1-10 Amazing Facts About Saturn in Hindi
शनि ग्रह हमारे सौरमंडल का छठवां ग्रह है. यह हमारे सौरमंडल का सबसे खूबसूरत ग्रह है.
खूबसूरती के साथ-साथ रहस्य में साइज और कंपोजीशन में यह ग्रह जुपिटर से मिलता जुलता है और बहुत सी बातें ऐसी हैं जो यह हमारे सोलर सिस्टम का एक बेहद ही रोचक ग्रह बनाती है.
रोमन में शनि को फादर ऑफ जुपिटर, किंग ऑफ गॉड और गॉड ऑफ एग्रीकल्चर कहा.
शनि ग्रह वह आखिरी ग्रह था जिसे हमारे पूर्वज जानते थे.
हमारे सोलर सिस्टम के दूसरे सबसे बड़े गैस जॉइंट Saturn शनि ग्रह की केमिस्ट्री भी जुपिटर की तरह अजीब है.
शनि ग्रह उन पांच सबसे दूर ग्रहों में शामिल है जिन्हें नॉर्मल आंखों से देखा जा सकता है और शायद इसीलिए इसे प्रीहिस्टोरिक युग से ही हम जानते हैं.
सन 1610 में पहली बार गैलीलियो गैलीली ने शनि ग्रह को टेलीस्कोप से देखा इससे पहले किसी ने भी शनि ग्रह के रिंग्स को भी नहीं देखा था.
गैलीलियो ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने Saturn रिंग्स को देखा इसके बाद हाइजेंस ने शनि ग्रह की सबसे बड़ी चंद्रमा टाइटन और cassini ने इसके चार और चंद्रमा खोजें cassini 1 गैप खोजा जिसे कैसीनी विजन के नाम से जाना जाता है.
इसके बाद सन 1789 मैं विलियम हर्षल ने शनि ग्रह के दो और उपग्रह खोजें और इसके बाद शनि ग्रह के और भी अनेक उपग्रह को खोजा गया.
shani graha का चंद्रमा टाइटन हमारे सौरमंडल के उन उपग्रह में शुमार है जहां जीवन की खोज की जा रही है.
10-20 Amazing Facts About Saturn in Hindi
शनि ग्रह मुख्य रूप से हाइड्रोजन हीलियम का बना हुआ है यह एक गैस जायंट है पर इसका सबसे अधिक भार गैसीस हाइड्रोजन और हीलियम में नहीं है बल्कि उसे लिक्विड हाइड्रोजन और हीलियम का है जो उसकी गहराइयों में जमा है.
माना जाता है कि शनि ग्रह की कोर भी जुपिटर की ही तरह पथरीली है जोकि आयरन और nickal से बनी हो सकती है.
यह कोर पृथ्वी की कोर से काफी मिलती-जुलती होगी पर शनि ग्रह की कोर पृथ्वी से ज्यादा डेंस होगी सनी के कोर का डायमीटर लगभग 25000 किलोमीटर है. यह कौन मैटेलिक हाइड्रोजन से ढकी हुई है इसके बाहर लिक्विड हाइड्रोजन है और इसके सबसे ऊपरी 1000 किलोमीटर की परत गैसीस हाइड्रोजन और हीलियम की है.
इस ग्रह की कोर का तापमान लगभग 11700 डिग्री सेल्सियस है और इसी कारण यह सूर्य से मिलने वाली एनर्जी से ढाई गुना ज्यादा एनर्जी स्पेस में रेडिएट कर देता है.
सूर्य से शनि ग्रह की दूरी लगभग 1.493 billion km है सूर्य की रोशनी को इस ग्रह तक पहुंचने में डेढ़ घंटे से ज्यादा का समय लगता है.
सूर्य का एक चक्कर लगाने में शनि ग्रह को 29.5 ईयर का समय लगता है जोकि 10759 पृथ्वी दिन के बराबर है मतलब यह कि शनि ग्रह का एक साल 10759 पृथ्वी दिन के बराबर होते हैं.
shani graha पर भी हर साल पृथ्वी की तरह मौसम बनते हैं यदि शनि ग्रह पर 1 दिन की बात की जाए तो हमारे सोलर सिस्टम का दूसरा सबसे छोटा दिन शनि पर होता है. जो कि लगभग 10 घंटे 47 मिनट का होता है.
