1-15 Amazing Facts About Mercury Planet in Hindi
मर्करी यानी बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा, सूरज के सबसे नजदीक, हमारी धरती से करीब 7 करोड़ 70 लाख किलोमीटर दूर है.
यह हमारे सूरज के सबसे नजदीक बसा है परंतु यह हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे गर्म प्लेनेट है जी हां और वीनस यानी शुक्र ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म प्लेनेट है. यदि आप वीनस के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको यहां लिंक मिल जाएगी आप जाकर उसे भी पढ़ सकते हैं.
मरकरी हमारे सौरमंडल का सबसे आखरी में एक्सप्लोरर किया गया प्लेनेट है जोकि बहुत अजीब बात है क्योंकि मर्करी बाकी के ग्रह यानी गैस जॉइंट की तुलना में हमारी धरती से काफी नजदीक है परंतु फिर भी हमें मर्करी मैं स्पेसक्राफ्ट को भेजने में काफी वक्त लग गया.
20 जुलाई 1969 को पहली बार मनुष्य ने चांद पर कदम रखा था परंतु क्या आप जानते हैं उस समय जब हम चांद मैं सफलतापूर्वक इंसान को भेजने के लायक बन चुके थे तब हमारे पास मरकरी के ऑर्बिट तक जाने तक कोई सटीक गणना नहीं थी.
धरती के इतने करीब होने के बावजूद हमने जो कि हमारे सौरमंडल का आखिरी ग्रह है वहां के लिए स्पेस प्रोड भेज चुके थे जबकि तभी हमारे पास नेपच्यून से करीब 55 गुना नजदीक मरकरी के ऑर्बिट तक जाने के लिए कैलकुलेशन नहीं थे लेकिन आखिर ऐसा क्यों आखिर हमारे सौरमंडल के सबसे शुरुआती प्लेनेट मरकरी के ऑर्बिट में जाना इतना मुश्किल क्यों है तो चलिए जानते हैं.
चिलचिलाती धूप को झेलता हुआ यह है बुध ग्रह यानी मर्करी सूरज से महज 5 करोड़ 89 लाख किलोमीटर दूर हमारी धरती सूरत से करीब 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर दूर है यानी सूरज और मरकरी की डिस्टेंस के दुगुने से भी ज्यादा दूर मरकरी का अस्तित्व प्राचीन बेबीलोनियन इतिहास में भी पाया गया है.
प्राचीन बेबीलोनियन लोगों ने इस प्लांट को नाबू का नाम दिया था जो कि 1 बेबीलोनियन भगवान के दूथ के मैसेंजर थे.
हमारे प्राचीन भारतीय इतिहास में भी मरकरी का अस्तित्व मिलता है. हिंदू माइथोलॉजी में मरकरी को बुध ग्रह का नाम दिया गया है और हमारे हिंदू पुराणों में मरकरी को कई नामों से संकेत किया गया है जैसे बुध, सौम्या, रोहिणी और तुग हिंदू धर्म में बुध ग्रह को बुध भगवान माना जाता था.
परंतु क्या आप जानते हैं बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा प्लेनेट है सौरमंडल की बाकी सभी ग्रहों की तुलना में सूरज के चारों और इसका औरवाइटल पीरियड सबसे छोटा है यानी बुध ग्रह का 1 साल सौर मंडल के सभी ग्रह की तुलना में सबसे छोटा है.
मरकरी का 1 साल 88 पृथ्वी दिनों के बराबर होता है परंतु इस ग्रह की सबसे अजीब चीज है इस ग्रह का एक दिन मरकरी अपने ऑर्बिट में बहुत ही धीमी गति से घूमता है इतना धीमा की एस ग्रह का एक दिन इसके 1 साल से भी बड़ा होता है.
मरकरी का एक दिन 176 पृथ्वी दिनों के बराबर होता है यानी इस ग्रह का एक दिन करीब करीब इसके 2 साल के बराबर होता है.
