हम सब लोग ही यह सोचते हैं कि काश हमारे पास कुछ ऐसा तरीका होता जिसकी वजह से हम सारी बुक्स जल्दी-जल्दी रीड कर पाते और उन्हें याद रख पाते हैं पर असलियत मेरे हम जब भी कोई नया टॉपिक समझने की कोशिश करते हैं तब उसमें या तो हमारा दिमाग ही नहीं लगता या कुछ घंटे बाद ही हम सब कुछ भूल चुके होते हैं.
पर साइकोलॉजी में ऐसे कई मेथड और ट्रिक्स हैं जो हमारे पढ़ने और समझने के ढंग को इंप्रूव कर सकते हैं. यह फर्क नहीं पड़ता कि आप एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना चाहते हो या फिर आप अपनी क्यूरियोसिटी को फीड करके अपनी नॉलेज को बढ़ाना चाहते हो. यह ट्रिक्स आपको जरूर हेल्प करेंगे.
1. जब भी आप कोई नई चीज याद करने की कोशिश करते हो तो आपके दिमाग के पास 2 चॉइस होती है या तो वह आपकी रीसेंट मेमोरी को बुलाकर इन मेमोरी को स्टोर कर सकता है या फिर वह ज्यादा मेहनत करके इस इंफॉर्मेशन को लॉन्ग टर्म मेमोरी कार्ड बना सकता है. पर यहां पर प्रॉब्लम यह है कि हमारा दिमाग एक बार में बस थोड़ी सी चीजें याद रख पाता है.
तभी ज्यादातर रिसर्च बताते हैं आप जिस इंफॉर्मेशन को याद करना चाहते हो उसे टुकड़ों में बांट दो इस तकनीक को बोलते हैं चंग किंग यानी यदि आप एक बुक को खत्म करना चाहते हो तो सबसे पहले यह समझो उस बुक को किस कांटेक्ट में लिखा गया है और राइटर आपको क्या समझाना चाहता है.
यही सेम चीज आपको हर चैप्टर के साथ करनी है. पर इसके साथ यह भी याद रखना कि आप अगले चैप्टर पर जाने से पहले पिछले चैप्टर को ढंग से समझ चुके हो ताकि बुक खत्म होने पर आप सारे चैप्टर्स को साथ में जोड़ पाओ और उन्हें सालों तक याद रख पाओ.
2. दुनिया के सबसे फेमस फिजिक्स मैं से एक रिचर्ड फायरमैन अपने स्टूडेंट को कोई भी चीज याद रखने की एक सिंपल सी टेक्निक बताते थे यानी अब जिस चीज के टॉपिक को समझना चाहते हो उसे पढ़ना स्टार्ट करो और जब आपको थोड़ा सा आईडिया मिल जाए कि उस टॉपिक के पीछे का मैसेज क्या है तब आप उसे एक पेपर को लिखो जैसे आप किसी को समझा रहे हो बिल्कुल एक टीचर की तरह.
इस तरह से आपको यह समझ आएगा कि आप उस टॉपिक के किन पार्ट्स को अच्छे से समझ चुके हो और किन एरियाज में अभी भी आप विक हो और तब वापस जाकर उस पाठ को पढ़े हो इस प्रोसेस को तब तक रिपीट करो जब तक आप उस टॉपिक को एक सरल तरीके से समझाने में समर्थ नहीं हो पाते.
3. कुछ भी पढ़ते टाइम उन कांसेप्ट को रियल लाइफ के साथ जोड़कर समझो और उन्हें बाकी सिचुएशन और आइडिया के साथ कनेक्ट करने की कोशिश करो. अगर आप एक सेल्फ हेल्प पढ़ रहे हो और उसमें दी गई डेफिनेशन और फैक्ट को याद करना बहुत मुश्किल है आपसे सिंपली यह सोचो कि वह डेफिनेशन आफ किन फ्रेंड और फैमिली मेंबर्स पर अप्लाई होती है.
कहीं स्टडीज बताती है कि आप जब किसी इंफॉर्मेशन को अपने पर्सनल लाइफ से कनेक्ट कर देते हैं तब उस चीज को याद रखना बहुत इजी हो जाता है. साइकोलॉजिस्ट इसे बोलते हैं द सेल्फ रीफेंसेस अफेक्ट और इसके यूज करने से आपको समझ आएगा की एक बुक में लिखी बातें असल मैं क्या बोलना चाहती है उसे रियल लाइफ में कैसे यूज किया जाता है.
4. अपने दिमाग के बारे में यह समझो कि वह इतना छोटा होने के बाद भी बॉडी के काफी सारे रेसोर्सेस को कंज्यूम करता है जिसकी वजह से पढ़ते टाइम हर घंटे एटलस 10 मिनट का ब्रेक लेना बहुत जरूरी होता है.