लेकिन यह वैल्यू एक एवरेज वैल्यू है क्योंकि जुपिटर की ही तरह शनि ग्रह के भी अलग अलग रीजन अलग-अलग स्पीड से घूमते हैं. इसे समझने के लिए शनि ग्रह के तीन सिस्टम बनाए गए थे.
शनि ग्रह के नॉर्थ और साउथ पोलर रीजन और नॉर्थ और साउथ एक ट्यूटोरियल बेल्ट को सिस्टम वन में रखा गया जो कि 10 घंटे 14 मिनट में एक ऑर्बिट पूरा करते हैं. बाकी बचे हुए रीजन को सिस्टम टू में रखा गया जो अपना एक ऑर्बिट 10 घंटे 38 मिनट और 25 सेकंड में पूरा करता है.
ग्रह के अंदरूनी हिस्से को सिस्टम 3 में रखा गया है जिसका ऑर्बिट पीरियड 10 घंटे 39 मिनट और 23 सेकंड है पर यह सभी वैल्यू एक्यूरेट और प्रासाइज नहीं थी.
20-30 Amazing Facts About Saturn in Hindi
सन 2004 में कैसीनी सनी के पास पहुंच रहा था और इससे मिली कैलकुलेशन से पता चला कि इस ग्रह के अंदरूनी हिस्से का और बीटिंग पीरियड 10 घंटे 45 मिनट का है जो कि हमारे ऐस्टीमेटेड टाइम से 36 सेकंड ज्यादा है.
shani graha के 1 दिन की लेटेस्ट ऐस्टीमेशन सन 2007 में हुई वाइजर कैसीनी और पियूनी प्रॉप्स से मिले आंकड़ों से इसका ऑर्बिट पीरियड 10 घंटे 32 मिनट और 35 सेकंड रिकॉर्ड किया गया.
इस ग्रह के मॉसफियर में लगभग 96% हाइड्रोजन है और 3.25% हीलियम है शनि ग्रह पर हिलियम से भारी एलिमेंट की मात्रा का अभी पक्के तौर पर पता नहीं है पर अनुमान लगाया जाता है कि इनका भार पृथ्वी के भार से लगभग 30 गुना ज्यादा तक हो सकता है जो कि इसके कोर में हो सकते हैं.
इसके एटमॉस्फेयर में अमोनिया एथेन एसिटिलीन और मिथेन आदि के ड्रेसेस भी मिले हैं जुपिटर की ही तरह शनि ग्रह पर भी बादलों की परते हैं बादलों की सबसे ऊपरी परत अमोनिया क्रिस्टल की है और नीचे की परतों में अमोनियम हाइड्रोसल्फाइट और पानी के बादल भी पाए जा सकते हैं.
शनि ग्रह पर भी बैन पैटर्न पाया जाता है पर जुपिटर के मुकाबले यह वेंटस काफी हल्के रंग के और ज्यादा चौड़ा हैं ऊपरी बादलों की परतों का तापमान 160 केल्विन और प्रेशर दो बार तक रहता है और इन बादलों में सिर्फ अमोनिया आईस ही पाई जाती है.
इसके एटमॉस्फेयर में अंदर जाते हुए जब प्रेशर 9.5 बार तक चला जाता है तो वाटर आइस के बादल शुरू हो जाते हैं जहां पर टेंपरेचर लगभग 270 केल्विन तक चला जाता है और सबसे नीचले बादलों में वाटर और अमोनिया का सलूशन पाया जाता है.
इस रीजन में प्रेशर 20 बार और टेंपरेचर 330 केल्विनेटर तक रहता है शनि ग्रह पर पूरे सोलर सिस्टम की दूसरे नंबर पर सबसे तेज हवा के चलते हैं जो कि 500 मीटर पर सेकंड की रफ्तार से चलती है.
shani graha का नार्मल टेंपरेचर -185 डिग्री सेल्सियस तक रहता है पर साउथ पोलर रीजन पर गरम बोटेक्स के कारण यहां यहां तापमान -122 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है जोकि शनि ग्रह की सबसे गर्म जगह मानी गई है.
शनि ग्रह हमारे सोलर सिस्टम का सबसे कम डेंसिटी वाला प्लेनेट है इसकी डेंसिटी 0.687 ग्राम पर सेंटीमीटर क्यूब है जो कि नॉर्मल वाटर की डेंसिटी से भी कम है.
