पृथ्वी से 384400 किलोमीटर दूरी में स्थित चंद्रमा का डायमीटर 3475 किलोमीटर है. जो पृथ्वी का एक चौथाई बताया जाता है. वॉल्यूम के हिसाब से पृथ्वी तथा वॉल्यूम चंद्रमा के मुकाबले 80 गुना ज्यादा है और इसका मास 7.342×10^22kg बताया जाता है. जो पृथ्वी का 0.012300 बताया जाता है.
चंद्रमा का संरचना के बारे में कई तथ्य मिले जिनके मुताबिक करीब 4.51 बिलियन साल पहले एक बड़ा सा वस्तु जो आकार में करीब मंगल ग्रह के समान बताया जाता है. उसका टक्कर पृथ्वी से हुआ था जिनके कारण पृथ्वी के मेंटल और कोर भाग का एक बड़ा संस्था कई टुकड़ों में बट कर महाकाश में बिखर गया था. यह टुकड़े बाद में ग्रेविटी फोर्स के कारण पृथ्वी के चारों ओर घूमने लगा जो करोड़ों साल तक ठंडा होते होते हैं.
एक साथ जुड़ने के बाद चंद्रमा का आकार धारण किया इसका प्रमाण मिलता है. पृथ्वी का मेंटल और कष्ट भाग कोर के मुकाबले कम घनत्व होने से इसके चलते पृथ्वी से उत्पन्न चंद्रमा का घनत्व भी पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम माना जाता है. चंद्रमा का इंटरनल स्ट्रक्चर 3 हिस्सों में बटा हुआ है. क्रस्ट मैंटल और कोर कोर में तीन भाग पाए जाते हैं.
एक इनर कोर जहां सॉलिड आयरन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और उसका रेडियस 240 किलोमीटर तक है दो आउटर कोर जो लिक्विड आयरन से बना हुआ है और उसका रेडियस करीब 300 किलोमीटर है. तीसरा पार्शियल मॉल्टन बाउंड्री लेयर जिसका रेडियस 500 किलोमीटर है जो कोर के ऊपर के भाग में फैले हुए हैं.
इसी स्ट्रक्चर के कारण चंद्रमा के गठन के समय कोर में मैग्ना औसीन की सृष्टि हुई थी और मैग्मा क्रिस्टलाइजेशन के कारण मेटल का भाग घटित हुआ था. तुलनात्मक कम घनत्व वाला मैग्मा औसन से निकला लावा क्रस्ट पार्ट में जमा हो गया था जो धीरे धीरे ठंडा होते हैं.
चंद्रमा की सतह के रूप में माना जाने लगा चंद्रमा से लाए गए पत्थरों से चंद्रमा की सतह का निर्माण जो लावा से हुआ था. उसका प्रमाण मिला पृथ्वी के खाली आंखों से देखने के समय चंद्रमा में कुछ काले धब्बे दिखते हैं जो असल में चंद्रमा के गड्ढे हैं. चंद्रमा के सत्य के ऊपर एस्ट्रॉयड और कॉमेड कई सालों से टकराने के कारण यह गड्ढे बने जिनकी संख्या 300000 करीब बताया जाता है और यह गड्ढे करीब 1 किलोमीटर तक फैले हुए हैं.
इनमें से जो बहुत ज्यादा बड़े होते हैं उन्हें मारिया कहा जाता है जहां वैज्ञानिकों को पहले पानी का जमावट लगता था. पृथ्वी के जैसे चंद्रमा जियोलॉजी एक्टिव नहीं होने के कारण वहां कोई atmosphere नहीं है और ना ही कोई वोल्केनिक एक्टिविटी नजर में आता है. इन कारणों की वजह से चंद्रमा का सरफेस कभी परिवर्तनशील नहीं होता और गड्ढा हमेशा से एक ही आकार में रह जाते हैं.
चंद्रमा का कोई एक atmosphere नहीं है. बिना वातावरण के कारण चंद्रमा का सतह हमेशा कॉस्मिक रेज meteorits और solarwind जैसे तथ्यों से सुरक्षित नहीं रहता है. लेकिन सन 2008 में इसरो द्वारा छोड़ा गया chandrayaan-1 स्पेसक्राफ्ट के भेजे गए अच्छे से इसके वातावरण में वाटर वेपर के परिणाम मिले कोई भी atmosphere ना होने के कारण चंद्रमा में आवाज सुनाई नहीं देता और इसके ऊपर का आकाश हमेशा काला ही रहता है.