साल 1974 से पहले हमारे पास इस ग्रह के पढ़ाई करने के लिए इसके करीब जाने की गणना नहीं थी लेकिन ऐसा क्यों आखिर इस ग्रह पर जाना हमारे लिए इतना मुश्किल क्यों था वेल इसके पीछे मुख्य दो कारण थे.
पहला मर्करी का छोटा आकार और दूसरा इसका सूरज के नजदीक होना जिसके कारण इसे करीब जाना थोड़ा मुश्किल था.
किसी भी पिंड के ऑर्बिट में जाना एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है इसके लिए एकदम एक्यूरेट स्पीड टाइमिंग और एंगल की जरूरत होती है और सब कुछ पूरी तरह ठीक रहा तभी हम उस प्लेनेट के ऑर्बिट तक जा पाएंगे अन्यथा एक छोटी सी भी गलती से हमारा स्पेसक्राफ्ट अपने लैंडिंग को मिस कर सकता है.
इसीलिए किसी भी मिशन को शुरू करने से पहले उसे मैथमेटिकल कैलकुलेशन के जरिए हल किया जाता है, ताकि हम पक्के रूप से सुनिश्चित कर सके.
16-35 Amazing Facts About Mercury Planet in Hindi
हमारे सौरमंडल के ऑटर प्लेनेट पर जाने के लिए स्पेसक्राफ्ट को सूरज की उल्टी दिशा में जाना पड़ता है यानी हम सूरज के विपरीत दिशा में जाते हैं.
स्पेसक्राफ्ट के पॉपुलर इनके गति को तेज करता है और यह एक वेल्मेंटल way मैं उस ग्रह के ऑर्बिट में जा पाते हैं परंतु जब हम मरकरी के ऑर्बिट में जाते हैं सूरज का गुरुत्वाकर्षण स्पेसक्राफ्ट की गति को और बढ़ा देता है.
यदि हमने इसकी स्पीड को सही से कैलकुलेट नहीं किया तो यह स्पेसक्राफ्ट आसानी से मरकरी को मिस कर देगा.
3 नवंबर 1973 को NASA ने लांच किया मैरीनेर 10 एक्रोबैटिक स्पेस प्रोड को जिसका मिशन था मरकरी और वीनस के ऑर्बिट में Fly करना.
मैरीनेर 10 को विनस के ग्रेविटीनल स्विंगशॉट के जरिए दिशा बदल दिया गया था ताकि इसका फ्लाइट पैक मरकरी के ऑर्बिट की तरफ मुड़ जाए क्योंकि यह फ्लाईओवर मिशन था जिसकी वजह से हम मरकरी के बारे में ज्यादा डाटा कलेक्ट नहीं कर पाए थे.
मैरीनेर 10 कुल तीन बार मरक्यूरी के बगल से गुजरा और इस मशीन में हम मरकरी के केवल 45% हिस्से को पढ़ पाए थे. वह भी लोअर रेजुलेशन में परंतु मैरीनेर 10 के जरिए हमने पहली बार मरकरी को करीब से देखा और इसकी सतह की मैपिंग की.
मरकरी का सरफेस ठीक हमारे चांद के सरफेस जैसे दिखता है यदि आप इसकी सतह पर लैंड करोगे तो यह आपको बिल्कुल चांद के सामान लगेगा. परंतु आप यहां उतर नहीं सकते क्योंकि दिन के समय इसकी सतह का तापमान 430 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और रात में तापमान गिरकर -180 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है.
मैरीनेर 10 के जरिए हमने मर्करी के बारे में बहुत कुछ जाना परंतु उसके द्वारा मिला गया डिटेल हमारे लिए काफी नहीं था क्योंकि यह फ्लाईवे मिशन था इस वजह से हमें कुछ ज्यादा जानने को नहीं मिला और इसी कारण अगस्त 2004 को लॉन्च किया गया मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट को डेल्टा टू रॉकेट के जरिए मैसेंजर यानी मर्करी सरफेस स्पेस एनवायरनमेंट जियोकेमेस्ट्री एंड रैंकिंग मैसेंजर खास मर्करी पर किया जाने वाला पहला मिशन था.