सन 1990 में हबल टेलीस्कोप में एक बड़ा व्हाइट क्लाउड यानी सफेद बादल शनि ग्रह पर देखा यह बड़ा बादल असल में सनी पर एक बड़ा तूफान था. पर वाइजर प्रूव ने इसे नहीं देखा और यह एक पहेली बन गया. बाद में रिसर्च से पता चला यह ग्रेट वाइट सपोर्ट एक जल्दी खत्म हो जाने वाला तूफान है जो हर 30 साल में एक बार बनता है.
30-40 Amazing Facts About Saturn in Hindi
शनि ग्रह पर अगला ग्रेट व्हाइट बोट तूफान सन 2020 में आएगा. शनि ग्रह की नॉर्थ पोल वर्टेक्स में एक हेक्सागोनल क्लाउड पैटर्न बना हुआ है जो इस ग्रह के साथ ही घूमता है. पर यह पैटर्न कैसे बना यह आज भी एक रहस्य है.
इसकी साउथ पोल पर कोई वर्टेक्स यह हेक्सागोनल पैटर्न नहीं है पर एक बहुत बड़ा और साफ-साफ दिखाई देता तूफान है जो कि आईवाल की तरह है इससे पहले से पृथ्वी पर ही इस तरह के तूफान देखे गए थे सनी पर यह तूफान अरबों सालों से हैं.
shani graha अपनी प्लेनेटरी रिंग्स के लिए भी जाना जाता है जो इसे एक यूनिक ग्रह बनाती है.
शनि ग्रह के रिंग्स हम किसी छोटी टेलिस्कोप से भी देख सकते हैं इस ग्रह के इक्वेटर से 120000 700 किलोमीटर दूर तक फैली हुई है और इन रिंग्स की चौड़ाई 1 किलोमीटर से भी कम है.
shani graha के रिंग 93 प्रतिशत वाटर आईस और लगभग 7% कार्बन से बनी हुई है देखने में भले ही यह रिंग बहुत ही बड़ी हो पर यदि रिंग्स के पार्टिकल्स को जोड़कर एक घेरा बनाया जाए तो इसका डाया 200 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगा.
सन 1980 में वाइजर स्पेसक्राफ्ट ने इसके रिंग्स में एक बेहद ही रहस्यमई चीज देखी वह थी स्पोक यह स्पोक माना जाता है कि शनि ग्रह की रिंग्स की ऊपर और नीचे की पार्टिकल्स की इस ग्रह के एक मैग्नेटिक फील्ड से हुई इंफेक्शन के कारण बनते हैं.
अजीब बात तो यह है कि यह स्पोक सीजनल है जो कि सेंचुरियन बेनटर और सेंचुरियन समर के बीच गायब हो जाती हैं पर फिलहाल यह स्पोक तो रहस्य है. पर फिलहाल यह स्पोक तो रहस्य है ही साथ ही में शनि ग्रह के रिंग्स आखिर अस्तित्व में कैसे आए यह आज भी एक रहस्य है.
shani graha के 62 मुख्य उपग्रहों को हम खोज चुके हैं और ऑफीशियली जिनको नाम भी दिए गए पर ऐसे सैकड़ों हजारों छोटे-छोटे मुलेट्स भी हैं जिनका डायमीटर 500 मीटर तक है और यह मुलेट्स शनि ग्रह के रिंग्स में घूम रहे हैं पर इन्हें ट्रू मूंस नहीं माना जाता टाइटेनिक इस ग्रह का सबसे बड़ा उपग्रह है.
शनि ग्रह के इर्द-गिर्द घूमने वाले सभी उपग्रह और रिंग्स का 90% भाग टाइटन का है. टाइटन हमारे सौरमंडल का एकलौता ऐसा उपग्रह है जहां पृथ्वी की तरह एटमॉस्फेयर है और जहां पूरी की पूरी कॉन्प्लेक्स ऑर्गेनिक केमेस्ट्री मौजूद है और ऐसे एटमॉस्फेयर में लाइफ एक्जिस्टेंट के चांसेस बहुत ही ज्यादा बढ़ जाते हैं.
shani graha का दूसरा सबसे बड़ा मून है रिया और यह मून इसलिए जाना जाता है कि इसके पास भी शनि ग्रह की तरह छोटा सा रिंग सिस्टम एटमॉस्फेयर भी है.