चंद्रमा के हर हिस्से में सूरज का प्रकाश समान रूप से पड़ता है जिसके कारण यहां पर कभी रात नहीं दिखाई देता. लेकिन पृथ्वी से हमें एक साइड का सतह हमेशा डार्क ही दिखाई देता है इसका कारण यह है कि पृथ्वी को जितना समय सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लगता है उतना ही समय चंद्रमा को पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने में लगता है.
यदि आपको चंद्रमा का पूरा भाग देखना है तो स्पेसक्राफ्ट की मदद से आपको स्पेस में जाना होगा जहां से आप को चंद्रमा पूरी तरह क्लियर दिखाई देगा.
वैज्ञानिक के अनुसार चंद्रमा हर साल पृथ्वी से 3.8 सेंटीमीटर दूर चला जा रहा है और यह करीब 50 बिलियन साल तक चलेगा जहां पृथ्वी का एक पूरा चक्कर काटने में चंद्रमा को लगभग 27.3 दिन का समय लगता है तब 47 दिन का समय लग सकता है.
हम नदी समुंदर या ओशन में जो ज्वार और भाटा देखते हैं वह चंद्रमा के द्वारा पृथ्वी के ऊपर ग्रेविटी फोर्स के कारण होता है.
पृथ्वी के मुकाबले चंद्रमा में किसी भी चीज का वजन एक का छठवां भाग होता है. यदि आपका वजन पृथ्वी पर 72 किलोग्राम है तो चंद्रमा में आपका वजन केवल 12 किलो रह जाएगा. ऐसा कम ग्रेविटी के कारण होता है. अब तक करीबन 12 लोगों ने चांद की सतह पर पैर रखा है जो सारे के सारे अमेरिका के निवासी थे.
1971 में अपोलो 11 मिशन के तहत नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर पांव रखा था. चंद्रमा में कोई सटीक वायुमंडल ना होने के कारण ताप मात्रा बहुत ज्यादा स्थिर होता है. मून पर भूकंप होने का भी प्रमाण मिला है जो कि पृथ्वी के ग्रेविटेशन के कारण होता है जिसे हम moonquick कहते हैं. वह सतह के नीचे वाले हिस्से में होता है इससे सतह में कहीं दरारे भी पैदा होते हैं.
ऐसा सुना गया है 1950 में कोल्ड वार के दौरान यूएसएसआर, अमेरिका के बीच तनाव चल रही थी तब अमेरिका में सैनिक शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए प्रोजेक्ट a119 के तहत चंद्रमा में एटम बम फोड़ने की तैयारी में था.
जब चंद्रग्रहण होता है तो चंद्रमा पृथ्वी और सूरज के बीच में आ जाता है उस समय पृथ्वी का साया चंद्रमा पर पड़ता है और सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी और सूरज के बीच आ जाता है. तब चंद्रमा का साया पृथ्वी में पड़ता है. अब तक कई मून मिशन के बावजूद 1972 के बाद पिछले लगभग 44 साल से कोई इंसान चंद्रमा की सतह पर नहीं गया.
तो दोस्तों आपको चंद्रमा के बारे में जानकारी कैसे लगी उम्मीद है आपको चंद्रमा से जुड़े नई-नई जानकारी जरूर मिली होगी!
और पढ़ें :
सूरज(SUN) के बारे में 20 रोचक तथ्य
बुध ग्रह (Mercury) के बारे में 35 अनोखे तथ्य
शुक्र ग्रह(VINUS) के बारे में 35 रोचक तथ्य
पृथ्वी (EARTH)के बारे में 25 अनोखे फैक्ट
मंगल (MARS)ग्रह के बारे में ये रोचक तथ्य
बृहस्पति ग्रह(jupiter) के बारे में 50 रोचक तथ्य
शनि ग्रह(Saturn) के बारे में 45 रोचक तथ्य
अरुण ग्रह (Uranus) के बारे में 40 रोचक तथ्य
वरुण ग्रह (Neptune) के बारे में 35 रोचक तथ्य
[…] का सरफेस ठीक हमारे चांद के सरफेस जैसे दिखता है यदि आप इसकी […]
[…] दूसरा सबसे निकट ग्रह है और शाम के समय चांद के बाद दूसरी सबसे ज्यादा चमकने वाली […]
[…] का रूप ले लिया आज हमें ऐसे ही चांद यानीचंद्रमा के नाम से जानते […]
[…] ग्रह का चंद्रमा गेनीमेड सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा चांद […]
[…] बाद हाइजेंस ने शनि ग्रह की सबसे बड़ी चंद्रमा टाइटन और cassini ने इसके चार और […]