18 मार्च 2011 को मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट सक्सेसफुली मरकरी के ऑर्बिट में पहुंचा और 2012 तक इसने अपने प्राइमरी मिशन को पूरा कर लिया इसके बाद भी मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट में फ्यूल बचा हुआ था इस कारण दो बार इसके मिशन को और बढ़ा दिया गया और फिर 30 अप्रैल 2015 को इस स्पेसक्राफ्ट को मरकरी की सतह से टकराकर मिशन का अंत कर दिया गया.
मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट की मदद से हमने मर्करी के 90% से भी हिस्से को अच्छी तरह से पढ़ा और हमें कई ऐसे बातें पता चली जिसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया.
हमें पता चला कि मरकरी का कोर इस प्रकार की तुलना में काफी बड़ा है जो कि बहुत ही अजीब बात है इतने छोटे प्लेनेट के पास इतना बड़ा कौर हो ही नहीं सकता इसलिए वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि शायद मर्करी पहले एक बड़ा प्लेनेट था और किसी दूसरे पिंड के कॉलेजम के कारण इसका अधिकांश भाग खत्म हो गया.
मरकरी के पास भी अपना एक पतली वायुमंडल है और एक इलेक्ट्रोमेडिकल फील्ड है परंतु इसका इलेक्ट्रोमेलिटीकल फील्ड इतना स्ट्रांग नहीं है की यह सूरज से आने वाले सोलर विंड से इसे बचा सके इसीलिए मरकरी का आसमान हमेशा रंगबिरंगा आरारोस से भरा होता है.
सूरज की चाइल्ड एंड पार्टिकल मरकरी के एटमॉस्फेयर में मौजूद सोडियम गैस को लगातार जला रहा होता है.
बुध ग्रह और वीनस दोनों को मॉर्निंग और इवनिंग स्टार भी कहा जाता है. हां हम यह जानते हैं कि यह दोनों स्टार्ट नहीं बल्कि प्लेनेट है लेकिन सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय यह प्लानेट हमें क्षितिज में देखने को मिलते हैं और इसी वजह से इन्हें यह इनको नाम मिला.
Mercury ग्रह के पढ़ाई से हमें अपने सौरमंडल की रचना तथा इसके आरंभिक समय के बारे में काफी जानकारियां मिलती है.
बुध ग्रह कि सतह पर बनी क्रेटर हमें सौरमंडल के रचना के बारे में काफी जानकारियां देती हैं और मरकरी को और अच्छे से पढ़ने के लिए ही 20 अक्टूबर 2018 को लॉन्च किया गया बेबी कोलंबो स्पेसक्राफ्ट.
यह यूरोपियन स्पेस एजेंसी एनी esa जापान एयरो स्पेस एक्सप्लेनेशन एजेंसी यानी जैक्सा का एक जॉइंट मिशन है.
बेबी कोलंबिया स्पेसक्राफ्ट में असल में दो सेटेलाइट है mpo यानी मरकरी प्लेनेटरी और वाइटर फाइटर mmo मरकरी मैग्नेटसफियरक औरबीटर यह स्पेसक्राफ्ट दिसंबर 2025 तक मरकरी के ऑर्बिट में पहुंच जाएगा.
दोनों सैटेलाइट मरकरी के ऑर्बिट में आकर अपना काम शुरू कर देंगे भले ही मर्करी सूर्य के सबसे नजदीक है परंतु बेहद पतले वायुमंडल के कारण यह सूरज से गर्मी को पकड़ता नहीं रख पाता.
वही विनस यानी शुक्र ग्रह का मोटा कार्बनिक एटमॉस्फेयर सूरज से आने वाली अधिकांश गर्मी को अपने अंदर से बाहर ही नहीं जाने देता इसलिए सौरमंडल का दूसरा ग्रह होने के बावजूद यह सौरमंडल का सबसे गर्म प्लेनेट है और मर्करी दूसरा सबसे गर्म प्लेनेट है.
साल 2025 के अंत तक बेबी कोलंबो मरकरी के ऑर्बिट में पहुंच जाएगा और हमें मर्करी के बारे में और भी ज्यादा जानकारी मिलेगी तब तक आप इंतजार करो.
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