शनि ग्रह के स्टडी के लिए भी अनेकों स्पेसक्राफ्ट भेजे गए. सितंबर 1979 में पर्वनीर 11 भेजा गया जिसने इस ग्रह और इसके कुछ उपग्रहों की इमेज हमें भेजें पर यह इमेजेस बहुत ही कम रेजुलेशन की थी. इसने शनि ग्रह के रिंग्स को भी स्टडी किया और पर्वनीर 11 ने टाइटन का टेंपरेचर भी रिकॉर्ड किया.
40-45 Amazing Facts About Saturn in Hindi
नवंबर सन 1980 में वाईजेड वन प्रो भेजा गया जिसने हमें शनि ग्रह की पहली हाई रेजुलेशन इमेजेस भेजि. शनि ग्रह के उपग्रहों की सरफेस और एटमॉस्फेयर की जानकारी शनि ग्रह की डिटेल इंफॉर्मेशन हमें वाइजर वन ने भेजि.
वाइजर वन की डायजैकट्री चेंज होने के बाद सन 1981 वाइजर 2 ने इस ग्रह की क्लोज स्टडी कि इसका एटमॉस्फेयर रिंग सरफेस क्लाइमेट इसके मूंस मून का एटमॉस्फेयर और बहुत कुछ. इसके बाद इसे भी यूरेनस की ओर भेज दिया गया.
शनि ग्रह के लिए आखरी मिशन कैसीनी हाइजीन स्पेसक्राफ्ट भेजा गया जो कि 2004 में शनि ग्रह की ओरबिट मैं एंटर हुआ. उसने भी हाईरेजलेशन फोटो और और डाटा भेजा. इसमें टाइटन के बहुत ही रेयर इमेजेस कैप्चर किए जोगी टाइटन पर पृथ्वी की तरह नदियां जिले और और सरफेस दिखाती हैं.
इस स्पेसक्राफ्ट में हायजैन प्रो 25 दिसंबर 2004 को टाइटन पर छोड़ा जो की 14 जनवरी 2015 को टाइटन पर उतरा और तब से हमें वहां की इमेजेस और डाटा लगातार भेजा जा रहा है. इससे हमें टाइटन पर मौजूद लिक्विड वाटर और आईसकल की ड्रेसेस भी मिले. माना जाता है कि टाइटन पर लिक्विड वाटर ओसियन के भी सबूत हमें कैसीनी स्पेसक्राफ्ट से ही मिले हैं.
शनि ग्रह की नई रिंग्स की खोज नई मून की खोज सन 2006 में आईबॉल की खोज भी कैसीनी ने की थी. इसके साथ ही अन्य सवाल ऐसे हैं जो शनि ग्रह को और ज्यादा रहस्यमई बना देते हैं. शनि अपनी इंटरनल Heat जनरेट करता है. शनि ग्रह की रिंग कैसे बनी और यह बाकी ग्रह के रिंग सिस्टम से इतनी ज्यादा अजीब क्यों है. यह सवाल कुछ ऐसे हैं जो अभी तक अनसुलझे हैं. रहस्यमई स्पोक्स आखिर कैसे बनते हैं यह स्पोक्स क्यों बनते हैं यह भी कुछ ऐसे सवाल हैं जो आज भी हमारे लिए रहस्य बने हुए हैं. और पढ़ें : सूरज(SUN) के बारे में 20 रोचक तथ्य चंद्रमा(moon) के बारे में रोचक तथ्य बुध ग्रह (Mercury) के बारे में 35 अनोखे तथ्य शुक्र ग्रह(VINUS) के बारे में 35 रोचक तथ्य पृथ्वी (EARTH)के बारे में 25 अनोखे फैक्ट मंगल (MARS)ग्रह के बारे में ये रोचक तथ्य बृहस्पति ग्रह(jupiter) के बारे में 50 रोचक तथ्य शनि ग्रह(Saturn) के बारे में 45 रोचक तथ्य अरुण ग्रह (Uranus) के बारे में 40 रोचक तथ्य वरुण ग्रह (Neptune) के बारे में 35 रोचक तथ्य
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