आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को ही बाल दिवस या चिल्ड्रंस डे कहा जाता है क्योंकि नेहरू जी को बच्चे बहुत पसंद थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे. अगर हम नेहरू जी के जीवन को विस्तार से पढ़ें तो हमें उनके जीवन से ढेर सारी सीख पाने के लिए मिलती है नेहरू जी एक महान स्वतंत्र सेनानी थे.
देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गांधी का साथ दिया था नेहरू जी डिस्कवरी ऑफ इंडिया के रचियता के रूप में विख्यात रहे. तो दोस्तों आज हम आपको स्वतंत्रता भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और बच्चे की प्रिय चाचा नेहरू के जीवन के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
1. नेहरू जी को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचयिता माना जाता है. इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में 19 नवंबर 1889 में हुआ था. इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू एवं माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था. इनके पिता प्रसिद्ध बैरिस्टर वह समाजसेवी थे. नेहरू जी संपन्न परिवार के एक इकलौते बेटे थे इसके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहने थी .
2. नेहरू जी कश्मीरी वंश के सास्वत ब्राह्मण थे. नेहरू जी ने देश विदेश के नामी विद्यालय एवं महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की उन्होंने उसे स्कूल की प्रारंभिक शिक्षा एवं ट्रिनिटी कॉलेज लंदन से लौकी शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंपरगत हुए.
7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर इन्होंने फैबीयन समाजवाद एवं आइरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की. नेहरू जी की 1 बेटी थी इंदिरा गांधी इंदिरा गांधी अपने पिता को अपना गुरु मानती थी.
3. देश की राजनीति उन्होंने नेहरू जी से ही सीखा था. बचपन से ही देश की आजादी की लड़ाई को उन्होंने करीब से देखा था यही वजह थी कि वह भी देश के प्रति अत्यधिक प्रेम रखती थी.
इंदिरा जी आजाद देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी. भारत देश को आगे बढ़ाने में मजबूती देने में इंदिरा गांधी जी का मुख्य योगदान था. 1912 में नेहरू जी इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैरिस्टर के रूप में कार्यरत हुए 1916 में नेहरू जी ने कमला नेहरू से विवाह किया.
4. 1917 में वह होम रूल लीग से जुड़ गए. 1919 में नेहरू जी महात्मा गांधी के संपर्क में आए जहां उनके विचारों ने नेहरू जी को बहुत प्रभावित किया और राजनीतिज्ञ ज्ञान इन्हें गांधी जी के नेतृत्व में ही प्राप्त हुआ.
यही वह समय था जब नेहरू जी ने पहली बार भारत की राजनीति में कदम रखा था और उसे इतने करीब से देखा था. 1919 में गांधी जी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा था. नेहरू जी गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से भी बहुत प्रभावित थे.
5. नेहरू जी के साथ उनके परिवार ने भी गांधी जी का अनुसरण किया मोतीलाल नेहरू ने अपनी संपत्ति का त्याग कर खादी परिवेश धारण किया. 1920 से 1922 मैं गांधी जी द्वारा किए गए असहयोग आंदोलन में नेहरू जी ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया.
इस वक्त नेहरू जी पहली बार जेल गए 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में 2 वर्ष तक शहर की सेवा की 1926 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 1926 से 1928 तक नेहरू जी अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव बने गांधी जी को नेहरू जी मैं भारत देश का एक महान नेता नजर आ रहा था.
6. 1928 से 1929 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र में दो गुट बने पहले गुट में नेहरू जी एवं सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दूसरे ग्रुप में मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने सरकार के अधीन ही प्रभुत्व संपन्न राज्य की मांग की. नेहरू जी की अध्यक्षता में दिसंबर 1930 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में किया गया.
26 जनवरी 1930 में लाहौर में नेहरु जी ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया 1930 में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का जोर से आह्वान किया जो इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए झुकना ही पड़ा
7. 1935 में जब बेटी सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव पारित किया तब कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया नेहरू ने चुनाव के बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया. कांग्रेस ने हर प्रदेश में सरकार बनाएं और सबसे अधिक जगह पर जीत हासिल की.
1936-1937 मैं नेहरू जी की कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन के बीच नेहरू जी को गिरफ्तार किया गया जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आए जिसके बाद वह 1945 में जेल से बाहर आए.
8. 1947 में भारत एवं पाकिस्तान की आजादी के समय नेहरू जी ने सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1947 में भारत आजादी के वक्त कांग्रेस में प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए चुनाव किए गए जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल एवं आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए पर गांधीजी के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
9. इसके बाद नेहरू जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने स्वतंत्रता के बाद भारत को सही तरह से गठित कर उसका नेतृत्व कर एक मजबूत राष्ट्र की नींव के निर्माण का कार्य नेहरु जी ने शिद्दत के साथ निभाया. भारत को आर्थिक रूप से निभिक बनाने के लिए भी इन्होंने बहुत अहम योगदान दिया आधुनिक भारत के स्वप्न की की मजबूत नींव का निर्माण किया. इन्होंने शांति एवं संगठन के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की रचना की इनकी बहुत मेहनत के बावजूद यह पाकिस्तान और चीन से मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं बना पाए.
10. 1955 में नेहरू जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. नेहरू जी अपने पड़ोसी देश चीन में पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे. उनकी सोच थी कि हमें अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना चाहिए लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया जिससे नेहरु जी को बहुत आघात पहुंचा पाकिस्तान से भी कश्मीर मसले के चलते कभी अच्छे संबंध नहीं बन पाए.
11. नेहरू जी की 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से स्वर्गवास हो गया. उनकी मौत भारत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी देश के महान नेताओं व स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है. नेहरू जी को गुलाब का फूल बहुत पसंद था जिसे वह अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे. इन्हें बच्चों से भी बहुत लगा था बच्चे इन्हें चाचा नेहरू कहकर संबोधित करते थे इसी प्रेम के कारण इनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में 14 नवंबर को मनाया जाता है.
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