ताकि आपके दिमाग में थोड़ा रेस्ट मिल सके और जो आपने पढ़ा है आप उसके बारे में सोच सको जितना आप स्टडीज को डिस्ट्रीब्यूट करोगे उतना इफेक्टिवली आपका दिमाग उस नई इंफॉर्मेशन को डाइजेस्ट कर पाएगा. यही रीजन है कि क्यों कि ज्यादातर स्कूल और कॉलेज एक क्लास सिर्फ 45 मिनट से लेकर 1 घंटे की होती है.
5. साइकोलॉजिस्ट साइंटिस्ट जानते हैं कि हमारा दिमाग एक कंप्यूटर की तरह काम करता है क्योंकि कंप्यूटर एवन हमारे फोन डिवाइस की एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए लिमिटेड एप्स और टिप्स को खुले रखते हैं और पुराने एप्स जो फ्रिक्वेंटली यूज़ नहीं हो रही उन्हें क्लोज कर देते हैं हमारा दिमाग भी एफिशिएंसी ज्यादा तेज काम करता है जब हम एक टाइम पर एक सब्जेक्ट और एक टॉपिक्स पर फोकस करते हैं इसे बोलते हैं सीरियल प्रोसेसिंग.
6. पढ़ाई में कंसटेंट करते टाइम आपके इन्वायरमेंट में डोमिनेट कलर कौन सा है यह भी आपके लर्निंग कैपेसिटी को अफेक्ट करता है क्योंकि कलर हमारे मोड और बिहेवियर को काफी स्ट्रांग ली काफी इनफ्लुएंस कर सकते हैं और कई एक्सपेरिमेंट बताते हैं की ब्लू कलर के अलग-अलग शेड हमारी कंसंट्रेशन मेंटल के लिए अभी और एवन प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं.
तो ट्राई करो कि जब भी आप पढ़ने बैठो आप या तो अपने आसपास ब्लू कलर की कोई चीज रखो जिस पर आपकी बार-बार नजर जाए या फिर सिंपली एक ब्लू हाइलाइटर को यूज कर सकते हो.
7. 1938 मैं साइकोलॉजिस्ट बीएफ किन्नर ने अपने कई एक्सपेरिमेंट में देखा कि लोग के एक काम को खत्म करने के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं जब उन्हें उससे कुछ पॉजिटिव आउटकम मिलता है. यह एक असाइनमेंट के ग्रेड्स भी हो सकते हैं और कुछ इंटरेस्टिंग पढ़ने के बाद की क्रियासिटी भी पर आप इतनी को यूज करने के लिए अपने दिमाग को ट्रैक भी कर सकते हो अगर आप ज्यादा देर तक पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते तो.
वह इसलिए होता है क्योंकि आपके दिमाग को बार-बार डोपामिन मिलने की आदत हो जाती है और आपको इस हैबिट से बाहर निकलने के लिए अपने आप को बताना पड़ेगा कि आपको तब तक कोई भी रिवॉर्ड नहीं मिलेगा जब तक आप अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर लेते
8. क्या आप जानते हो हम लोगों का चीजों को पढ़ने और याद करने का तरीका बचपन से ही काफी अलग होता है कई लोगों late कर पढ़ पाते हैं, कई लोगों को ग्रुप डिस्कस चाहिए होता है, कईयों के लिए डायग्राम्स और इमेज के साथ समझना आसान लगता है और कई लोग उस टॉपिक की वीडियो देखना प्रेफर करते हैं.
जिसका मतलब हर इंसान का लर्निंग स्टाइल अलग अलग होता है और अगर आप भी अभी तक अपने लर्निंग स्टाइल को नहीं ढूंढ पाए हो तो अब टाइम है कि आप अपने लर्निंग स्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट करना शुरू करो
9. यह पॉइंट आपके मेंटल और फिजिकल हेल्थ के बारे में है यदि आप जल्दी-जल्दी नई नॉलेज गेन करना चाहते हो आपकी डाइट सोने का रूटीन और आपका हैप्पीनेस लेवल सही पॉइंट पर नहीं है तो आप मेंटली इमोशनली या फिजिकली एग्जॉटिक फील करोगे
10. लास्ट पॉइंट में हम थोड़ी सी चैटिंग उसके बाद कर सकते हैं यदि आपको कोई टॉपिक जल्दी से समझना है पर आपकी कंसंट्रेशन बार-बार पढ़ाई से हट रही है तो आपके पास आपके दिमाग को हैंडल करने के लिए कहीं ऑप्शन है. जैसे ज्यादातर हम पढ़ते टाइम कोई बेवरेज प्रेफर कहते हैं किसी के लिए यह ग्रीन टी हो सकती है.
एवन चॉकलेट मिल्क या कॉफी पर क्या आप जानते हो अलग-अलग टाइप्स की ड्रिंक आपके दिमाग को एक यूनिक स्टेट में ले जाती है जैसे आप किसी मुश्किल टॉपिक को याद करने की कोशिश कर रहे हो तब आप सोचते हो किक किक काश आप उसे लेजर फोकस की तरह पढ़ पाते इस तरह के फोकस के लिए ब्लैक कॉफी काफी अच्छी रहती है
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