में एक चक्कर पूरा करता है. ज्यादा झुकाव के कारण यूरेनस की पोलर रीजन सूर्य से ज्यादा एनर्जी प्राप्त करते हैं पर फिर भी यूरेनस का इक्वेटर पोलर रीजन से ज्यादा गर्म है, ऐसा क्यों यह आज भी एक रहस्य है.
20.यूरेनस नेप्चून से साइज में थोड़ा ज्यादा बढ़ा है. यह हमारे सोलर सिस्टम का दूसरा सबसे कम डेंसिटी वाला ग्रह है.
21.इसकी डेंसिटी 1.27 ग्राम पर सेंटीमीटर क्यूब है इसका भार पृथ्वी से लगभग 14.5 गुना ज्यादा है.
22.यूरेनस का अंदरूनी हिस्सा दो भागों से बना हुआ है सेंटर में सिलीकेट और आयरन निकल की पथरीली कोर है और इसके ऊपर मेंटल है जो माना जाता है कि वॉटर आईएस अमोनिया और अन्य ज्वलनशील पदार्थ से बनी हुई है.
23.यूरेनस की कोर भार में पृथ्वी के मुकाबले आधी है, पर मेंटल पृथ्वी से 13.5 गुना ज्यादा भारी है. मेंटल की परत लगभग 5 किलोमीटर तक मोटी है इसके सेंटर में डेंसिटी 9 ग्राम पर सेंटीमीटर क्यूब तक है और प्रेशर 8 मिलियन बार तक है.
24.यह टेंपरेचर भी 5000 केल्विन तक रहता है यूरेनस की मेंटल में पाई जाने वाली बर्फ नॉर्मल आइस नहीं है, बल्कि यह बेहद ही गर्म और फ्लूड है जो कि हाईली इलेक्ट्रिकल कंडक्टिव है.
25.कभी-कभी इसे वाटर अमोनिया ओशन भी कहा जाता है. यूरेनस की अंदरूनी हिस्से की सबसे रहस्य में बात यह है कि यह दूसरी गैस जॉइंट की तरह सूर्य के मिलने वाली एनर्जी से ज्यादा एनर्जी अमिट नहीं करता.
26.नेपच्यून इससे दूर होने के बावजूद भी सूर्य से मिलने वाली एनर्जी से लगभग 2.6 गुना ज्यादा एनर्जी स्पेस में रेडिएट करता है, जो साइज में यूरेनस के लगभग बराबर है.
27.वैज्ञानिक यूरेनस के इस बिहेवियर से काफी हैरान थे कि आखिर यह इतनी कम एनर्जी क्यों जनरेटर और रेडियट करता है. इसके बाद दो पॉपुलर थ्योरी सामने आई जो इसकी एक्सप्लेनेशन देती थी.
28.पहली थ्योरी के अनुसार यूरेनस किसी बड़ी चीज से टकराया जिससे इसकी कोर बिखर गई और इसके अंदर छोटी बची हुई कोर रह गई और दूसरी थ्योरी के अनुसार यूरेनस के अंदर कुछ ऐसे बैरियर हैं जो इसकी इंटरनल हीट को बाहर नहीं आने देते.
29.पर इसकी असल वजह क्या है हमारे लिए आज भी यह एक रहस्य ही है. यूरेनस की नीली अपीरियंस के कारण जुपिटर और सैटर्न के मुकाबले इसके एटमॉस्फेयर को ऑब्जर्व करना ज्यादा मुश्किल है.
30.पर हवल स्पेस टेलीस्कोप एडवांस इमेजिंग टेक्नोलॉजी अर्थ बेस टेलीस्कोप और वाइजल 2 की मदद से हमने यूरेनस के बारे में काफी कुछ जाना. Uranus पर भी अन्य गैस जायंट्स की तरह बैलेंस है.
31.हालांकि यूरेनस की कोई वेलडफाइंड सरफेस नहीं है. यूरेनस के बाहरी हिस्से में गैसेस एटमॉस्फेयर है जिसमें मुख्य रूप से मॉलिक्यूल हाइड्रोजन और हीलियम है.
32.मिथेन यूरेनस पर तीसरा सबसे ज्यादा पाए जाने वाला कॉम्पोनेंट है. यूरेनस की एटमॉस्फियर कंपोजीशन दूसरे गैस से काफी मिलती जुलती है पर जुपिटर और शनि के एटमॉस्फेयर में ज्यादातर गैसेस पाई जाती हैं.
33.वहीं दूसरी तरफ यूरेनस पर बहुत ज्यादा आईस यानी बर्फ पाई जाती है. इसके एटमॉस्फेयर में वाटर और अन्य गैसेस के आईसी क्रिस्टल पाए जाते हैं.
34.हमारे सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह यूरेनस है. यहां का एवरेज टेंपरेचर – 224 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया गया है. इसीलिए यूरेनस को आइस जॉइंट भी कहा जाता है.
35.दूसरे गैस प्लेनेट की तरह यूरेनस के पास भी रिंग्स है पर यूरेनस का रिंग सिस्टम शनि ग्रह की तरह बेहद ही डार्क है. इसके रिंग सिस्टम में बड़े पार्टिकल्स पाए जाते हैं जो 10 मीटर तक डायमीटर के हैं और बारीक 10 पार्टिकल भी यूरेनस के रिंग में शामिल है.
36.यूरेनस की 13 रिंग्स है सबसे चमकीली रिंग्स एप्ससाइलेन है आज हम यह मानते हैं की रिंग ग्रहों का कॉमन फीचर है ना कि अकेले शनि ग्रह के पास रिंग्स है.
37.यूरेनस का मैग्नेटिक फील्ड भी अजीब तरह से सेंटर में ना होकर इसके एक्सेस ऑफ रोटेशन से 60 डिग्री तक झुका हुआ है जोकि आईस जेंट्स के लिए एक आम बात है.
38.नेपच्यून का मैग्नेटिक फील्ड यूरेनस की तरह झुका हुआ है. यूरेनस के 27 उपग्रह हैं जिनके नाम रखे गए हैं लेकिन यूरेनस के सभी उपग्रहों के नाम शेक्सपियर और पॉप की राइटिंग में से लिए गए हैं.
39.यूरेनस के पांच मुख्य उपग्रह का भार मिलाकर भी रिंटोन के भार से आधा है जो कि नेपच्यून का सबसे बड़ा उपग्रह है.
40.टाइटेनिया यूरेनस का सबसे बड़ा उपग्रह है सन 1977 को लॉन्च किया गया वॉइजर 2 सन 1986 में यूरेनस सिस्टम में दाखिल हुआ और यही हमारे द्वारा यूरेनस की स्टडी के लिए भेजा गया पहला और आखरी स्पेसक्राफ्ट है. यह 24 जनवरी सन 1986 को यूरेनस के सबसे करीब था नेप्चून की तरफ जाने से पहले उसने यूरेनस की केमिकल कंपोजिशन और इसके एटमॉस्फेयर स्टडी किया.
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